Saturday, June, 28,2025

संविधान सर्वोच्च, सेवानिवृत्ति के बाद नहीं लूंगा पदः गवई

नई दिल्ली: मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने रविवार को कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी तरह का पद नहीं लेंगे। उन्होंने संविधान को सर्वोच्च बताकर इस बहस पर विराम लगा दिया कि संसद या न्यायपालिका में से कौन श्रेष्ठ है। न्यायाधीश गवई 14 मई को देश के प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे और वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध होंगे। उन्होंने यहां अपने आवास पर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा यह बात कही। उन्होंने न्यायपालिका में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के जवाब में संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों में आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

न्यायाधीश गवई ने लंबित मामलों से लेकर अदालतों में रिक्तियों, न्यायाधीशों द्वारा राजनीतिक नेताओं सहित आम लोगों से मुलाकात और न्यायपालिका के खिलाफ बयानों जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, जब देश संकट में हो तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता। हम भी देश का हिस्सा हैं।

न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा किए जाने के मुद्दे पर न्यायाधीश गवई ने कहा कि शीर्ष अदालत के 33 में से 21 न्यायाधीशों ने अब तक अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक कर दिया है और शेष अन्य भी जल्द ऐसा करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को भी ऐसा करना चाहिए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा से जुड़े नकदी बरामदगी विवाद पर उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने उन्हें दोषी ठहराया है और इस मुद्दे को आगामी कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा प्रधानमंत्री के पास भेजा गया है।

पहलगाम पर सुप्रीम कोर्ट भी हुआ आहत

न्यायाधीश गवई ने अपनी हाल की मणिपुर यात्रा को याद करते हुए कहा कि एक वृद्ध महिला ने अपने घर में उनका स्वागत किया और इससे उन्हें देश की एकता एवं आत्मीयता का एहसास हुआ। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश भी देश के नागरिक हैं और पहलगाम में हुई वीभत्स घटना के बारे में जानने के बाद उन्होंने प्रधान न्यायाधीश खन्ना से परामर्श किया तथा मौतों पर शोक व्यक्त करने के लिए शीर्ष अदालत की ओर से बयान जारी करने का निर्णय लेने के वास्ते पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई। उन्होंने कहा, आखिरकार, हम भी देश के जिम्मेदार नागरिक हैं और ऐसी घटनाओं से प्रभावित होते हैं। हम भी नागरिक के तौर पर चिंतित हैं। जब पूरा देश शोक मना रहा है, तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता।

मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं

राजनीतिक नेताओं और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस बयान के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कि संसद सर्वोच्च है, उन्होंने कहा, संविधान सर्वोच्च है। केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ ने भी यही कहा है। न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल जैसे राजनीतिक पद स्वीकार करने से संबंधित प्रश्न पर न्यायाधीश गवई ने कहा, मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लूंगा।

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