Friday, June, 27,2025

प्रशासक लगाने के बजाय किसी शिक्षाविद् को चेयरमैन बनाए सरकार, तभी मा. शिक्षा बोर्ड की छवि फिर सुधरेगी

जयपुर: राजस्थान बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (आरबीएसई) में चेयरमैन की कुर्सी तीन साल से खाली है। पिछली अशोक गहलोत सरकार ने जनवरी 2022 में तत्कालीन चेयरमैन डी.पी. जारोली को रीट पेपर लीक कांड में बर्खास्त कर दिया था। तब एक आईएएस लक्ष्मी नारायण मंत्री को प्रशासक नियुक्त किया गया था। नई सरकार ने भी नया चेयरमैन लगाने के बजाय अजमेर के संभागीय आयुक्त महेश चंद शर्मा (अईएएस 2007 बैच) को ही इस पद का एडिशनल चार्ज दे दिया। जनवरी 2024 से महेश शमां ही आरबीएसई की भी कमान संभाले हुए हैं।

राज्य में स्कूल एजुकेशन के डेवलपमेंट के लिए वर्ष 1957 में इस सरकारी संस्थान का अजमेर मुख्यालय के साथ गठन किया गया था। इसमें तीन साल के कार्यकाल के लिए एक फुल टाइम चेयरमैन और दो वर्ष के कार्यकाल वाले मेंबर्स नियुक्त किए जाते हैं। प्रदेश भर में 10वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाओं के लिए तथा समय-समय पर होने वाली अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं को यही बोर्ड आयोजित करता है। ऐसे में बोर्ड के चेयरमैन के पास भारी, महत्वपूर्ण और संवेदनशील जिम्मेदारियां होती हैं। इसमें गोपनीयता सर्वाधिक विशेष है। हालांकि बोर्ड में चेयरमैन का होना अत्यंत जरूरी है, लेकिन पिछले 7 दशकों में कई बार सरकारी अफसरों को भी प्रशासक बना कर बोर्ड की कमान सौंपी जाती रही है। मुख्यतः या तो शिक्षा निदेशक अथवा अजमेर के संभागीय आयुक्त को एडिशनल चार्ज सौंपा गया है। चेयरमैन की नियुक्ति राजनीतिक नियुक्ति की श्रेणी में आती है, लेकिन किसी शिक्षाविद् को ही यह कुर्सी सौंपी जाती रही है। पूर्व में बी.एल चौधरी, पी.एल. व्यास और सुभाष गर्ग चेयरमैन या चुके हैं, लेकिन गहलोत सरकार की ओर से नियुक्त किए गए डी.पी. जारोली ने अपने कारनामों से इस प्रतिष्ठित व गरिमापूर्ण कुर्सी को कलंकित कर दिया था।

रीट पेपर लीक मामले में उन्हें बर्खास्त किया गया था। वर्तमान में बोर्ड की कमान आईएएस महेश चंद शर्मा के हाथों में है, लेकिन उनके कंधों पर दो अन्य बड़ी कुर्सियों की जिम्मेदारी भी है। ये दोनों ही पोस्ट- संभागीय आयुक्त और आईजी स्टांप एंड रजिस्ट्रेशन फुल टाइम वाली हैं। फिर महेश चंद शर्मा भी इसी महीने रिटायर होने जा रहे हैं। ज्यादा अच्छा व उचित तो यह होगा कि फिर से कोई एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर को जिम्मेदारी सौंपने की जगह सरकार किसी शिक्षाविद् को चेयरमैन ही नियुक्त कर दे। इस पवित्र संस्थान के लिए यही उपयुक्त होगा और तब ही डी.पी. जारीली द्वारा बिगाड़ दी गई बोर्ड की छवि में पुरानी चमक आ पाएगी।

पाठ्य पुस्तक मंडल में नया सचिव आने पर ही टेंडर होंगे फाइनल

राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल में सचिव ही सर्वेसर्वा होता है और काम-काज की पूरी कमान उसी के हाथों में रहती है। शिक्षा मंत्री इसका चेयरमैन होता है। सीनियर आरएएस की सचिव के पद पर लगाया जाता है। अभी 1997 बैच के मूल चंद फरवरी, 2024 से इस पद पर काबिज थे। वे पिछले महीने 30 अप्रैल को रिटायर हो गए। डीओपी ने हमेशा की तरह बोर्ड के ही एक अधिकारी को सचिव का एडिशनल चार्ज सौंप दिया। प्रशासनिक जानकारों का कयास है कि जब तबादला सूची आएगी, तभी बोर्ड को भी नया सचिव मिलेगा। उल्लेखनीय है कि अभी मंडल में पाठ्य पुस्तकों की छपाई का काम चरम पर है। कागज मिलों से कई रिम कागज और प्रिटिंग प्रोसेस से उनकी छपाई के करोड़ों रुपए के टेंडर फाइनल होने हैं। लेकिन नए सचिव के आने पर ही सब कुछ फाइनल हो पाएगा।

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