Thursday, June, 26,2025

पहले की तरह मजबूत और आत्मविश्वास से लबरेज दिखे प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार 9 जून को अपने तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ और कुल 11 साल का कार्यकाल पूरा करेगी। हालांकि, 2024 लोकसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत नहीं मिला, लेकिन गठबंधन सहयोगियों तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार की मजबूत भागीदारी ने सरकार को स्थायित्व प्रदान किया। चुनाव के बाद कुछ विपक्षी नेताओं ने यहां तक दावा कर दिया था कि, 'मोदी को मनोवैज्ञानिक रूप से पराजित कर दिया गया है।' परंतु वर्षगांठ के इस मौके पर मोदी पहले से भी अधिक सशक्त और आत्मविश्वासी नेता के रूप में उभरे हैं। 11 वर्षों के शासन के बाद भी नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और नेतृत्व की स्थिरता अडिग बनी हुई है।

विश्लेषकों की नजर में मोदी अपराजेय

दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार के मुताबिक, 'राजनीति मैं हमेशा अवसर और चुनौतियां होती हैं, लेकिन जब तक प्रधानमंत्री मोदी हैं, तब तक उनका कोई ठोस विकल्प नजर नहीं आता।' उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य कार्रवाई और जातिगत जनगणना को लेकर सरकार के निर्णय ने भाजपा की राजनीतिक समझदारी को और मजबूत किया है।

भाजपा की वापसी

भाजपा ने न केवल हरियाणा और महाराष्ट्र में सरकार बनाई, बल्कि 26 वर्षों बाद दिल्ली विधानसभा में जीत दर्ज कर आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को करारी शिकस्त दी।

मोदी सरकार के 11 साल... उपलब्धियां, चुनौतियां और भविष्य की दिशा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार 9 जून, 2025 को अपने 11 वर्ष पूरे कर रही है। 2014 में 'अच्छे दिन' और 'सबका साथ, सबका विकास' के नारों के साथ सत्ता में आई यह सरकार आज न केवल भारत की राजनीति, बल्कि उसकी सामाजिक, आर्थिक और कूटनीतिक दिशा को भी गहराई से प्रभावित कर चुकी है। मोदी सरकार के 11 वर्ष एक गहरे सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तन का प्रतीक है। जहां एक और ये साल बड़ी योजनाओं, मजबूत नेतृत्व और वैश्विक छवि निर्माण के रहे, वहीं दूसरी और इन वर्षों ने यह भी दिखाया कि सशक्त लोकतंत्र में नागरिक अधिकार, जवाबदेही और संतुलन बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है।

विपक्ष बिखरा, सहयोगी स्थिर

भाजपा विरोधी मोर्चे में टीएमसी (ममता बनर्जी) और आप (अरविंद केजरीवाल) जैसी प्रमुख पार्टियां कांग्रेस से दूरी बना चुकी है। वहीं, शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (एसपी) जैसी पार्टियों का भविष्य अस्थिर दिख रहा है।

'सबका साथ, सबका विकास' बना आधार

जनकल्याणकारी योजनाओं, स्वच्छ छवि, और स्पष्ट नेतृत्व के बूते मोदी अब भी देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार हैं। 'मोदी की लोकप्रियता नेहरू, इंदिरा और वाजपेयी के दौर की याद दिलाती है। आज भी उनके पास वैकल्पिक नेता नहीं है।'

2026 की बड़ी परीक्षा

अब भाजपा की नजरे वर्ष 2026 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है, जो तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और बिहार जैसे राजनीतिक रूप से अहम राज्यों में होंगे। यह देखा जाना बाकी है कि क्या भाजपा वहां भी अपनी पकड़ मजबूत कर पाएगी।

ये हैं केंद्र सरकार की प्रमुख उपलब्धियां

1. आर्थिक सुधार और डिजिटल क्रांति

मोदी सरकार ने डिजिटल इंडिया, जन-धन योजना, आधार, और यूपीआई जैसी योजनाओं के माध्यम से भारत को डिजिटल आर्थिक ताकत बनाने की दिशा में मजबूत कदम उठाए। मोबाइल और इंटरनेट की पहुंच गांवों तक बढ़ी है, जिससे ई-गवर्नेस में पारदर्शिता आई है।

2. बुनियादी ढांचे का विस्तार

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, भारतमाला, उज्ज्वला योजना, सौभाग्य योजना और स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियानों ने ग्रामीण भारत के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया है। हाईवे, एक्सप्रेसवे, रेल, बंदरगाह और हवाई अड्डों का निर्माण अभूतपूर्व गति से हुआ है।

3. विदेश नीति और वैश्विक छवि

भारत की वैश्विक छवि को सुधारने में मोदी सरकार ने बड़ी भूमिका निभाई है। G-20 की अध्यक्षता, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रियता, और 'क्सुधैव कुटुम्बकम्' की भावना के प्रचार ने भारत को एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया है।

4. रक्षा और सुरक्षा

'मेक इन इंडिया' के तहत रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहन मिला है। सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक ने यह संदेश दिया कि भारत अब सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों पर चुप नहीं रहेगा। आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं पर सतर्कता बढ़ी है।

महत्वपूर्ण सुधार

अनुच्छेद 370 हटाना (2019): जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जे से मुक्त कर उसे भारत के संविधान के समग्र दायरे में लाना ऐतिहासिक
कदम रहा।
तीन तलाक का उन्मूलनः मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में एक साहसी और विवादास्पद निर्णय।
नया संसद भवन और सेंट्रल विस्टा परियोजनाः शासन व्यवस्था के प्रतीकों को आधुनिक रूप देने का प्रयास।

भविष्य की दिशा

अब जब मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल की और बढ़ रही है, तो उससे अपेक्षाएं और जिम्मेदारियां दोनों बढ़ गई है। आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या प्रबंधन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र अब अधिक प्राथमिकता मांगते हैं। साथ ही, लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखते हुए 'विकास और विश्वास' की राह पर बढ़ना ही भारत की समग्र उन्नति का मार्ग हो सकता है।

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