Wednesday, November, 26,2025

अब बाहरी योजनाओं में उपयोग नहीं होगी मंदिर चढ़ावे की राशि

चित्तौड़गढ़: मेवाड़ के कृष्णधाम श्री सांवलिया जी मंदिर से जुड़ा करोड़ों रुपए के भंडार का मामला अब पूरी तरह बदल गया है। मंडफिया (चित्तौड़गढ़) सिविल जज विकास कुमार ने एक फैसला सुनाते हुए साफ कर दिया कि मंदिर की चढ़ावे की राशि का उपयोग अब किसी भी राजनीतिक या बाहरी क्षेत्र की योजनाओं में नहीं किया जा सकेगा।

यह फैसला इसलिए भी बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि सांवलिया जी के भंडार से हर महीने 26 से 27 करोड़ रुपए की भारी राशि निकलती है। इस पर लंबे समय से कई संस्थाओं और नेताओं की नजर रही है। इस मामले की शुरुआत साल 2018 में हुई, जब मंदिर मंडल ने राज्य सरकार की एक बजट घोषणा के तहत मातृकुंडिया तीर्थस्थल के विकास के लिए 18 करोड़ देने का प्रस्ताव पारित रुपए किया था।

इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए स्थानीय निवासी मदन जैन, कैलाश डाड, श्रवण तिवारी और अन्य ने मंडफिया कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि मंदिर की कमाई का पैसा भक्तों और स्थानीय जरूरतों पर खर्च होने के बजाय बाहरी योजनाओं और राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि मंदिर प्रबंधन ने सालों से भक्तों की मूलभूत सुविधाओं को मजबूत करने की अनदेखी की है। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्र में निशुल्क भोजनशाला, पार्किंग, शौचालय, बेहतर चिकित्सा सेवा, हॉस्पिटल और उच्च स्तरीय स्कूल जैसी सुविधाएं आज भी
अधूरी हैं। इसके बावजूद करोड़ों रुपयों को बाहरी धार्मिक धार्मिक स्थलों और राजनीतिक घोषणा पूर्ति पर खर्च करने की तैयारी की जा रही थी।

दुरुपयोग हुआ तो कार्रवाई होगी

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि मंदिर मंडल को भंडारे के रुपए खर्च करने के लिए मंदिर मंडल अधिनियम 1992 की धारा 28 का सख्ती से पालन करना होगा। इससे बाहर किसी भी प्रकार का पैसा देना कानून के खिलाफ माना जाएगा। अदालत ने यहां तक कहा कि यदि मंदिर निधि का दुरुपयोग किया गया, तो यह आपराधिक न्याय भंग का मामला बनेगा और इसमें संबंधित अधिकारियों पर व्यक्तिगत स्तर पर कार्रवाई होगी।

18 करोड़ जारी करने पर स्थायी रोक लगाई

कोर्ट ने मंदिर मंडल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी और अध्यक्ष को स्पष्ट आदेश दिया है कि मातृकुंडिया विकास के लिए प्रस्तावित 18 करोड़ रुपए पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जाए। अदालत ने स्थायी निषेधाज्ञा जारी करके यह सुनिश्चित कर दिया कि इस प्रस्ताव से जुड़ी कोई भी राशि अब रिलीज नहीं होगी। यह फैसला भक्तों और स्थानीय समाज की लंबे समय से की जा रही मांगों को मजबूती देता है।

गोशालाओं को फंड देने पर रोक

पिछले कुछ समय से सांवलियाजी के भंडार से गोशालाओं और अन्य धार्मिक संस्थाओं को राशि देने की मांग बढ़ रही थी। जनप्रतिनिधियों, धर्मगुरुओं और सामाजिक संस्थाओं ने कई बार इस दिशा में दबाव बनाया। कोर्ट के फैसले के बाद अब ऐसे प्रयास रुक जाएंगे।

अन्य मंदिरों के लिए भी जगी उम्मीद

सांवलिया जी मंदिर से जुड़े करोड़ों रुपए के भंडार को लेकर आए ऐतिहासिक फैसले ने प्रदेश के अन्य बड़े मंदिरों में भी नई उम्मीद जगा दी है। इस निर्णय के बाद खाटूश्यामजी और सालासर बालाजी मंदिर जैसे अन्य मंदिरों के श्रद्धालुओं में उत्साह देखा जा रहा है। इन प्रमुख थार्मिक स्थलों पर भी लंबे समय से मांग उठती रही है कि यहां चढ़ने वाली बड़ी धनराशि को राजनीतिक उपयोग या अन्य बाहरी योजनाओं में खर्च न किया जाए। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस राशि का उपयोग स्थानीय सुविधाओं, दर्शन व्यवस्था, सुरक्षा, पार्किंग, चिकित्सा व्यवस्था और धार्मिक पर्यटन को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए। सांवलिया जी मामले में आए इस फैसले ने अब खाटूश्यामजी और सालासर मंदिरों के लिए भी रास्ता खोला है।

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