Tuesday, August, 12,2025

सीएम से बातचीत के बाद मंडियों की हड़ताल समाप्त

जयपुर: राजस्थान में कृषक कल्याण शुल्क बढ़ोतरी के विरोध में शुरू हुई मंडियों की चार दिवसीय हड़ताल बुधवार देर रात मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद समाप्त हो गई। इससे पहले बुधवार को दिनभर राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ की अगुवाई में प्रदेश की 247 मंडियां पूरी तरह बंद रहीं। हड़ताल के समर्थन में तेल मिल, दाल मिल, आटा मिल और मसाला उद्योगों ने भी कारोबार ठप रखा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बुधवार शाम 7:30 बजे संघ के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए आमंत्रित किया।

बैठक में संघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता और विभिन्न प्रकोष्ठों के पदाधिकारी शामिल हुए। प्रतिनिधिमंडल का वन मंत्री संजय शर्मा ने मार्गदर्शन में नेतृत्व किया। मुख्यमंत्री ने वार्ता में घोषणा की कि कृषक कल्याण शुल्क 1% के बजाय 0.50% ही लागू रहेगा, और अन्य लंबित समस्याओं के समाधान के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इस सकारात्मक आश्वासन के बाद संघ ने हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की।

किसानों के हित में लिया फैसला

इससे पहले कृषक कल्याण शुल्क को 0.50% से बढ़ाकर 1% करने के फैसले को लेकर सरकार ने दावा किया था कि इससे प्राप्त अतिरिक्त राजस्व का उपयोग मंडियों के आधुनिकीकरण, कृषि आधारभूत ढांचे और किसान केंद्रित योजनाओं में होगा। शुल्क को अस्थायी से स्थायी बनाए जाने से सरकार को स्थायी आय मिलेगी, जिससे दीर्घकालिक योजनाएं लागू करना आसान होगा। हालांकि सीएम ने बुधवार को व्यापारियों से वार्ता के बाद कृषक कल्याण शुल्क को 0.50% ही रखने के आदेश दिए हैं।

मंडियों में पसरा सन्नाटा

हड़ताल से बुधवार को मंडियों में मिला-जुला असर देखा गया। कई मंडियों में सन्नाटा पसरा रहा और आटा, दाल, तेल, मसाले जैसे खाद्य पदार्थों की खरीद-बिक्री ठप रही। राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि हड़ताल के चलते जोधपुर की बासनी और जीरा मंडी में भी कारोबार पूरी तरह बंद रहा। प्रदेश की अन्य मंडियों में पूरे दिन कामकाज ठप रहा।

उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ

राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार महासंघ के चेयरमैन बाबूलाल गुप्ता ने कहा कि एक ही टर्नओवर पर मंडी टैक्स और कृषक कल्याण शुल्क लगाना कानून के खिलाफ है, जिससे व्यापारियों पर दोहरा आर्थिक बोझ पड़ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि यह कदम न केवल उनके लाभ को घटा रहा है, बल्कि उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ा रहा है। इससे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है और किसानों को भी उपज बेचने में दिक्कत हो रही है। आयातित जिंसों पर शुल्क से प्रतिस्पर्धा भी कमजोर होगी।

व्यापारियों की मांगें

  • कृषक कल्याण शुल्क को अगले तीन साल तक 0.50% पर स्थिर रखा जाए।
  • आयातित कृषि जिंसों और चीनी पर मंडी टैक्स व कृषक कल्याण शुल्क हटाया जाए।
  • मोटे अनाज पर 2.25% आढ़त लागू की जाए।
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