Tuesday, December, 16,2025

मुख्य सचिव की दिलचस्पी और प्राथमिकताओं के कारण रेवेन्यू बोर्ड के 'अच्छे दिन' फिर आने की उम्मीद

जयपुर: लगता है बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के 'अच्छे दिन' आ गए हैं। जानकारों का मानना है कि 2017-18 का वी. श्रीनिवास का 14 महीने का चेयरमैन का अल्प कार्यकाल बोर्ड का 'गोल्डन पीरियड' था। उन 14 महीनों में बोर्ड के काम-काज का कायाकल्प हुआ था और इसकी प्रतिष्ठा ने नई ऊंचाइयां छुई थीं।

अब जबकि वी. श्रीनिवास मुख्य सचिव बने हैं, तो बोर्ड पर उनका 'फोकस' देखने को मिल रहा है। बोर्ड को फिर से नई ऊंचाई पर पहुंचाना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। इसकी बानगी आईएएस की ताजा तबादला सूची में देखने को मिली भी है। सूची में एक साथ 4 आईएएस को मेंबर की जिम्मेदारी के साथ अजमेर भेजा गया है। लंबे अंतराल के बाद बोर्ड में आईएएस के 7 मेंबर के कोटे के बदले अब 6 मेंबर काबिज हैं। पूर्व में बमुश्किल 2 या 3 मेंबर ही आईएएस कोटे के रहते थे। कोई आईएएस अजमेर जाने को राजी नहीं होता था।

जानकार सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही चेयरमैन को कुर्सी पर भी बदलाव संभव है। पूर्व की परंपरा के अनुसार आईएएस कॉडर के किसी एसीएस स्तर के आईएएस को चेयरमैन बनाया जाएगा। यहां यह बताना सामयिक होगा कि वी. श्रीनिवास ने अपनी चेयरमैनशिप में बोर्ड के काम-काज में कई नवाचार और आमूल-चूल बदलाव किए थे।

वी. श्रीनिवास ने राजस्व न्यायालय प्रशासन में 'डिजिटल राजस्व मंडल' पहल के माध्यम से पहली डिजिटल क्रांति की शुरुआत की। उनके बदलावों का मुख्य उद्देश्य आधुनिकीकरण, पारदर्शिता और न्याय प्रदान करने की गति में सुधार पर केंद्रित था। उनके प्रयास जमीन-संबंधी मामलों में समयबद्ध और पारदर्शी न्याय प्रदान करने के
लिए एक नेशनल रोडमैप प्रदान करने की व्यापक दृष्टि का हिस्सा थे।

उल्लेखनीय बात तो यह है कि थी. श्रीनिवास के जाने के बाद उनके द्वारा किए गए नवाचार और अच्छे काम साल-दर-साल शिथिल और कमजोर पड़ते चले गए। उल्टे हुआ यह कि बोर्ड का काम-काज न केवल पटरी से उतर गया बल्कि बोर्ड के कमरों में भ्रष्टाचार ने अपने पैर पसार लिए। एसीबी के छापों, मेंबर्स की धरपकड़ और चेयरमैन के कमरों की तलाशी ने बोर्ड की गरिमा और प्रतिष्ठा को धूल में मिला दिया। यहां तक कि चेयरमैन तक भी शक के घेरे में आ गए थे। इस क्रम में अच्छी बात यह हुई कि नई आई भजनलाल शर्मा सरकार ने वरिष्ठता की परंपरा को दरकिनार कर प्रमुख सचिव स्तर के एक योग्य, निपुण, कर्मठ और परिणामोन्मुखी अफसर हेमंत गेरा को चेयरमैन बनाकर अजमेर भेजा। सरकार का यह जोखिम भरा प्रयोग सफल साबित हुआ। 1997 बैच के आईएएस हेमंत गेरा ने सितंबर 2024 में चार्ज संभालने के बाद से 14 महीनों में बोर्ड के काम-काज को दशा-दिशा सुधारने में आशातीत प्रयास किए हैं और सफलता हासिल की है। वी. श्रीनिवास ने जो मापदंड कायम किए थे, उन्हें काफी हद तक पुनस्थापित किया है।

केसेज का मासिक निस्तारण एक हजार से ज्यादा होने लगा है। कोर्ट का सीटिंग टाइम औसत 5 घंटे प्रतिदिन हो गया है। फैसलों में पारदर्शिता नजर आने लगी है। पुरानी पेंडेंसी कम हुई है और पक्षकार तथा एडवोकेट्स सहज दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि मुख्य सचिव वी. श्रीनिवास की दिलचस्पी और उनकी प्राथमिकता में शामिल होने से बोर्ड ऑफ रेवेन्यू का 'गोल्डन पीरियड' फिर आएगा।

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