Friday, December, 26,2025

अरावली पर रार, भाजपा-कांग्रेस ने साधे एक-दूसरे पर निशाने

जयपुर: अरावली पर्वतमाला की परिभाषा और अवैध खनन को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद चरम पर पहुंच गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर खनन माफिया से सांठगांठ का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत को भ्रम फैलाने का दोषी ठहराया। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ कांग्रेस ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें सरकार को कड़ी चेतावनी दी गई। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव और राजेंद्र राठौड़ के बयानों पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा सरकार प्रदेश के भविष्य से खिलवाड़ कर अरावली को माफियाओं के हवाले करना चाहती है।

उन्होंने बताया कि 2003 में विशेषज्ञ समिति ने आजीविका और रोजगार के दृष्टिकोण से 100 मीटर' की परिभाषा की सिफारिश की थी, जिसे राज्य सरकार ने 16 फरवरी 2010 को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा। लेकिन कोर्ट ने इसे 19 फरवरी 2010 को खारिज कर दिया। गहलोत ने पूछा कि 14 साल पहले खारिज हो चुकी इस परिभाषा को लेकर 2024 में भाजपा सरकार ने केंद्र सरकार की समिति से सिफारिश क्यों की? उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने कोर्ट के आदेश का सम्मान किया और फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से मैपिंग करवाई। साथ ही, अवैध खनन रोकने के लिए रिमोट सेंसिंग का उपयोग शुरू किया, 15 जिलों में सर्वे के लिए 7 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया और पुलिस अधीक्षक व जिला कलेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी।

कांग्रेस सरकार ने वसूला था 464 करोड़ रुपए का जुर्माना

गहलोत ने अवैध खनन के खिलाफ कांग्रेस की 'जीरो टॉलरेंस' नीति का जिक्र करते हुए आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार (2019-2024) ने 464 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला, जो भाजपा सरकार (2013-2018) के 200 करोड़ से दोगुना है। साथ ही, 5 साल में 4,206 एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें 2019 में 930, 2020 में 760 और 2021 में 1,305 शामिल हैं। वहीं, भाजपा सरकार के पहले साल (2024) में केवल 508 एफआईआर दर्ज हुई, जो कार्रवाई की धीमी गति दर्शाती हैं।

गहलोत अरावली पर भ्रम फैला रहे: राठौड़

भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के खिलाफ भ्रम फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अरावली की 100 मीटर ऊंचाई वाली परिभाषा कांग्रेस शासनकाल में ही लागू हुई थी और 2003 में जिलेवार नक्शे गहलोत के मुख्यमंत्री रहते जारी किए गए थे। राठौड़ ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिशें स्वीकार कीं, जिसमें 100 मीटर ऊंची भू-आकृतियों को 'अरावली हिल्स' माना गया। उन्होंने कहा कि अरावली का 25% हिस्सा अभयारण्यों में है, जहां खनन प्रतिबंधित है और केवल 2.56% क्षेत्र नियंत्रित खनन के दायरे में है। राठौड़ ने गहलोत के '90% अरावली समाप्त हो जाएगी' दावे को असत्य बताया और कहा कि 100 मीटर मानदंड ढलानों और 500 मीटर के बीच के क्षेत्रों को भी कवर करता है। उन्होंने भूपेंद्र यादव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अरावली सुरक्षित है और सरकार पर्यावरण संतुलन सुनिश्चित करेगी। केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी सार्वजनिक मंच पर स्पष्ट कर दिया है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से अरावली पर्वतमाला पर कोई आंच नहीं आएगी। प्रेसवार्ता में विधायक कुलदीप धनखड़, महेन्द्र पाल मीणा, प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रमोद वशिष्ठ उपस्थित रहे।

कांग्रेस ने निकाला पैदल मार्च

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कांग्रेस ने जयपुर में पैदल मार्च निकाला। पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने उनके आवास से सिविल लाइंस होते हुए अंबेडकर सर्किल तक मार्च किया और 45 मिनट का मौन सत्याग्रह किया। खाचरियावास ने कहा कि केंद्र सरकार की गलत रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया, जो मंजूर नहीं। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर दम है तो अरावली में खुदाई करके दिखाएं, जनता आक्रोशित है। साथ ही, जब तक कोर्ट फैसला वापस नहीं लेता, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने राजेंद्र राठौड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सरकार नहीं हैं और भाजपा गहलोत को बदनाम कर रही है, जबकि फैसला 2024 में मोदी सरकार के समय का है। पैदल मार्च में जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष आर. आर. तिवाड़ी, पूर्व अध्यक्ष अर्चना शर्मा, पुष्पेंद्र भारद्वाज, पूर्व विधायक गंगा देवी समेत कई नेता मौजूद रहे।

 

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