Friday, June, 27,2025

रणथंभौर में बाघों के हमले में अब तक 21 से अधिक लोगों की गई जान

जयपुर: रणथंभौर टाइगर रिजर्व में दुखद घटना में बाघ के हमले में रेंज अधिकारी देवेंद्र चौधरी की मौत हो गई। यह घटना मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को एक बार फिर उजागर करती है। 38 वर्षों में रणथंभौर में बाघों के हमले में अब तक 21 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इसके पीछे बढ़ता पर्यटन, जंगल में मानव प्रवेश और बाघों की बढ़ती आबादी जैसे कारण जिम्मेदार हैं। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में सुरक्षा और प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है और प्रशासन व वन विभाग को मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने होंगे।

14-15 बाघ और उनके शावक सक्रिय

डीसीएफ डॉ. रामानंद भाकर ने बताया कि इस क्षेत्र में 14-15 बाघ और उनके शावक सक्रिय हैं, जिससे सुरक्षा चुनौतियां बढ़ गई हैं। वन विभाग ने फिलहाल आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन बाघों की निगरानी और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

विशेष मुआवजा पैकेज पर चर्चा का आश्वासन

राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मृतक देवेंद्र चौधरी के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें एक महीने का वेतन देने की घोषणा की। उन्होंने वन मंत्री और मुख्यमंत्री से विशेष मुआवजा पैकेज की चर्चा करने का भी आश्वासन दिया।

इकलौते थे देवेंद्र चौधरी

देवेंद्र चौधरी, जिन्होंने हाल ही में रेंजर के पद पर प्रमोशन प्राप्त किया था, अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। उनके परिवार में एक डेढ़ साल का बेटा भी है। आठ साल पहले उन्होंने अपने पिता की जगह वनपाल के रूप में नौकरी शुरू की थी और हाल ही में रेंजर के पद पर प्रमोशन पाया था।

बाघिन अन्वी का शिकारी स्वभाव

बाधिन अन्वी की स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। वह लगातार शिकार की कोशिश कर रही है और अब इंसानों को भी अपनी शिकार की सूची में शामिल कर लिया है। 16 अप्रैल को अन्वी ने मासूम कार्तिक को सिर से पकड़कर हमला किया था। वहीं अब रेंजर पर हुए इस हमले ने बाघों के शिकारी स्वभाव को एक बार फिर उजागर कर दिया है। सूत्रों का दावा है कि बाधिन T-84 (एरोहेड) को कई दिनों से मीट नहीं दिया गया था, जिससे उसकी भूख और आक्रामकता बढ़ गई। अपनी मां और खुद के पेट को भरने के लिए अन्वी इंसानों पर भी हमला कर रही है। इसके साथ ही, सिंह द्वार, जोगी महल, परनिया मोड़, और राजबाग जैसे क्षेत्रों में बाघों का लगातार मूवमेंट देखा जा रहा है।

बार-बार ट्रैंकुलाइज से बाघ हो गए हैं हिंसक

रणथंभौर टाइगर रिजर्व में एक और दहलाने वाली घटना ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को एक नई दिशा में खड़ा कर दिया है। इस बार बाघ T-120 (गणेश) और बाघिन T-84 (एरोहेड) की स्थिति के कारण इंसानों की जान को खतरा बढ़ गया है। ट्रैंकुलाइज गन से बार-बार एंटीबायोटिक दिए जाने के कारण बाघों का स्वभाव आक्रामक हो गया है और अब इन बाघों ने इंसानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। बाघ T-120 (गणेश) को मीट की जगह बार-बार ट्रैकुलाइज गन से एंटीबायोटिक दिए जा रहे हैं, जिससे उसका स्वभाव हिंसक हो गया है। इसके अलावा बाघिन T-84 (एरोहेड) को लंबे समय से बोन ट्यूमर से जूझना पड़ रहा है और उसकी बेटी अन्वी के दाएं कंधे पर घाव में कीड़े पड़ गए हैं। यह स्थिति बाघों को और भी आक्रामक बना रही है, क्योंकि वे भूख के कारण शिकार की तलाश में आक्रामक हो गए हैं।

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