Tuesday, August, 12,2025

आदिवासी इलाकों में हैं हालात बदतर कुछ जिलों पर ही भामाशाह मेहरबान

जयपुर: झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में शुक्रवार को हुए दिल दहला देने वाले स्कूल हादसे के बाद सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में राजस्थान में भामाशाहों ने सरकारी स्कूलों के लिए 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का दान दिया, जबकि सरकार ने जर्जर भवनों की मरम्मत, नए भवनों के निर्माण और टॉयलेट जैसी सुविधाओं के लिए इतने ही वर्षों में 1,675 करोड़ रुपए आवंटित किए। इसके बावजूद प्रदेश के हजारों सरकारी स्कूल आज भी जर्जर स्थिति में हैं, जहां छतें टपक रही हैं, दीवारें गिरने के कगार पर हैं और बच्चे हर पल खतरे में पढ़ रहे हैं।
प्रदेश के आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में भामाशाहों का योगदान न के बराबर रहा है।

शेखावाटी, कोटा और राजसमंद जैसे जिले जहां से व्यवसायी या दानदाता निकले हैं, वहां के ही स्कूल विशेषकर संवर पाए हैं। इससे दूर दराज के स्कूल उपेक्षित रह गए। विशेषज्ञों का कहना है कि भामाशाह योजना के तहत दान का समुचित वितरण नहीं हो पाया और ग्रामीण स्कूलों की अनदेखी ने झालावाड़ जैसी त्रासदियों को जन्म दिया। प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्कूलों की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। स्कूलों की मरम्मत और सुधार का जिम्मा सर्व शिक्षा अभियान (समसा) के पास है, लेकिन बजट का वितरण सही तरीके से नहीं हो पाया। शिक्षा विभाग ने हाल ही में 8,000 जर्जर स्कूलों की मरम्मत के लिए 175 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन राशि अब तक स्वीकृत नहीं हुई। वहीं विभाग ने 14 जुलाई, 2025 को सभी जिलों को मानसून से पहले स्कूल भवनों की जांच और मरम्मत के निर्देश दिए थे, लेकिन इनका पालन नहीं हुआ।

बेहतर प्लानिंग से संवर सकता है स्कूलों का भविष्य

प्रदेश के स्कूलों में जर्जर भवनों की समस्या गंभीर है। बेहतर योजना और मजबूत इंजीनियरिंग विंग की आवश्यकता है। राउंड टेबल इंडिया के करुण मोदी बताते हैं कि उनकी संस्था आर्किटेक्ट्स से नक्शे तैयार करवाकर टिकाऊ और सुरक्षित स्कूल भवन बनवाती है, जिससे भविष्य में जर्जर होने का खतरा कम होता है। वर्तमान में कई ग्रामीण इलाकों में बिना योजना के स्कूल भवन बनाए जाते हैं, जो जल्दी खराब हो जाते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि शिक्षा विभाग को अपनी इंजीनियरिंग विंग स्थापित करनी चाहिए, जो आर्किटेक्ट्स के साथ मिलकर मानक डिजाइन तैयार करे। टुकड़ों में काम करने के बजाय एकीकृत योजना से भवन निर्माण हो, जिसमें गुणवत्ता और सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।

नहीं रुक रहे हादसे

स्कूलों की जर्जर स्थिति को उजागर करती घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। झालावाड़ के खानपुर में मऊ बोरदा ग्राम पंचायत के अनुसूचित जनजाति छात्रावास का छज्जा भारी बारिश के कारण टूट गया। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। सवाई माधोपुर के बामनवास ब्लॉक के बाढ़ मोहनपुर गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में रविवार को बिजली कड़कने के बाद बरामदे और कमरों की छत का प्लास्टर गिर गया। रविवार का अवकाश होने से बड़ा हादसा टल गया। चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के हरदेसर गांव के राजकीय विद्यालय का बरामदा मरम्मत के दौरान गिर गया, जिसके नीचे दबने से मजदूर घायल हो गया। सौभाग्य से स्कूल में विद्यार्थी नहीं थे, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।

एक्शन... जिला शिक्षा अधिकारी सहित कई निलंबित

हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने सख्त कार्रवाई करते हुए झालावाड़ के प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी नरसी मीणा, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार बालासोरिया, पूर्व सीबीईईओ चंद्रशेखर लुहार, मनोहरथाना के पीईईओ प्रभुलाल कारपेंटर, समग्र शिक्षा के सहायक अभियंता झालावाड़ और तत्कालीन पीईईओ राधेश्याम मीणा को निलंबित कर दिया। मनोहरथाना के संविदा कनिष्ठ अभियंता की सेवाएं समाप्त कर दी गई। इससे पहले 5 शिक्षकों को भी निलंबित किया गया था। पूरे प्रदेश में अब 2,256 जर्जर स्कूल भवनों की जांच तेज कर दी गई है।

पटरी पर लौटने लगा जनजीवन

पीपलोदी गांव में 25 जुलाई को सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और अन्य के घायल होने की घटना के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। जिला एसपी अमित कुमार और कलेक्टर अजय सिंह ने परिजनों से मिलकर ढांढस बंधाया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

अस्पताल में हंगामा, नरेश मीणा गिरफ्तार

एसआरजी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संजय पोरवाल और अस्पताल अधीक्षक अशोक शर्मा की शिकायत पर नरेश मीणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। मीणा पर अस्पताल में हंगामा और अभद्र व्यवहार का आरोप है। जांच के बाद पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया।

कंटेनर में चलेंगी कक्षाएं, प्रदेशभर में होगा भवनों का सर्वे

हादसे के बाद शिक्षा विभाग ने पूरे प्रदेश के स्कूल भवनों का सर्वे करवाने का निर्णय लिया है। जिला कलेक्टरों के माध्यम से भवनों की जांच कर लाल रंग से चिह्नित कर उन्हें बंद किया जाएगा। विकल्प के तौर पर कंटेनरों में कक्षाएं संचालित की जाएंगी। कुछ स्थानों पर नए भवन बनने तक भी इसी तरह की व्यवस्था रहेगी। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने रविवार को अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक में योजना की समीक्षा की। अब सभी जर्जर भवनों का डेटा जीआईएस आधारित एप में दर्ज कर 'शाला दर्पण' पोर्टल से जोड़ा जाएगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से भवनों की सुरक्षा - का विश्लेषण कर बजट आवंटन होगा। आपदा राहत मद से 170 तहसीलों के 7,500 स्कूलों की मरम्मत के लिए 150 करोड़ रुपए के प्रस्ताव स्वीकृत होंगे।

निर्माण की गुणवत्ता जांचने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत एक अलग प्रकोष्ठ बनेगा और पीडब्ल्यूडी की लैब से परीक्षण कराया जाएगा। मंत्री ने चेताया कि घटिया निर्माण पाए जाने पर ठेकेदार और अभियंता से वसूली की जाएगी। निजी स्कूलों का भी सर्वे होगा, जिसमें वाहनों की फिटनेस और चालकों की मेडिकल जांच शामिल है। स्कूल समितियों को प्राथमिक उपचार और अग्निशमन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर विधायकों व सांसदों से उनके विकास कोष की 20 प्रतिशत राशि शिक्षा क्षेत्र में देने की मांग की जाएगी।

 

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