Wednesday, August, 13,2025

राजस्थान बना विकेन्द्रित सौर ऊर्जा का देश में प्रमुख हब: भजनलाल

जयपुर: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर अग्रसर है। सौर ऊर्जा के साथ-साथ विकेन्द्रित सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी प्रदेश देश का प्रमुख हब बनकर उभर रहा है। बीते लगभग एक वर्ष में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

यह प्रगति प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम योजना) के प्रभावी क्रियान्वयन से संभव हुई है। इसकी बदौलत प्रदेश में कुल 1305 मेगावाट क्षमता के 684 विकेन्द्रित सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल और त्वरित निर्णय क्षमता का ही परिणाम है कि इनमें से 1190 मेगावाट क्षमता के 592 प्लांट मात्र एक वर्ष में स्थापित किए जा चुके हैं। योजना के कंपोनेंट-ए में अधिकतम 2 मेगावाट तथा कंपोनेंट-सी में अधिकतम 5 मेगावाट क्षमता के ग्रिड कनेक्टेड प्लांट लगाए जाने का प्रावधान है। कंपोनेंट-सी में संयंत्र स्थापित करने पर केंद्र सरकार द्वारा प्रति मेगावाट अधिकतम 1 करोड़ 5 लाख रुपए (लागत का 30 प्रतिशत) की सहायता देय है। काबिलेगौर है कि ये प्लांट बड़े उद्योगपतियों या वाणिज्यिक समूहों द्वारा नहीं, बल्कि किसान स्वयं अथवा किसी डेवलपर के साथ मिलकर खेतों के समीप
अपनी अनुपजाऊ भूमि पर स्थापित कर रहे हैं। इन संयंत्रों से किसान अब अन्नदाता के साथ साथ ऊर्जादाता भी बन रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता का नया युग प्रारंभ हुआ है।

डिस्कॉम्स को मिल रही सस्ती बिजली

कुसुम योजना के तहत बड़े-बड़े सोलर प्लांट्स के बजाय ग्रिड कनेक्टेड लघु क्षमता के संयंत्र लगाए जाते हैं। योजना में ग्रिड सब स्टेशन से अधिकतम 5 किलोमीटर के दायरे में प्लांट लगाने का प्रावधान है। इससे उत्पादित बिजली का उपयोग उसी ग्रि स्टेशन पर होने से वितरण कंपनियों को अतिरिक्त वितरण या प्रसारण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे वितरण हानियां न्यूनतम होती हैं और डिस्कॉम्स को सस्ती व प्रदूषण रहित बिजली मिलती है। प्रदेश में कुसुम कंपोनेंट-ए के तहत 457 मेगावाट क्षमता के 354 संयंत्र और कंपोनेंट-सी में 848 मेगावाट क्षमता के 330 संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। यह प्रगति इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दिसंबर 2023 में वर्तमान सरकार के गठन से पूर्व दोनों घटकों को मिलाकर मात्र 123 मेगावाट क्षमता सृजित हो पाई थी।

पूर्व सरकार के समय कंपोनेंट-ए में 119 मेगावाट के 91 प्लांट, जबकि कंपोनेंट-सी में केवल 4 मेगावाट क्षमता का एक ही प्लांट स्थापित हो सका था। भारत सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राजस्थान में योजना के सफल क्रियान्वयन को देखते हुए कंपोनेंट-ए में वर्ष 2024-25 में 397 मेगावाट और 2025-26 में 5000 मेगावाट क्षमता का आवंटन बढ़ाया है। वहीं कंपोनेंट-सी में दोनों वर्षों में कुल 2 लाख सोलर पंप की अतिरिक्त क्षमता का आवंटन किया गया है। केंद्र ने राजस्थान को अब तक कंपोनेंट-ए में कुल 5500 मेगावाट और कंपोनेंट-सी में 4 लाख सोलर पंप का लक्ष्य आवंटित किया है। पूर्व में कंपोनेंट-ए का क्रियान्वयन राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम करता था, लेकिन 23 जुलाई 2024 से इसे वितरण कंपनियों को सौंप दिया गया है।

2027 तक किसानों को दिन में मिलेगी बिजली

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश के किसानों को वर्ष 2027 तक कृषि कार्यों के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में यह योजना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब तक स्थापित संयंत्रों से लगभग 1 लाख किसानों को दिन में बिजली मिल रही है। करीब 90 हजार करोड़ के घाटे से जूझ रहे डिस्कॉम्स पर महंगी बिजली खरीद और थर्मल प्लांट्स की महंगी बिजली का ऋणभार है। ऐसे में मात्र ढाई से 3 रुपए प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली मिलना डिस्कॉम्स के लिए बड़ी राहत है। जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम्स को 2.09 से 3 रुपए प्रति यूनिट में सस्ती, सुलभ और शून्य कार्बन उत्सर्जन आधारित बिजली मिल रही है।

जोधपुर विद्युत वितरण निगम अव्वलः प्रदेश में कुसुम योजना के तहत जयपुर डिस्कॉम में 169.22 मेगावाट, जोधपुर डिस्कॉम में 997.50 मेगावाट और अजमेर डिस्कॉम में 137.33 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित हो चुकी हैं।

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