Friday, June, 27,2025

ब्लैक मेलिंग के आरोपी सतीश कट्टा को हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत

जयपुर: आपने अक्सर सुना होगा कि कानून के हाथ लंबे होते हैं। ऐसा यूं ही नहीं कहा जाता। अपराधी चाहे कितना भी शातिर हो वह कानून की नजरों से कभी नहीं बच सकता। कभी न कभी अपने अपराधों का हिसाब चुकाने के लिए मजबूर हो ही जाता है। पुलिस को भले ही अपराधी को पकड़ने में देर हो जाए, लेकिन आखिरकार वह अपने मिशन में सफल हो ही जाती हैं। राजधानी जयपुर में अवैध वसूली, फर्जीवाड़ा और ब्लैक मेलिंग से जुड़े एक संगीन मामले में आरोपी सतीश कट्टा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है, जहां एक ओर राजस्थान हाई कोर्ट ने सतीश कट्टा की जमानत याचिका पर सुनवाई टालते हुए 3 जून को फिर से सुनवाई तय की है, वहीं दूसरी ओर ट्रायल कोर्ट ने रविवार को आरोपी सतीश कट्टा की रिमांड अवधि 2 दिन के लिए बढ़ा दी है। ऐसे में पुलिस ने उसे तीसरी बार रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

1.10 करोड़ देने के लिए कई बार दी धमकी

सतीश कट्टा और मधुलिका ने परिवादी को एक करोड़ 10 लाख 50 हजार देने के लिए कई बार धमकी दी। इसके बाद परिवादी ने 30 मई 2022 को सबसे पहले सतीश कट्टा, अंकिता कट्टा, राघव कट्टा और मधुलिका गोयल, दिनेश गोयल और सारांश गोयल के खिलाफ ज्योति नगर थाने में धोखाधडी एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार करने की FIR दर्ज करवाई। लगभग 8-9 महीने के बाद मधुलिका गोयल ने भी अपने बचाव में गांधीनगर थाने में एक FIR 12 जनवरी 2023 को सतीश कट्टा, राघव कट्टा, अंकिता कट्टा के खिलाफ दर्ज कराई। इसके बाद 2024 के आखिर में सतीश कट्टा और मधुलिका गोयल ने सभी मुकदमे चेक अनादरण के विड़ों कर लिए और आपसी सहमति से राजीनामा कोर्ट में पेश कर दिया। ये सब कृत्य इन्होंने एक साजिश के तहत किया।

कंपनी का डायरेक्टर बनाने का दिया प्रस्ताव

सतीश कट्टा और उसकी पत्नी सुमन कट्टा हिंदुस्तान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी को निदेशक के पद पर रहते हुए चला रहे थे। 12 सितंबर 2012 को सतीश कट्टा ने परिवादी को छलपूर्वक अपनी कंपनी में पैसे इन्वेस्ट कराने के बाद डायरेक्टर बनाने का प्रस्ताव दिया। इस पर परिवादी ने 4 करोड 50 लाख रुपए की राशि कंपनी के व्यापार में लगा दी। पैसा लगाने के बाद परिवादी को सतीश कट्टा ने अपनी कंपनी में अतिरिक्त निदेशक का पद दे दिया क्योंकि नियमानुसार सीधे तौर पर कंपनी का निदेशक नहीं बनाया जा सकता। इसलिए 6 महीने के लिए अतिरिक्त निदेशक बना दिया, लेकिन 6 महीने गुजरने के बाद भी अतिरिक्त निदेशक से निदेशक बनाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई। 2013 में सतीश कट्टा ने एकतरफा आदेश निकालकर कंपनी को बंद कर दिया।

सतीश कट्टा और सुमन कट्टा का दायित्व था कि दोनों रिटर्न भरें लेकिन, सतीश कट्टा ने कंपनी की रिटर्न भरना इत्यादि सब कुछ बंद कर दिया। इसके कारण 2018 में मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने कंपनी को स्ट्राइक ऑफ करते हुए डिजॉल्व कर दिया क्योंकि जब कंपनी स्ट्राइक ऑफ हो गई तो कंपनी का अस्तित्व ही खत्म हो जाता है। इन सब जानकारी के बावजूद सतीश कट्टा ने मधुलिका गोयल के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए। इन कूटरचित दस्तावेजों को MoU के जरिए 22 अप्रैल 2019 को सतीश कट्टा और मधुलिका गोयल ने आपसी सहमति से अमलीजामा पहनाया।

कंपनी बंद होने बाद भी पोस्ट डेटेड 13 चेक जारी

MoU के जरिए जिसमें हिंदुस्तान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने मधुलिका गोयल के साथ एग्रीमेंट साइन किया। उसमें सतीश कट्टा ने अपनी बेटी अंकिता कट्टा की ही फर्म साइन इंपैक्ट और अन्य खातों में 58 लाख 50 हजार रुपए ले लिए और इस इनवेस्टमेंट में पैसे को दो साल में दोगुना करने की कहानी भी गढ़ दी। फिर 24 जनवरी 2020 को सतीश कट्टा ने एक शपथपत्र तैयार किया और अपने ही बेटे राघव कट्टा को गवाह बना लिया। शपथपत्र में सतीश कट्टा ने MoU में जो कहानी लिखी थी उसी को दोहरा दिया। सतीश कट्टा ने अपनी बेटी अंकिता कट्टा की फर्म में पैसे ले लिए और 35 लाख रुपए के विभिन्न चेक हिंदुस्तान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के नाम से जारी कर दिए। जबकि हकीकत ये है कि जब कंपनी बंद है तो कोई बंद कंपनी के नाम पर चेक कैसे जारी कर सकता है और बैंक से सतीश कट्टा ने कैसे चेक जारी करवाए। हिंदुस्तान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी के नाम से एक चेक 25 लाख रुपए का जारी हुआ और 9 चेक एक-एक लाख रुपए के इश्यू हुए।

दस्तावेजों के जरिए एक शपथ पत्र से यह भी पता चला कि 33 लाख 50 हजार रुपए मधुलिका गोयल के खाते से सतीश कट्टा की बेटी अंकिता कट्टा की फर्म साइन इम्पैक्ट में डलवा लिए। सतीश कट्टा ने हिंदुस्तान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी बंद होने के बावजूद कंपनी की ओर से पोस्ट डेटेड 13 चेक जारी कर दिए। ये सभी चेक मधुलिका गोयल के नाम जारी किए गए और ये सभी चेक बाउंस हो गए। ऐसे में मधुलिका गोयल ने 2021 में परिवादी के खिलाफ चेक अनादरण के मुकदमे दर्ज करवा दिए। जब मामला कोर्ट में चला तो सतीश कट्टा और मधुलिका गोयल ने आपसी सहमति से राजीनामा पेश कर दिया। इस दौरान एक और हकीकत का खुलासा हुआ कि अदालत में चेक बाउंस की कार्रवाई सतीश कट्टा और मधुलिका ने मिलकर इसलिए की ताकि परिवादी से राशि हड़पी जा सके।

भगोड़ा घोषित होने से पहले किया सरेंडर

फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद सतीश कट्टा लगातार छिपता रहा और पुलिस उसे तलाश करती रही लेकिन जब सतीश कट्टा पूरी तरह से घिर गया और बचाव का कोई रास्ता नहीं दिखा तो 17 मई को सतीश कट्टा ने ज्योति नगर थाने में सरेंडर किया। सरेंडर भी इसलिए किया क्योंकि सतीश कट्टा लगातार अनुपस्थित रहता था। ऐसे में अदालत सतीश कट्टा को भगोड़ा घोषित करने वाली थी। लिहाजा शातिर ठग सतीश कट्टा को कोर्ट ने सरेंडर करना पड़ा।

जांच में सहयोग नहीं करने पर लिया रिमांड

पुलिस ने सतीश कट्टा को गिरफ्तार कर 18 मई को ACJM कोर्ट में पेश किया और रिमांड मांगा। इस पर कोर्ट ने आरोपी सतीश कट्टा को 22 मई तक रिमांड पर भेज दिया। पुलिस ने 22 मई को रिमांड अवधि पूरी होने पर कोर्ट में पेश किया और फिर से रिमांड मांगी। एक बार फिर ACIM कोर्ट ने आरोपी सतीश कट्टा को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया। इसके बाद 25 मई को पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश कर बताया कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और पुलिस को गुमराह कर रहा है। मामले में प्रमुख दस्तावेजों से जुड़ी कोई जानकारी नहीं दे रहा है। ऐसे में आरोपी को फिर से रिमांड पर सौंपा जाए। इस पर कोर्ट ने तीसरी बार सतीश कट्टा को दो दिन के रिमांड पर ज्योति नगर थाना पुलिस को सौंप दिया।

किन दस्तावेजों के सहारे किया फ्राड, जांच में जुटी पुलिस

दरअसल, पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आखिर सतीश कट्टा ने किन दस्तावेजों के सहारे इतना बड़ा फ्राड किया। पुलिस उन दस्तावेजों और चेक को बरामद करना चाहती है जिनके जरिए सतीश कट्टा ने थोखाधड़ी की थी, वो सील भी पुलिस बरामद करना चाहती है, जिसके जरिए धोखाधड़ी की थी। पुलिस ने इसलिए भी रिमांड मांगी है ताकि सतीश कट्टा और मधुलिका गोयल को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ हो सके। क्योंकि परिवादी का आरोप है कि सतीश कट्टा, मधुलिका गोयल के अलावा भी कई अन्य आरोपी इस धोखाधड़ी में शामिल है। ऐसे में अब पुलिस इस पूरे षड्यंत्र की परतें खोलने और अन्य तमाम आरोपियों की संदिग्ध भूमिका की जांच में जुटी हुई है। जांच में सतीश कट्टा को लेकर कई नए खुलासे हो सकते हैं।

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