Friday, June, 27,2025

लॉर्ड मैकाले की शिक्षा प्रणाली ने हमें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर किया

जयपुर: राजस्थान विश्वविद्यालय का 34वां दीक्षांत समारोह गुरुवार को जयपुर के आरआईसी में आयोजित किया गया। समारोह में राज्यपाल व विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा और सांसद अरुण सिंह भी कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान राजस्थान यूनिवर्सिटी के डेढ़ लाख विद्यार्थी सफेद पोशाक धारण कर डिग्रियां लेने पहुंचे। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को पीएच.डी. उपाधियों व स्वर्ण पदक प्रदान किए। इस अवसर पर 124 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 309 विद्यार्थियों को पीएच.डी. की उपाधियां प्रदान की गई, जबकि वर्ष 2023 की परीक्षाओं में उत्तीर्ण हुए 1 लाख 50 हजार 287 विद्यार्थियों को उनकी उपाधियां सौंपी गई। समारोह में राज्यपाल बागडे ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नैतिक मूल्य सदैव शिक्षा का आधार रहे हैं। अंग्रेजी शासन में लॉर्ड मैकाले द्वारा लागू की गई शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों में गुलाम मानसिकता उत्पन्न की, जिससे हम अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर हो गए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति इसी विस्मृत भारतीयता को पुनस्र्थापित करने का माध्यम है, जिसमें नैतिक मूल्यों और भारतीय दर्शन को प्रमुखता दी गई है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की छात्राओं की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि 75 प्रतिशत से अधिक स्वर्ण पदक विजेता बालिकाएं हैं, जो महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत हैं। उन्होंने विवेकानंद, महर्षि अरविंद, झांसी की रानी और भास्कराचार्य जैसे प्रेरणादायी चरित्रों का उल्लेख करते हुए युवाओं को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनने का आह्वान किया।

विकसित भारत के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत

समारोह में उप मुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने उच्च शिक्षा के माध्यम से विकसित भारत की अवधारणा को साकार करने के लिए समन्वित प्रयासों की आवश्यकता जताई। राज्यसभा सांसद अरुण सिंह ने 'ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख करते हुए देश की सैन्य शक्ति और आत्मनिर्भर भारत की छवि की रेखांकित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलगुरु डॉ. अल्पना कटेजा ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक गण, अभिभावक, छात्र-छात्राएं व अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

'कुलपति' के स्थान पर 'कुलगुरु' पदनाम अपनाया

दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में अब 'कुलपति' के स्थान पर 'कुलगुरु' पदनाम अपनाया गया है, जो हमारी सांस्कृतिक गरिमा और शिक्षा की पवित्रता को दर्शाता है। उन्होंने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि रामायण और महाभारत काल में जो तकनीकी सूचनाएं थीं, वे आज की आधुनिक खोजों से कहीं पीछे नहीं थी। देवनानी ने कहा कि प्राचीन भारत के तक्षशिला, नालंदा और विक्रमशिला जैसे शिक्षा केन्द्रों ने उच्च कोटि के बहुविषयक ज्ञान का प्रसार किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर बनें, शील और संस्कारों को आत्मसात करें तथा सनातन संस्कृति व गरीबों के हित में अनुसंधान करें। उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक शक्ति और सांस्कृतिक चेतना को एकजुट कर ही विकसित भारत का सपना साकार किया जा सकता है। साथ ही शिक्षा में नवाचार और आधुनिक तकनीकों के समावेश की आवश्यकता जताई। कृत्रिम बुद्धिमता की चुनौतियों पर चेताते हुए उन्होंने इसके भारतीय मूल्यों के अनुरूप उपयोग की बात कही।

 

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