Friday, September, 26,2025

बदल सकता है बिजली का टैरिफ, राहत संग करंट भी

जयपुर: प्रदेश में बिजली की दरों में बदलाव को लेकर राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) में याचिका दायर की गई है। प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों ने टैरिफ संशोधन को लेकर याचिका दायर की है। इस याचिका पर जनसुनवाई के बाद आयोग निर्णय लेगा, जिसके बाद नई दरें लागू होंगी। सरकार का दावा है कि इस बार सभी श्रेणियों में बिजली के टैरिफ को कम करने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है। हालांकि, स्थायी प्रभार बढ़ाने का भी प्रस्ताव शामिल है, जिससे कुल बिल उपभोग के आधार पर प्रभावित होगा। वहीं, दूसरी ओर राज्य में पानी की दरों में करीब चार गुना तक बढ़ोतरी की गई है। नई व्यवस्था के तहत जितना अधिक जल उपभोग किया जाएगा, उतना ही अधिक भुगतान करना होगा। हालांकि, राज्य सरकार ने साफ किया है कि इस बढ़ी हुई दर का अतिरिक्त भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। सरकार ने घोषणा की है कि वर्तमान दरों पर ही उपभोक्ताओं से बिल वसूला जाएगा। बढ़ी हुई दर का अंतर सरकार द्वारा अनुदान के रूप में वहन किया जाएगा। इस निर्णय से सरकार पर हर साल करीब 2100 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा।

उद्योगों को मिलेगी सस्ती बिजली

औद्योगिक कैटेगरी में मल्टीपल एनर्जी चार्ज के स्थान पर विद्युत शुल्क की एक ही दर रखी गई है। बड़े औद्योगिक श्रेणी में पहले 7 रुपए 30 पैसे विद्युत शुल्क था, जिसे 6 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव है। मध्यम में 7 रुपए प्रति यूनिट थी, जिसे अब कम करके 6 रुपए 50 पैसे करने का प्रस्ताव है। स्मॉल कैटेगरी में दो रेट्स थीं, 6 रुपए और 6 रुपए 45 पैसे प्रति यूनिट, इसको एक करते हुए 6 रुपए प्रति यूनिट करने का प्रस्ताव है।

छोटे उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा भार !

याचिका में पहली बार एक रु. प्रति यूनिट विनियामक अधिभार प्रस्तावित किया गया है, जिसमें फ्यूल सरचार्ज समायोजित होगा। वर्तमान में फ्यूल सरचार्ज औसतन 50 पैसे है। प्रस्तावित टैरिफ से 50 यूनिट तक बिजली उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं पर 25% तक अधिक भार पड़ सकता है। अभी 4.75 रुपए यूनिट दर है, जो बढ़कर 6 रुपए प्रति यूनिट हो सकती है।

BPL व आस्था कार्डधारकों का विलय

प्रदेश में घरेलू श्रेणी के लगभग 1.35 करोड बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें 1 करोड़ 4 लाख घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को राजस्थान सरकार सब्सिडी प्रदान करती है। इन 1 करोड़ 4 लाख उपभोक्ताओं में से 62 लाख उपभोक्ताओं को बिजली खपत के लिए कुछ भी भुगतान नहीं करना होता है, यानी उनका बिजली बिल शून्य है। घरेलू श्रेणी के संबंध में स्लैब का विलय नियामक आयोग के निर्देशों के अनुरूप है। करीब 17 लाख बीपीएल और आस्था कार्डधारक उपभोक्ता हैं। चूंकि विलय किए गए घरेलू स्लैब पर सरकार पहले से सब्सिडी दे रही है, लिहाजा इनके बिलों पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।

पानी की बढ़ी दरों का भार उठाएगी सरकार

जलदाय मंत्री कन्हैयालाल ने बताया वर्ष 2017 से लागू पानी की दरों में सरकार ने वृद्धि नहीं की। वर्ष 2017 से अब तक पेयजल वितरण प्रणाली, संचालन, संधारण एवं रखरखाव लागत में लगभग चार से पांच गुणा वृद्धि हुई है, इस कारण दरें बढ़ाई हैं, लेकिन उपभोक्ताओं से वर्तमान लागू दरों पर ही राशि वसूल की जाएगी। इससे 2100 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा, जो सरकार वहन करेगी।

पीक आवर्स में महंगी बिजली

डिस्कॉम ने 10 किलोवॉट से ज्यादा लोड वाले उपभोक्ताओं पर टाइम ऑफ डे (टीओडी) टैरिफ लगाना प्रस्तावित किया है। इसके अनुसार सुबह 6 से 8 बजे तक बिजली उपभोग पर 5 प्रतिशत और शाम 6 से रात 10 बजे तक बिजली उपभोग पर 10 प्रतिशत ज्यादा शुल्क देना होगा। हालांकि दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक खर्च की गई बिजली पर 10 प्रतिशत की छूट भी मिलेगी। टीओडी का सबसे ज्यादा नुकसान घरेलू उपभोक्ताओं को होगा और फायदा अघरेलू श्रेणी को मिलेगा।

 

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