Sunday, October, 05,2025

हाईटेक दौर में भी हमारे 1.72 लाख किसान कर रहे बैलों से खेती

जयपुर: आधुनिक खेती-किसानी और मशीनीकरण के दौर में राजस्थान में आज भी पारंपरिक तरीके से खेती हो रही है। प्रदेश में करीब पौने दो लाख किसान बैलों से खेती कर रहे हैं। कृषि विभाग द्वारा बैलों से खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि देने के लिए किए गए हालिया सर्वे के मुताबिक, प्रदेश में 1,71,846 किसान अभी भी बैलों से जुताई और खेती कर रहे हैं, जो सरकारी अनुमान से बहुत अधिक हैं। सरकार ने सर्वे से पहले प्रदेश में ऐसे केवल 7,000 किसान होने का अनुमान लगाया था. लेकिन
वास्तविक आंकड़े सामने आने के बाद फिलहाल करीब एक लाख किसानों को 30-30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि देने की योजना पर काम तेज हो गया है। खेती के लिए उत्तर भारत में नागौरी बैल प्रसिद्ध हैं, लेकिन नागौर जिले में एक भी किमान बैलों से खेती करने वाला नहीं मिला। ऐसे में खेती की इस लुप्त होती परंपरा को बनाए रखने और बैलों की घटती संख्या को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा यह नई योजना लाए हैं, जिससे किसान बैलों की जोड़ी रख पाएंगे और यह परंपरा आने वाली पीहियों तक बची रह सकेगी।

दक्षिणी राजस्थान में अब भी बैलों से खेती

सर्वे के आंकड़ों से साफ है कि बैलों से खेती दक्षिणी और आदिवासी बहुल जिलों तक सीमित है, जबकि मशीनीकृत खेती वाले क्षेत्रों में यह लगभग खत्म हो चुकी है। सर्वे में सर्वाधिक संख्या बांसवाड़ा में सामने आई है, जहां अब भी 87,354 किसान बैलों से खेती करते हैं। इसके अलावा उदयपुर में 30,000, डूंगरपुर में 23,488, चित्तौड़गढ़ में 7,942, प्रतापगढ़ में 7,500 और राजसमंद में 5,000, झालावाड़ में 3,739, सलूंबर में 2,600 और भीलवाड़ा में 2,491 किसान बैलों से खेती कर रहे हैं। इन क्षेत्रों में छोटी जोत वाले किसान आर्थिक मजबूरियों के चलते पारंपरिक तरीकों पर निर्भर हैं।

12 जिलों में नहीं मिले बैलों से खेती करने वाले किसान

प्रदेश के 12 जिलों में बैलों से खेती करने वाले किसानों की संख्या शून्य है। इनमें बाड़मेर, हनुमानगढ़, भरतपुर, बीकानेर, जैसलमेर, दौसा, श्रीगंगानगर, जालौर, फलोदी, चूरू, झुंझुनूं और नागौर शामिल हैं। वहीं, अलवर और धौलपुर में एक-एक किसान के पास बैल जोड़ी मिली है जबकि जोधपुर में 3, खैरथल तिजारा में 4, सीकर में 6, कोटा, ब्यावर व बूंदी, में 10-10, जयपुर व दौसा में 13-13 और टोंक में 30 किसान बैलों से खेती करते मिले हैं।

लघु सीमांत किसान ही योजना के पात्र

कृषि विभाग द्वारा योजना में लघु सीमांत कृषकों को 30-30 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सर्वे के अनुसार 1,53,597 लघु सीमांत किसानों को योजना का पात्र माना गया है जबकि करीब 18 हजार सीमांत किसान इस योजना में शामिल नहीं किए जाएंगे। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक 83,590 किसानों को बांसवाड़ा में पात्र माना है। डूंगरपुर में 18,000, उदयपुर में 16,685 और प्रतापगढ़ में 7,500 किसानों को पात्र माना है।

जल्द लिए जाएंगे ऑनलाइन आवेदन

योजना को लेकर पहले कृषि विभाग ने किसानों से ऑफलाइन आवेदन मांगे थे। इसमें 10,991 किसानों ने आवेदन किया था, लेकिन सीएम के निर्देश के बाद ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया रद्द कर अब ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। वित्तीय स्वीकृति के अनुसार जल्द ऑनलाइन आवेदन लेकर कृषि विभाग पात्र किसानों को 30 हजार रुपए प्रति बैल जोड़ी की प्रोत्साहन राशि देगा।

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