Friday, September, 26,2025

दोस्ती के सुरुः पीएम मोदी व शी जिनपिंग की मुलाकात में रिश्तों में सुधार पर जोर

तियानजिन:  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से कहा कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान एवं संवेदनशीलता के आधार पर चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग 2.8 अरब लोगों के कल्याण से जुड़ा है। पीएम मोदी ने उत्तरी चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन के इतर बैठक के अवसर पर टेलीविजन पर प्रसारित अपने वक्तव्य की शुरुआत में कहा कि दोनों पक्षों द्वारा सीमा से सैनिकों को पीछे हटाए जाने से शांति और स्थिरता का माहौल बना। उन्होंने कहा, हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मोदी दो देशों की अपनी यात्रा के दूसरे चरण में शनिवार शाम जापान से यहां पहुंचे। यह मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद मोदी की चीन की पहली यात्रा है।

पीएम मोदी के तीन शब्द... अहम संदेश

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में तीन शब्दों आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के जरिए बड़ा संदेश दिया।

परस्पर विश्वास

यह था संदेश आपसी रिश्तों में चीन को धोखा देने से बाज आए।

क्यों कहा

चीन ने सीमा की शांति व स्थिरता कायम रखने के लिए बनी सहमति को तोड़ा और गलवान जैसी घटना को अंजाम दिया। सीमा पर शांति के वादे का कई बार उल्लंघन किया।

रिश्तों में सम्मान

पीएम मोदी ने ड्रैगन को साफ कर दिया कि भारत पर दबाव नहीं बनाया जा सकता है।

संवेदनशीलता

इसके माध्यम से पीएम मोदी ने चीन को सीधा संदेश दिया कि उसे पाकिस्तान के मुद्दे पर भारत के पक्ष को गंभीरता से लेना होगा।

विशाल भोज के साथ शुरू हुआ SCO शिखर सम्मेलन

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 25 वां शिखर सम्मेलन रविवार रात यहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा आयोजित एक विशाल भोज के साथ औपचारिक रूप से शुरू हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य नेता शामिल हुए। शी जिनपिंग ने अपनी पत्नी पेंग लियुआन के साथ चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के स्वागत के लिए भोज का आयोजन किया। इस वर्ष का शिखर सम्मेलन 10 सदस्यीय समूह का सबसे बड़ा आयोजन है, क्योंकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस सहित 20 विदेशी नेताओं और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है। शिखर बैठक सोमवार को एक विशेष रूप से नामित सम्मेलन केंद्र में आयोजित की जाएगी, जिसे 10 सदस्यीय
समूह के नेता, आमंत्रित नेताओं के साथ संबोधित करेंगे।

पीएम मोदी के भाषण पर रहेगी नजर

शी जिनपिंग से मोदी की मुलाकात और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विभिन्न देशों पर नए शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर उत्सुकता से नजर रखी जाएगी। माना जा रहा है कि इस बैठक से संबंधों के लिए नया खाका तैयार होगा।

SCO पर शांति व स्थिरता की बड़ी जिम्मेदारी

स्वागत भोज पर अपने संबोधन में शी ने कहा कि एससीओ पर क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने तथा बढ़ती अनिश्चितताओं और तेज परिवर्तन की दुनिया में विभिन्न देशों के विकास को बढ़ावा देने की बड़ी जिम्मेदारी है। शी ने विश्वास व्यक्त किया कि सभी पक्षों के सम्मिलित प्रयासों से शिखर सम्मेलन पूर्णतः सफल होगा तथा एससीओ निश्चित रूप से और भी बड़ी भूमिका निभाएगा, सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग को बढ़ावा देने में अधिक योगदान देगा, 'ग्लोबल साउथ' की ताकत को एकजुट करेगा तथा मानव सभ्यता की और अधिक प्रगति को बढ़ावा देगा। 'ग्लोबल साउथ का सदर्भ आर्थिक रूप से कमजोर देशों के समूह के लिए दिया जाता है।

भारत-चीन में 'दोस्ती' ही सही विकल्प: जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रविवार को कहा कि दोनों देशों का 'मित्र' बनना 'सही विकल्प' है और उन्हें सीमा विवाद को अपने संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए। दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर हुई। शी ने मोदी से कहा कि दोनों एशियाई पड़ोसियों को अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और सीमा मुद्दे को समग्र चीन-भारत संबंधों को परिभाषित नहीं करने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि सहयोगी हैं और दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि विकास के अवसर हैं। शी ने कहा कि जब तक दोनों देश इस व्यापक दिशा पर कायम रहेंगे, चीन-भारत संबंध स्थिर और दीर्घकालिक विकास को बनाए रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि 'हाथी (भारत) एवं ड्रैगन (चीन)' को एक-दूसरे की सफलता का मिलकर जश्न मनाना चाहिए।

शी जिनपिंग के भाषण में क्या है खास

  • भारत और चीन को अपने संबंधों को 'रणनीतिक' और 'दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य' से देखना चाहिए।
  • दोनों देशों भारत-चीन को बहुपक्षवाद को बनाए रखना चाहिए।
  • भारत और चीन को एक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बनाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए भी काम करना चाहिए।
  • हमें एशिया एवं दुनिया भर में शांति और समृद्धि में उचित योगदान देने की अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को भी आगे बढ़ाना होगा।
  • भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि सहयोगी हैं और दोनों देश एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बल्कि विकास के अवसर हैं।
  • 'हाथी (भारत) एवं ड्रैगन (चीन)' को एक-दूसरे की सफलता का मिलकर मनाएं जश्न।
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