Tuesday, November, 25,2025

मुख्य सचिव सुधांश पंत वापस दिल्ली जाएंगे, बनाए गए केंद्रीय सामाजिक न्याय सचिव

जयपुर:  मुख्य सचिव सुधांश पंत की अचानक दिल्ली वापसी से समूची ब्यूरोक्रेसी हतप्रभ है। सोमवार देर रात उनकी केंद्रीय सामाजिक न्याय विभाग में सचिव पद पर पोस्टिंग के आदेश ने सबको चौंका दिया। जनवरी 2024 में जयपुर आए पंत ने लगभग दो साल की सफल और यादगार इनिंग खेली है। वे दूसरे आईएएस हैं, जो केंद्र से मुख्य सुधांश पंत सचिव की जिम्मेदारी संभालने राजस्थान आए और टर्म पूरी होने से पहले ही केंद्र में वापस लौट रहे हैं। इससे पहले ऐसा उदाहरण राजीव महर्षि का है। वे फरवरी 2013 में वसुंधरा सरकार के दौरान राजस्थान आए और मात्र 10 माह में अक्टूबर 2014 में वापस लौट गए थे। इससे पहले राजस्थान के मुख्य सचिव के कार्यकाल के बीच ही सुंदर लाल खुराना आपातकाल के समय 1975 में और नरेश चंद्रा 1986 में केंद्र में गए थे। खुराना केंद्रीय गृह सचिव बने तो नरेश चंद्रा केंद्रीय रक्षा, गृह सचिव से लेकर कैबिनेट सचिव तक रहे। सर्वविदित है पंत को केंद्र सरकार ने उस समय राजस्थान भेजा था, जब दिसंबर 2023 में नई बनी सरकार में ब्यूरोक्रेसी की कमान संभालने के लिए अनुभवी, कर्मठ, निपुण और योग्य मुख्य सचिव की जरूरत थी। पंत ने जिम्मेदारी संभालते ही शासन-प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने की मुहिम छेड़ दी थी। वे चाहते थे कि केंद्र की तर्ज पर ही राज्य में राज-काज चले। वे केंद्र से यही 'मेंडेट' लेकर आए भी थे।

अब कौन होगा पंत का उत्तराधिकारी

अब शासन-प्रशासन में पहला सवाल यह पूछा जा रहा है कि सुधांश पंत का उत्तराधिकारी कौन होगा? इस संबंध में अलग-अलग चर्चाएं और अटकलें लगाई जा रही हैं। एक संभावना यह बताई जा रही है कि अब फिर केंद्र से ही नया मुख्य सचिव मनोनीत होगा। ऐसे में तीन नाम-वी. श्रीनिवास, रजत कुमार मिश्रा और तन्मय कुमार सामने हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि रजत और तन्मय दोनों ही केंद्र में अच्छे विभागों के सचिव हैं और राजस्थान के कम इच्छुक हैं। लेकिन वी. श्रीनिवास (1989 बैच) की संभावना प्रबल बताई जा रही है। हालांकि वे पिछले 8 वर्षों से दिल्ली में ही हैं और वर्तमान में प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव हैं। राज-काज का उन्हें काफी अनुभव है। वे पढ़ाई-लिखाई के भी काफी शौकीन हैं। यदि वे राजस्थान आते हैं तो सितंबर 2026 तक मुख्य सचिव बने रहेंगे। यदि वरिष्ठता को तरजीह दी जाती है तो एक मात्र विकल्प अभय कुमार (1992 बैच) हैं। उनके सेवाकाल में अभी लंबा समय बाकी है। वे तीन बार कार्यवाहक मुख्य सचिव भी रह चुके हैं। 1993 बैच के अखिल अरोड़ा भी इस कुर्सी के प्रबल दावेदार है। पांच साल के रिकॉर्ड समय तक फाइनेंस की कमान संभाल चुके हैं। राज-काज का पर्याप्त अनुभव रखते हैं। सीएम के एसीएस और 1993 बैच के शिखर अग्रवाल के नाम पर भी विचार संभव है। वे सीएम भजनलाल शर्मा के विश्वस्त अफसर हैं।

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