Tuesday, November, 25,2025

गहलोत बोले- भाजपा हड़पना चाहती है कांग्रेस की विरासत

जयपुर:  राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर देश और प्रदेश में शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रमों पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल खड़े किए। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस कांग्रेस की परंपरागत विरासत को हड़पना चाहते हैं। गहलोत ने अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि ऐसे आयोजन सबकी भागीदारी वाले होने चाहिए थे, लेकिन सरकारी धन के दुरुपयोग से इसे भाजपा का कार्यक्रम बना दिया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में यह गीत शुरुआत से गाया जाता रहा है। आजादी की लड़ाई में आरएसएस ने अंग्रेजों का साथ दिया। गहलोत के आरोपों पर पलटवार करते हुए राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि कांग्रेस के अधिवेशन में ही वंदे मातरम् का विरोध हुआ था और गहलोत इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।

आरएसएस की शाखाओं में वंदे मातरम् नहीं गाया जाता

गहलोत ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस की शाखाओं में 'वंदे मातरम्' नहीं गाया जाता, वहां 'नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे' गीत गाया जाता है। ये लोग दिखावे के लिए राष्ट्रगीत को अपनाने का ढोंग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अधिवेशनों, जिला समितियों और ब्लॉक मीटिंग्स में 1896 से ही वंदे मातरम् गाया जा रहा है, जब इसे पहली बार गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में प्रस्तुत किया था। गहलोत ने कहा कि भाजपा धर्म और धन बल की राजनीति कर रही है। भाजपा को धर्म के नाम पर सत्ता मिली है। इनके दिल में न गांधी हैं, ना पटेल, ना वंदे मातरम । कांग्रेस ही वह पार्टी है जिसने राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान की परंपरा स्थापित की। गहलोत ने कहा कि आज भी देश को कांग्रेस की विचारधारा की जरूरत है। भाजपा के इस रवैये को देश कभी स्वीकार नहीं करेगा।

गहलोत वंदे मातरम् के इतिहास पर फैला रहे भ्रमः तिवाड़ी

भाजपा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने गहलोत के बयानों पर कहा कि वंदे मातरम् किसी पार्टी का नहीं, बल्कि देश की राष्ट्रभावना का प्रतीक है। तिवाड़ी ने कहा कि 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् की रचना की थी और 1882 में 'आनंदमठ' में प्रकाशित हुआ। 1905 के बंग-भंग आदोलन में यही गीत स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा बना। यह गीत क्रांतिकारियों के लिए मंत्र था, जिसने आजादी की चेतना जगाई। कांग्रेस के अधिवेशनों में कई नेताओं, जिनमें मौलाना अली और शौकत अली शामिल थे, ने वंदे मातरम् का विरोध किया था। गहलोत कांग्रेस की उस विरासत की बात कर रहे हैं, जिसके कई नेताओं ने खुद इस गीत को धर्म से जोड़कर विवादित बनाया था।

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