Tuesday, December, 16,2025

कांग्रेस वंदे मातरम् पर झुकी, इसलिए भारत के बंटवारे पर भी झुकना पड़ा: पीएम मोदी

नई दिल्ती: लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के दबाव में संदे मातरम् के टुकड़े कर दिए और यही तुष्टीकरण की राजनीति आगे चलकर देश के बंटवारे का कारण बनी। प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मुस्लिम लीग की आपत्तियों के बाद वंदे मातरम् के कुछ हिस्सों को हटाया गया। मोदी ने कहा, 'कांग्रेस वंदे मातरम् के अंटवारे पर झुकी, इसलिए एक दिन उसे भारत के बंटवारे पर भी झुकना पड़ा।' उन्होंने संसद में कहा कि जब मोहम्मद अली जिन्ना ने बंदे मातरम् के विरोध का नारा दिया, तो नेहरू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पत्र लिखकर इस गीत की पृष्ठभूमि की मुसलमानों के लिए 'इरेटेटिंग' (कष्टदायक) बताया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर समझौता करती रही और यह तुष्टीकरण की राजनीति का उदाहरण है।

आपातकाल में वंदे मातरम् ने देश को खड़ा किया

मोदी ने 1975 के आपातकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वंदे मातरम् के 100 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश में लोकतंत्र का गला घोंट दिया गया था। उन्होंने कहा, 'जब आजादी और संविधान पर हमला हुआ, तब की मातरम् ने ही देश को सखड़ा किया।' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह गीत केवल आजादी के आंदोलन का नारा नहीं था बल्कि मातृभूमि की मुक्ति का पवित्र संकल्प था।

भाषण में 13 बार कांग्रेस, 7 बार नेहरू का जिक्र

पीएम मोदी ने एक घंटे की स्पीच में वंदे मातरम् 121 बार, देश 50, भारत 35, अंग्रेज 34, बंगाल 17, कांग्रेस का 13 बार जिक्र किया। उन्होंने नंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी का नाम 10 बार, नेहरू 7 बार, महात्मा गांधी 6 बार, मुस्लिम लीग 5 बार, जिन्ना 3 बार, संविधान 3 बार, मुसलमान 2 बार, तुष्टीकरण 3 बार कहा।

वंदे मातरम् ने दी आजादी की लड़ाई को ऊर्जा

मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् की 150 वर्ष की यारा कई ऐतिहासिक पद्वानों से गुजरी है। जब इसके 50 वर्ष पूर्ण हुए, देश गुलाम था, जब 100 वर्ष हुए, देश आपातकाल में जकड़ा हुआ था।' आज के भारत का लक्ष्य समृद्ध और विकसित राष्ट्र का निर्माण है और वंदे मातरम् इस संकल्प की प्रेरणा है। हम पर वंदे मातरम का कर्ज है। स्वदेशी आंदोलन की भावना आज भी जीनित है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वर्ष 1875 में इस गीत की रचना की थी और यह भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष का शक्तिशाली स्वर रहा है। उन्होंने अंत में आह्वान किया कि 2047 में विकसित भारत निर्माण का सपना इसी राष्ट्रगीत की भावना से प्रेरित होकर पूरा होगा।

वंदे मातरम् ने सदियों से सोए भारत को जगायाः राजनाथ सिंह

'वंदे मातरम्' पर चर्चा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बंदे मातरम् ने सदियों से सोए भारत को जगाया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को ऊर्जा और ताकत प्रदान की। राजनाथ सिंह ने बताया कि अप्रैल 1906 में ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक रूप से 'वंदे मातरम्' का नारा लगाने पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन लोगों ने इस आदेश की खुलकर अवहेलना की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी वंदे मातरम् के नारे पर रोक लगा दी गई थी और विरोध करने पर छात्र श्री रामचंद्र को जेल में डाल दिया गया था। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत को समान सम्मान देने की बात होते हुए भी वंदे मातरम् के साथ अन्याय' किया गया और इसे 'खंडित' किया गया। यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि तुष्टींवारण की राजनीति की शुरुआात थी, जिसने अंतत देश का विभाजन कराया। वंदे मातरम् स्वयं में पूर्ण है और इसका गौरव लौटाना नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने सुझाव दिया कि संविधान में राष्ट्रगीत को राष्ट्रगान की तरह सम्मान देने का दायित्व जोड़ा जाना चाहिए।

बहस क्यों? बंगाल चुनाव वजहः प्रियंका

'वंदे मातरम्' पर चर्चा के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्डा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पूछा कि जब यह गीत 150 वर्षों से देश की आत्मा का हिस्सा रहा है और लोगों के दिलों में बसता है, तो आज इस पर बहस की जरूरत क्यों है? प्रियंका ने आरोप लगाया कि यह चर्चा सिर्फ ध्यान भटकाने और आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर की जा रही है। प्रियंका ने कहा कि वंदे मातरम् की पहली बार 1896 में स्वींद्रनाथ टैगोर ने कांग्रेस अधिवेशन में गाया था।

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