Friday, April, 18,2025

नक्सली हिंसा का दायरा सिमटा, सर्वाधिक प्रभावित जिले अब मात्र छह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा की कि वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर छह रह गई है जो नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार नक्सलवाद के प्रति निर्मम दृष्टिकोण अपनाकर और सर्वांगीण विकास के लिए अथक प्रयास करके सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत नक्सलवाद को 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए प्रतिबद्ध है।

शाह ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, नक्सल मुक्त भारत के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए आज हमारे देश ने वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों की संख्या को 12 से घटाकर मात्र छह करके एक नई उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिले वे हैं, जहां नक्सली गतिविधियां एवं हिंसा अब भी जारी है। एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों को 'सबसे अधिक प्रभावित जिले' के रूप में उप-वर्गीकृत किया गया है। यह 2015 में लाई गई शब्दावली है। इसके अलावा एक उप वर्ग 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न' (ऐसे जिले जिनको लेकर चिंता) है। यह उप श्रेणी 2021 में बनाई गई थी। पिछली समीक्षा के अनुसार 'सर्वाधिक प्रभावित जिले' 12 थे।

इन कदमों से हुआ स्थिति में सुधार

बयान में कहा गया कि पिछले एक साल में वामपंथ उग्रवाद परिदृश्य में तीव्र गति से हुए उल्लेखनीय सुधार का प्रमुख कारण उग्रवाद प्रभावित कोर क्षेत्रों में नए सुरक्षा शिविरों की स्थापना एवं विकासोन्मुखी कार्य करना है। इनमें सड़कों का विस्तार, परिवहन की सुविधा, पानी, बिजली एवं शासन की अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की ग्रामीणों तक पहुंच बढ़ाने जैसे काम शामिल हैं।

कुल प्रभावित जिले 38

गृह मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि देश में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या 38 है। इनमें से 'सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर छह रह गई है। इसके अलावा 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सन' की संख्या नौ थी जो घटकर छह रह गई है। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित अन्य जिलों की संख्या 17 थी और यह भी घटकर छह रह गई है। 'सर्वाधिक प्रभावित' जिलों में छत्तीसगढ़ के चार (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का एक (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का भी एक जिला (गढ़चिरौली) शामिल है। इसी प्रकार, कुल 38 प्रभावित जिलों में से 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सन की संख्या नौ से घटकर छह रह गई है। ये छह जिले हैं- अल्लूरी सीताराम राजू (आंध्र प्रदेश), बालाघाट (मध्य प्रदेश), कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी (ओडिशा) और भद्राद्रि-कोठागुडेम (तेलंगाना)। इसमें कहा गया कि नक्सलवाद के खिलाफ लगातार कार्रवाई के कारण वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित अन्य जिलों की संख्या भी 17 से घटकर छह रह गई है जिनमें छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, झारखंड का लातेहार, ओडिशा का नुआपाड़ा और तेलंगाना का मुलुगु जिला शामिल है।

सर्वाधिक प्रभावित जिलों को दी जाती है विशेष सहायता

सर्वाधित प्रभावित जिलों एवं 'डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सन' जिलों को भारत सरकार की एक विशेष योजना 'विशेष केन्द्रीय सहायता' के तहत सार्वजनिक बुनियादी ढांचों में व्याप्त अंतर को भरने के लिए क्रमश 30 करोड़ एवं 10 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है और इसके अलावा इन जिलों के लिए आवश्यकतानुसार विशेष परियोजनाओं का भी प्रावधान है।

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