Sunday, October, 05,2025

संघ ने हमेशा 'राष्ट्र प्रथम' की भावना को जिंदा रखा: मोदी

नई दिल्ली: राष्ट्रीय (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को शताब्दी समारोह में भाग लेते हुए संगठन की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों, साजिशों और चुनौतियों के बावजूद संघ ने कभी कटुता नहीं दिखाई और सदैव 'राष्ट्र प्रथम' की भावना के साथ कार्य किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संघ की यात्रा मात्र संगठन तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने जाति-पंथ के भेदभाव को मिटाकर समरस समाज का संदेश देशभर में पहुंचाया। उन्होंने कहा, संघ ने अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योगदान दिया। डॉ. स्वयंसेवक संघ हेडगेवार कई बार जेल भी गए और स्वयंसेवकों ने स्वतंत्रता सेनानियों को आश्रय दिया। मोदी ने याद दिलाया कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद लगे प्रतिबंध और तत्कालीन प्रमुख माधव गोलवलकर पर झूठे मामले दर्ज होने के बावजूद संघ ने समाज से दूरी नहीं बनाई। उन्होंने गुरुजी के शब्दों का उल्लेख करते हुए कहा, जीभ दांतों के नीचे आकर दब जाती है, लेकिन हम दांत नहीं तोड़ते, क्योंकि दांत भी हमारे हैं, जीभ भी हमारी है।

'एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान' का लक्ष्य

पीएम ने कहा कि आपातकाल के समय भी संघ के स्वयंसेवकों ने लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं में अटूट विश्वास के बल पर संघर्ष किया। उन्होंने संघ को "एक विशाल वटवृक्ष" बताते हुए कहा कि वह हर परिस्थिति में राष्ट्र सेवा करता रहा है। सरसंघचालक मोहन भागवत के 'एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान' के सामाजिक समरसता के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ ने इसे देश के कोने-कोने तक पहुंचाया है।

महात्मा गांधी, कलाम और मुखर्जी ने भी संघ की कार्यशैली की प्रशंसा की

उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी भी संघ की कार्यशैली से प्रभावित थे, जबकि महात्मा गांधी ने वर्धा में आरएसएस शिविर में संगठन की करुणा और समानता की भावना की सराहना की थी।

बदलाव जनसांख्यिकीय और घुसपैठ बड़ी चुनौती

घुसपैठ और जनसांख्यिकीय बदलाव को मोदी ने देश के सामने बड़ी चुनौती बताया और कहा कि इसका असर आंतरिक सुरक्षा और भविष्य की शांति पर पड़ सकता है। प्रधानमंत्री ने संघ के सेवा कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1962 के चीन युद्ध, 1971 के बांग्लादेश संकट, 1984 के दंगे और विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के दौरान स्वयंसेवकों ने बिना किसी भेदभाव के समाज की सेवा की। समारोह का आयोजन संस्कृति मंत्रालय की ओर से किया गया, जिसमें आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबाले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी उपस्थित रहे।

 

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