Sunday, April, 27,2025

बाघिन का बढ़ा मूवमेंट, त्रिनेत्र गणेश मंदिर में पर्यटकों की एंट्री बंद

सवाई माधोपुर: जिले में रणथंभौर के जंगल के पास प्रसिद्ध त्रिनेत्र गणेश मंदिर को वन विभाग ने गुरुवार से श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया। दरअसल, बाधिन टी-84 एरोहेड और उसके दो शावकों ने मंदिर मार्ग पर स्थित हनुमान मंदिर के पास सांभर का शिकार किया था। बाघ परिवार अभी शिकार स्थल के आसपास मौजूद है। ऐसे में एहतियातन पर्यटकों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने गणेश मार्ग को पूरी तरह से बंद कर दिया है। रणथंभौर फोर्ट जाने वाले पर्यटकों और त्रिनेत्र गणेश मंदिर के श्रद्धालुओं को गणेश धाम गेट पर ही रोक लिया गया। यह प्रतिबंध तब तक जारी रहेगा, जब तक बाघ परिवार इस क्षेत्र से चला न जाए। वहीं, वन विभाग बाधिन और उसके शावकों की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है। बाधिन एरोहेड और उसके शावकों का रणथंभौर फोर्ट में अक्सर मूवमेंट बना रहता है। इससे पहले भी करीब चार-पांच बार बाधिन और उसके शावक इस क्षेत्र में पहुंच चुके हैं।

जूनियर मछली के नाम से है बाघिन एरोहेड की पहचान

बता दें कि बाघिन एरोहेड, बाघिन कृष्णा (टी-19) के दूसरे प्रसव की संतान है, जिसकी नानी मछली (टी-16) थी, जो रणथंभौर की मां के नाम से प्रसिद्ध थी। बाघिन एरोहेड मछली के वंश से है, इसलिए इसे जूनियर मछली भी कहा जाता है। एरोहेड के पहले प्रसव के 3 शावक जन्म के कुछ दिन बाद ही वन विभाग की नजरों से गायब हो गए थे। दूसरे प्रसव में बाधिन ने 2 शावकों को जन्म दिया, जिन्हें टी-124 (रिद्धि) और टी-125 (सिद्धि) के नाम से जाना जाता है। तीसरी बार के शावक भी कुछ दिन बाद लापता हो गए थे, जबकि चौथी बार के तीनों शावक बाधिन एरोहेड के साथ ही हैं।

अक्टूबर से चल रहा टूरिस्ट सीजन

बता दें कि रणथंभौर में 1 अक्टूबर से टूरिस्ट सीजन शुरू हुआ है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व में कुल 10 जोन हैं। इनमें 2 पारियों में टाइगर सफारी होती है। सुबह की पारी में सफारी 6 से 9 बजे तक और शाम को सफारी दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक होती है। रणथंभौर नेशनल पार्क 1700 वर्ग किमी में फैला है। यहां 77 बाघ, बाधिन और शावक हैं। एक बाघ को लगभग 35 किलोमीटर टेरेटरी की आवश्यकता होती है। ऐसे में यहां 50 बाघ रह सकते हैं।

प्रदेश में हैं 130 से ज्यादा टाइगर

प्रदेश में वर्तमान में टाइगर की संख्या 130 से ज्यादा हैं। देशभर में इनकी संख्या करीब 3200 है। प्रदेश में 1970-72 तक राज्य के लगभग 17 जिलों में टाइगर मौजूद थे, जो घटकर 2005 में केवल सवाई माधोपुर (रणथंभौर) तक सीमित रह गए। साल 2010 के बाद शुरू किए गए प्रयासों से अब राजस्थान के 5 जिलों अलवर, करौली, कोटा, बूंदी और उदयपुर में टाइगर मौजूद हैं। इन सभी टाइगर का पैतृक घर रणथंभौर है। देशभर में लगभग 53 टाइगर पार्क हैं।

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