Tuesday, April, 22,2025

विकसित समाज के लिए निष्पक्ष व स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था जरूरी

अजमेर: राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनींद्र मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि निष्पक्ष, स्वतंत्र और निर्भीक न्यायिक व्यवस्था किसी भी आधुनिक और विकसित समाज के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसका सशक्त, पारदर्शी तथा जवाबदेह होना आवश्यक है। राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस श्रीवास्तव रविवार को अजमेर में नवनिर्मित अत्याधुनिक सेशन कोर्ट के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह और न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल भी मौजूद रहे। सीजे श्रीवास्तव ने जिला न्यायालय के नए भवन को अजमेर के न्यायिक इतिहास में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर बताया और कहा कि यह भवन तकनीकी दृष्टि से उन्नत, पर्यावरण के अनुकूल और मानवतावादी मूल्यों को समर्पित है। उन्होंने बताया कि देश में मुकदमों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। इसके अनुपात में न्यायिक संरचना का विकास उस गति से नहीं हो पाया है।

30 लाख निवासियों को मिलेगा फायदा

इस अवसर पर जस्टिस महेन्द्र गोयल ने कहा कि अजमेर न्याय क्षेत्र के लगभग 30 लाख लोगों को इस भवन से लाभ मिलेगा। उन्होंने अजमेर के न्यायिक इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय ग्राम न्यायालय स्थापित किए गए थे। उनकी अपील सीधे सम्राट से की जा सकती थी। सन् 1818 में ब्रिटिश शासन के दौरान यहां पांच स्तरीय न्यायिक व्यवस्था संचालित होती थी। सन् 1872 में चीफ कमिश्रर कोर्ट की स्थापना हुई और 1926 में ज्यूडिशियल कमिश्नर कोर्ट की स्थापना हुई, जिसकी अपील प्रिवी काउंसिल तक जाती थी। इसके पश्चात 1956 में राजस्थान में विलय के बाद से यहां की न्यायिक व्यवस्था लगातार सुदृढ़ हुई है।

ये रहे मौजूद

इस अवसर पर राजस्व मंडल के अध्यक्ष हेमंत गैरा, संभागीय आयुक्त महेश चंद्र शर्मा, पुलिस महानिरीक्षक ओम प्रकाश, जिला कलेक्टर लोकबंधु, पुलिस अधीक्षक वंदिता राणा, लोक अभियोजक जयप्रकाश, न्यायिक अधिकारी, बार के सदस्य एवं अधिवक्ता उपस्थित रहे।

मुकदमों का हो शीघ्र निपटारा

मुख्य न्यायाधीश श्रीवास्तव ने कहा कि लगभग एक लाख से अधिक लंबित प्रकरण हैं। इनमें अधिकांश आपराधिक प्रवृत्ति के प्रकरण हैं, जिनके निपटारे के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं सम्मन एवं वारंट प्रणाली की निगरानी कर रहे हैं। इससे न्याय प्रक्रिया की गति में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि बार और बेंच एक-दूसरे के पूरक हैं। इस संबंध में सभी अधिवक्ताओं से पुराने मामलों के शीघ्र निपटारे में सहयोग देने का अनुरोध किया।

देश में मिसाल बनेगा यह भवन

अध्यक्ष अशोक रावत ने कहा कि यह भवन आने वाले समय में देशभर में एक मिसाल बनेगा। उन्होंने बताया कि यह देश में चंडीगढ़ के बाद दूसरा ऐसा भवन है। इसमें 54 न्यायालय संचालित होंगे और भविष्य में इसे सात मंजिला बनाकर अतिरिक्त अधिवक्ता कक्षों की व्यवस्था की जाएगी। यह भवन 150 करोड की लागत से तैयार किया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रकाश चंद्र मीणा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

लॉक-अप और ई-कोर्ट भी

समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने कहा कि न्याय व्यवस्था न्यायाधीश और अधिवक्ताओं के सामंजस्य से ही सुचारू रूप से चल सकती है। उन्होंने भवन को भव्य, सुंदर और स्वच्छ बनाए रखने का आह्वान किया। सेशन जज संगीता शर्मा ने कहा कि यह भवन अजमेर के न्यायिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि परिसर का निर्माण 18 फरवरी 2018 को रखी गई नींव के साथ शुरू हुआ था। भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे जी+5 स्वरूप में निर्मित किया गया है।

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