Sunday, April, 13,2025

‘चुनौती वीरों’ ने आसन पर उठाए सवाल जिलों को समाप्त करने के मुद्दे पर विधानसभा में हुआ हंगामा

जयपुर : प्रदेश में नौ जिलों के गठन को निरस्त किए जाने के मुद्दे पर बुधवार को राजस्थान विधानसभा में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी। वहीं, इस मामले में अध्यक्षीय व्यवस्था को सरकार के कई मंत्री चुनौती देते नजर आए। प्रश्नकाल के दौरान जिलों को समाप्त करने के मुद्दे पर लगे स्थगन प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने प्रतिपक्ष के दो सदस्य सुरेश मोदी और रामकेश मीणा को अपनी बात दो-दो मिनट रखने की इजाजत दी। इस पर  संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जिले तथा संभाग खत्म करने का मुद्दा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और अदालत में विचाराधीन किसी भी मुद्दे की विधानसभा में चर्चा नहीं कराए जाने की परंपरा रही है। उन्होंने आसन से आग्रह किया कि इस स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं कराई जानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस पर एतराज करते हुए कहा कि केवल दो ही जिलों का मामला अदालत में है, बाकी जिलों का नहीं है। जूली ने कहा कि हम दो जिलों का यहां पर जिक्र नहीं करेंगे, बाकी पर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। मामले में राष्ट्रीय लोकदल विधायक डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि संसदीय मंत्री जो आपत्ति उठा रहे हैं, ऐसा तो सभी मामलों में होगा। ज्यादातर मामलों में जनहित याचिकाएं लगी होती हैं। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर आज चर्चा नहीं करने का फैसला सुनाया, जिसके बाद विपक्ष ने नाराजगी जताते हुए हंगामा किया। हंगामा के बीच अध्यक्ष ने कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो भी हंगामा जारी रहा।

आज जिलों पर होगी चर्चा 
भोजनावकाश के बाद अध्यक्ष देवनानी ने व्यवस्था दी कि जिलों को समाप्त करने के मामले में स्थगन प्रस्ताव पर बोलने के लिए जिन दो सदस्यों के नाम आज घोषित हुए वे ही गुरुवार को बोलेंगे। सरकार की ओर से भी एक मंत्री जवाब देंगे। इसके बाद सदन में आगे विधायी व अन्य कार्य हुए। गौरतलब है कि राज्य की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 17 नए जिले व तीन नए संभाग बनाने की अधिसूचना जारी की थी। मौजूदा भजनलाल शर्मा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार द्वारा गठित नौ जिलों तथा तीन नए संभागों को खत्म करने का फैसला दिसंबर में किया था। हालांकि आठ नए जिलों को बरकरार रखा गया।
प्रश्नकाल की व्यवस्था को चुनौती
प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा सवालों पर चर्चा हो सके, इसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्रियों के जवाब को पढ़ा हुआ माने जाने की व्यवस्था पूर्व में सर्वसम्मति से दी। बुधवार को इस व्यवस्था पर एतराज करते हुए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सवाल का जवाब सदन के रिकॉर्ड में आना चाहिए। लिखा हुआ जवाब भी पढ़ने की पुरानी व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। बाद में स्पीकर ने मंत्रियों से कहा कि चेंबर में इसे लेकर अलग से चर्चा कर लेंगे । इस पर पटेल ने स्पीकर से कहा कि आप अपनी व्यवस्था पर पुनर्विचार कर लें। फिर भी आपको लगता है कि आपकी व्यवस्था ही ठीक है और सर्वोपरि है, हम मान लेंगे। मामले में कई बार स्पीकर मंत्रियों को टोकते नजर आए लेकिन मंत्रियों ने बोलना जारी रखा।

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