Monday, December, 15,2025

छोटे अपराधों पर जेल की सजा खत्म, अधिकारी लगाएंगे पेनल्टी, 20 से ज्यादा कानूनों में बड़े सुधार

जयपुर:  राज्य सरकार ने प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने, नागरिकों पर अनावश्यक मुकदमेबाजी का बोझ कम करने और व्यवसाय के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने के उद्देश्य से राजस्थान जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश, 2025 लागू कर दिया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे की मंजूरी के बाद जारी इस अध्यादेश से राज्य के 20 से अधिक कानूनों में व्यापक बदलाव किए गए हैं। इनमें से अधिकांश संशोधन छोटे-मोटे उल्लंघनों पर होने वाली जेल की सजा को समाप्त कर पेनल्टी आधारित व्यवस्था लागू करते हैं। अब जिन मामलों में पहले जेल या कोर्ट केस का प्रावधान था, वे अब विभागीय अधिकारियों द्वारा सीधे निपटाए जा सकेंगे।

शिक्षा, बिजली शुल्क और मनी लेंडर्स कानून में भारी जुर्माना

राजस्थान गैर सरकारी शिक्षा संस्थान अधिनियम में प्रबंध समिति या सचिव पर 2 लाख रुपए तक पेनल्टी का नया प्रावधान जोड़ा गया है। बिजली शुल्क कानून में दंड को बढ़ाकर पहली गलती पर 500 और दूसरी बार 2000 रुपए कर दिया गया है। मनी लेंडर्स अधिनियम में भारी संशोधन के तहत बिना लाइसेस काम करने पर पहली बार 25,000 तथा दोबारा पकड़े जाने पर 50,000 रुपए तक पेनल्टी लगाई जाएगी।

टेनेंसी और बोटिंग अधिनियम में भी कठोर दंड

टेनेंसी एक्ट, 1955 में पेड़ काटने या वन उत्पाद को नुकसान पहुंचाने पर प्रति पेड़ 1000 रुपए पेनल्टी तय की गई है और दोबारा अपराध पर यह राशि दोगुनी हो जाएगी। वहीं बोटिंग अधिनियम, 1956 में किसी भी उल्लंघन पर 50,000 रुपए तक पेनल्टी का प्रावधान किया गया है। साथ ही कंपाउंडिंग की सुविधा भी जोड़ी गई है, जिससे मामले अदालत जाने की बजाय विभागीय स्तर पर ही निपट सकेंगे।

वन अधिनियम में बड़े बदलावः अवैध चराई से लेकर आगजनी तक पेनल्टी स्लैब तय

राजस्थान वन अधिनियम, 1953 में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। अवैध चराई या ट्रेसपास पर थारा 26 में पहली बार नई उपधारा जोड़ी गई है, जिसके तहत 500 रुपए तक पेनल्टी लगेगी। सामान्य उल्लंघनों पर नई थारा 81 लागू होगी, जिसके अंतर्गत पहली गलती पर 500 रुपए, दूसरी बार 200 से 1000 रुपए और बार-बार गलती पर 2000 रुपए तक पेनल्टी लगेगी। सबसे बड़ा बदलाव धारा 82 में किया गया है, जहां 6 माह की जेल का प्रावधान हटाकर मात्र 5000 रुपए तक पेनल्टी कर दी गई है।

स्टाम्प एक्ट, नगर पालिका कानून में भी जेल की जगह अब पेनल्टी

स्टाम्प अधिनियम, 1998 में हर जगह 'फाइन' शब्द हटाकर 'पेनल्टी' लागू कर दिया गया है। सामान्य उल्लंघनों के लिए नई धारा 81 में 500 से 2000 रुपए तक चरणबद्ध पेनल्टी का प्रावधान किया गया है। धारा 82 के तहत पूर्व में मौजूद जेल का प्रावधान पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। नगर पालिका अधिनियम, 2009 में भी नोटिस न मानने, अवैध निर्माण, लाइसेंस उल्लंघन जैसी स्थितियों में अब 5000 रुपए तक पेनल्टी और प्रतिदिन 200-500
रुपए अतिरिक्त पेनल्टी लागू होगी। जयपुर जलापूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड कानून में पहले 1-12 माह की जेल थी, जिसे हटाकर अब 200-1000 रुपए दैनिक पेनल्टी तथा 10,000 रुपए तक कुल पेनल्टी तय की गई है।

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