Friday, September, 26,2025

कैमरा निगरानी पर बवाल, कांग्रेस ने दोहराई भाजपा जैसी सियासत

जयपुर: राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में सियासी आरोप-प्रत्यारोप और गरमा-गरम बहसों की गूंज रही। जिन मुद्दों पर जो दृश्य सड़कों पर कभी भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए दिखाए थे, वे अब कांग्रेस द्वारा विरोध के रूप में सदन के भीतर देखने को मिले। विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर गोपनीयता के उल्लंघन, चुनावी धांधली और जनविरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए वॉकआउट और बहिष्कार का सहारा लिया। यह घटनाक्रम एक तरह से राजनीतिक 'बदलापुर' की कहानी सी बयां करता नजर आया। कांग्रेस विधायकों ने सदन में विभिन्न मुद्दों को लेकर कई बार हंगामा किया।

सिर्फ मुद्दों की अदला-बदली

प्रदेश में कांग्रेस सरकार के समय बढ़े आपराधिक आंकड़ों को लेकर भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए राजस्थान में 'नहीं सहेगा राजस्थान' कहकर अभियान चलाया और बढ़ते अपराधों के खिलाफ कांग्रेस को घेरा तथा महिला सुरक्षा, भ्रष्टाचार, सांप्रदायिक तनाव जैसे मुद्दों को उठाते हुए सड़कों पर उत्तरकर प्रदर्शन किया था। कांग्रेस की गहलोत सरकार को घेरने वाली भाजपा आज सत्ता में है और उसी शैली में कांग्रेस ने सदन में भाजपा पर हमला बोला और आपराधिक मामलों को लेकर 'कब तक सहेगा राजस्थान?' जैसे नारों से सदन के अंदर और बाहर प्रदर्शन किया। हालांकि पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों में भाजपा सरकार ने दावा किया कि प्रदेश में भजनलाल सरकार बनने के बाद आपराधिक वारदातों में गिरावट आई है, लेकिन फिर भी कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया।

मुख्यमंत्री बोले- कांग्रेस सस्ती लोकप्रियता चाहती है

मानसून सत्र के आखिरी दिन बुधवार को भजनलाल शर्मा ने कहा था कि सदन की अपनी परंपराएं और गरिमा होती है, लेकिन विपक्ष केवल सस्ती लोकप्रियता के लिए सदन का समय बर्बाद कर रहा है। विपक्ष जिस तरह से व्यवधान डाल रहा है, उसे प्रदेश की जनता देख रही है और समय आने पर उन्हें माफ नहीं करेगी। मानसून सत्र जनता की समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करने और उनसे जुड़कर उनके समाधान के लिए आहूत किया था, लेकिन विपक्ष की ओर से ऐसा कोई ठोस मुद्दा नहीं रखा गया, जिससे जनता की वास्तविक आवाज सदन तक पहुंच सके। वहीं, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाए कि उन्हें सदन में जनता के मुद्दों- किसानों को यूरिया और डीएपी न मिलने, अतिवृष्टि से हुए नुकसान, बिगड़ती कानून व्यवस्था, जर्जर सड़कों, रोजगार के झूठे वादों और 35 लाख करोड़ के एमओयू घोटाले पर चर्चा करने से रोका गया।

फोन टेपिंग का जवाब कैमरा निगरानी

फोन टेपिंग का मुद्दा राजस्थान की सियासत में 2020-2021 के दौरान प्रमुखता से उभरा। भाजपा ने आरोप लगाया था कि गहलोत सरकार ने विपक्षी नेताओं, खासकर भाजपा नेताओं और अपने ही कुछ विधायकों की फोन कॉल्स को अवैध रूप से टेप किया। इस विवाद ने उस समय तूल पकड़ा जब 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के भीतर बगावत हुई थी। भाजपा ने इसे 'लोकतंत्र की हत्या' करार देते हुए गहलोत सरकार पर निजता के उल्लंघन और सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया। इसके जवाब में मानसून सत्र में कैमरा निगरानी और व्यक्तिगत गोपनीयता के उल्लंघन का
विपक्ष ने आरोप लगाया कि विधानसभा में अतिरिक्त कैमरे लगाकर उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। कांग्रेस ने इसे 'निजता का उल्लंघन' और 'जासूसी' करार दिया। इसी तरह भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए पेपर लीक पर कांग्रेस सरकार पर पेपर चोरी के आरोप लगाकर घेरा था, जिसके जवाब में कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरने के लिए सदन में चुनावी वोट चोरी का आरोप लगाते हुए सत्र के पहले दिन 'वोट चोर, गद्दी छोड़' जैसे नारे लगाए। फोन टेपिंग मामले में भाजपा ने कांग्रेस सरकार को 'लोकतंत्र की हत्या' का दोषी बताया तो कांग्रेस ने भाजपा को संविधान का हत्यारा कहा।

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