Tuesday, August, 12,2025

भारत कृषि, डेयरी और जीएम उत्पादों पर नहीं करेगा समझौता

नई दिल्ली: अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर शुक्रवार को 25 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया जिससे लगभग 86 अरब डॉलर के वार्षिक निर्यात का लगभग आधा हिस्सा प्रभावित हो सकता है। हालांकि दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों एवं पेट्रोलियम उत्पादों जैसे प्रमुख क्षेत्रों को इस शुल्क से छूट दी गई है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि अमेरिका के इस निर्णय के बावजूद भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है। हालांकि सूत्रों ने यह स्पष्ट किया कि भारत कृषि, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संवर्धित (जीएम) उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगा। व्यापार समझौते को लेकर वार्ता का छठा दौर 25 अगस्त को भारत में आयोजित होगा। इस बातचीत में हिस्सा लेने के लिए अमेरिकी दल आएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से घोषित शुल्क का सर्वाधिक असर उन क्षेत्रों पर पड़ेगा जिनका भारत अमेरिका को निर्यात बड़े पैमाने पर करता है। सूत्रों के मुताबिक, भारत से अमेरिका को निर्यातित वस्तुओं का लगभग आधा हिस्सा ऐसे क्षेत्रों से आता है जिन्हें शुल्क से छूट मिली है। इनमें दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। इस तरह शुल्क का प्रभाव केवल आधे निर्यात पर ही पड़ेगा।

इन क्षेत्रों पर होगा सर्वाधिक असर

  • वस्त्र एवं परिधान (10.3 अरब डॉलर)
  • रत्न एवं आभूषण (12) अरब डॉलर)
  • झींगा (2.24 अरब डॉलर)
  • चमड़ा एवं फुटवियर (1.18 अरब डॉलर)
  • पशु उत्पाद (2) अरब डॉलर)
  • रसायन (2.34 अरब डॉलर)
  • बिजली एवं मशीन उपकरण (लगभग नौ अरब डॉलर) शामिल हैं।

शुल्क बढ़ाने से अमेरिकी जीडीपी में होगी गिरावट

अमेरिका में भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने का असर भारत की तुलना में अमेरिका पर कहीं ज्यादा पड़ेगा और उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने के साथ डॉलर भी कमजोर हो सकता है। एसबीआई रिसर्च ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह अमेरिका की खराब व्यापार नीति है, क्योंकि इससे अमेरिका की घरेलू मुद्रास्फीति और उपभोक्ता कीमतों पर ही नकारात्मक असर पड़ेगा, जबकि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की 'छिपी हुई ताकतें' खुद को समायोजित कर भारत को कुछ राहत देगी। रिपोर्ट कहती है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भारत से ज्यादा झटका लग सकता है क्योंकि वहां जीडीपी में गिरावट, महंगाई में तेजी और डॉलर में कमजोरी के आसार दिख सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अपने निर्यात गंतव्यों में विविधता ला चुका है। हालांकि वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य बना रहा, लेकिन शीर्ष 10 साझेदार देशों का कुल हिस्सा 53 प्रतिशत ही है। इससे भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

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