Friday, September, 26,2025

वक्फ संशोधन कानून पर पूरी रोक नहीं... तीन प्रावधानों पर स्टे

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को पूरी तरह निरस्त करने से इनकार कर दिया, लेकिन इसमें किए गए तीन प्रमुख बदलावों पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सोमवार को फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि जब तक अंतिम सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, ये प्रावधान लागू नहीं होंगे। कोर्ट ने साफ किया कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में अधिकतम 4 और राज्य वक्फ बोर्ड में अधिकतम 3 गैर- --मुस्लिम सदस्य ही रह सकते हैं। साथ ही सरकारों से कहा गया कि बोर्ड में नियुक्त सरकारी सदस्य, और संभव हो तो राज्य बोर्ड के CEO, मुस्लिम समुदाय से ही हों। हालांकि, वक्फ रजिस्ट्रेशन से जुड़े प्रावधान को बरकरार रखा गया है, क्योंकि यह पहले से 1995 और 2013 के कानूनों का हिस्सा है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी संपत्ति का मालिकाना हक केवल वक्फ ट्रिब्यूनल और उसके बाद हाई कोर्ट में अपील की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही तय होगा।

तीन प्रावधान, जिन पर स्टे लगा

सेक्शन 3 (र): वक्फ बनाने की शर्त
पहले प्रावधान था कि कोई व्यक्ति वक्फ तभी बना सकता है जब वह कम से कम 5 साल से मुसलमान हो। कोर्ट ने इस शर्त पर रोक लगा दी।

सेक्शन 3C (2): वक्फ संपत्ति का सत्यापन
इसमें सरकारी अधिकारियों को अधिकार था कि वे तय करें कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं, और रिपोर्ट में अतिक्रमण की पुष्टि करें। कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि यह "सेपरेशन ऑफ पावर्स" के सिद्धांत के खिलाफ है।

सेक्शन 3C (3) और 3C (4): संपत्ति को सरकारी जमीन घोषित करने का अधिकार
इस प्रावधान के तहत अधिकारी राजस्व अभिलेख बदल सकता था और राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर रिकॉर्ड सुधार सकती थी। कोर्ट ने इन पर भी रोक लगा दी।

बिहार पर फैसला पूरे देश में लागू होगा
चेतावनी: गड़बड़ी मिली तो SIR रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रही SIR (वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया) पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर इसमें कोई गड़बड़ी या अवैधता पाई गई, तो पूरी प्रक्रिया रद्द की जा सकती है। साथ ही, इस मामले में जो भी फैसला होगा, वह केवल बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में लागू होगा। जस्टिस सूर्यकांत शर्मा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों को जानता है, लेकिन नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आयोग प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहा और मतदाता सूची में नाम जोड़ने-हटाने की जानकारी सार्वजनिक डोमेन में नहीं है।

अंबानी के वनतारा को क्लीनचिट दी

सुप्रीम कोर्ट ने जामनगर स्थित रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहेबिलिटेशन सेंटर को क्लीनचिट दी। कोर्ट ने कहा कि यहां जानवरों की खरीद-बिक्री कानूनी नियमों के तहत हुई है। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने स्पष्ट किया कि SIT की रिपोर्ट में कोई गड़बड़ी नहीं मिली और इस मामले को बार-बार नहीं उठाया जा सकता। इससे पहले 26 अगस्त को SC ने दो PIL पर SIT जांच का आदेश दिया था।

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