Friday, September, 26,2025

प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर 10 दिन तक दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। राष्ट्रपति संदर्भ में पूछा गया था कि क्या एक संवैधानिक अदालत राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समयसीमा निर्धारित कर सकती है। सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रमनाथ, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस ए एस चंदुरकर की संविधान बेंच ने 19 अगस्त को इस संदर्भ पर सुनवाई शुरू की थी।

केंद्र की ओर से उपस्थित सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने संदर्भ का विरोध करने वाले विपक्ष शासित तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की दलीलों का विरोध करते हुए अपनी दलीलें पूरी कीं। मई में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए शीर्ष अदालत से यह जानना चाहा था कि क्या राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर विचार करते समय राष्ट्रपति द्वारा विवेकाधिकार का प्रयोग करने के लिए न्यायिक आदेशों द्वारा समयसीमा निर्धारित की जा सकती है।

कॉलेजियम ने तीन न्यायाधीशों के नाम की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने केंद्र सरकार से विभिन्न उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए तीन न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत तथा जस्टिस विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय कॉलेजियम ने एक बैठक में जस्टिस पवनकुमार बी. बजंथरी को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश (वर्तमान में पटना उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश), कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस सौमेन सेन को मेघालय का मुख्य न्यायाधीश और मद्रास उच्च न्यायालय के जस्टिस एम. सुंदर को मणिपुर उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश (वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की 14 सितंबर, 2025 को सेवानिवृत्ति के परिणामस्वरूप) नियुक्त करने की सिफारिश की है।

वर्दी पहनते ही पुलिस को त्यागनी होगी निजी और धार्मिक सोच

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पुलिस अधिकारी जब वर्दी पहनते हैं, तो उन्हें व्यक्तिगत, धार्मिक या जातीय पूर्वाग्रह को पूरी तरह त्यागकर केवल कानून और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेच ने महाराष्ट्र के अकोला में 2023 के साम्प्रदायिक दंगों के दौरान हत्या के मामले में कार्रवाई न करने पर नाराजगी जताई और विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया। अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस को कड़ी फटकार लगाई कि उन्होंने अब तक एफआईआर दर्ज नहीं की, जो गंभीर लापरवाही है। मई 2023 में अकोला के पुराने शहर क्षेत्र में पैगंबर मोहम्मद से जुड़े एक सोशल मीडिया पोस्ट के वायरल होने पर हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान विलास महादेव राव गायकवाड़ की हत्या हो गई और आठ लोग घायल हुए, जिनमें याचिकाकर्ता मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ भी शामिल थे। पुलिस ने शरीफ का बयान दर्ज किया, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की।

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