Tuesday, August, 12,2025

राजनीतिक लड़ाई वोटर के सामने लड़ें, ईडी का इस्तेमाल क्यों?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आचरण पर सवाल उठाए तथा मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से भूखंड आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती के खिलाफ मामला रद्द करने के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। राजनीतिक लड़ाई में एजेंसी को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने के खिलाफ आगाह करते हुए प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जाए। आपका (ईडी का) इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है।

सीजेआई गवई और न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की पीठ कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली इंडी की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बी. एम. पार्वती से जुड़े एमयूडीए मामले की कार्यवाही रद्द कर दी गई थी।

यह था मामला

मूल आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूरु (विजयनगर लेआउट तीसरे और चौथे चरण) के एक पॉश इलाके में 14 प्रतिपूरक भूखंड आवंटित किए गए थे। एमयूडीए ने उसके द्वारा 'अधिग्रहीत' की गई जमीन के एवज में ये भूखंड उन्हें दिए थे। प्रतिपूरक भूखंड अधिग्रहीत जमीन से बहुत अधिक महंगे थे।

हमें मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'श्रीमान राजू (ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू), कृपया हमें मुंह खोलने के लिए मजबूर न करें। अन्यथा, हमें ईडी के बारे में कुछ कठोर टिप्पणियां करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। दुर्भाग्यवश, मुझे महाराष्ट्र में इसका अनुभव है। देशभर में इस तरह की कार्रवाई को बढ़ावा न दें। ईडी की अपील पर पीठ ने कहा, हमें (हाई कोर्ट के) एकल न्यायाधीश के दृष्टिकोण में अपनाए गए तर्क में कोई त्रुटि नहीं दिखती... हम इसे खारिज करते हैं।

न्यायिक कार्यवाही का राजनीतिकरण न करें

उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को आगाह किया कि न्यायिक कार्यवाही का राजनीतिकरण न किया जाए। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन की पीठ ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में न्यायालय के फैसले पर बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, कृपया अपनी राजनीतिक लड़ाई इस अदालत के बाहर लड़ें। पीठ ने
आत्मदीप नामक एक सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री ने न्यायालय के फैसले के बाद आपत्तिजनक बयान दिए, जो न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करते हैं।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पीठ से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह करते हुए कहा कि
आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल को उनकी सहमति के लिए एक अनुरोध भेजा गया था। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, क्या आपको इतना यकीन है कि आपको सहमति मिल जाएगी? अदालत के सामने राजनीतिकरण करने की कोशिश न करें, आपको अपनी राजनीतिक लड़ाई कहीं और लड़नी चाहिए। पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

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