Tuesday, August, 12,2025

चंदलाई बांध की उखड़ रहीं सांसें, लेकिन जिम्मेदार मौन

जयपुर: राजधानी के नेवटा बांध को प्रदूषण से बचाने के लिए जिस तेजी से कार्रवाई की गई, वही गंभीरता और तत्परता चंदलाई बांध के मामले में नदारद है। नेवटा में जहां फैक्ट्रियों को गिराकर सख्त संदेश दिया गया, वहीं चंदलाई बांध लगातार अतिक्रमण और प्रदूषण की चपेट में है। जबकि यह पर्यावरणीय और सिंचाई की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि जांच में सब कुछ सामने आ जाने के बावजूद जिम्मेदार एजेंसियां अब तक कार्रवाई करने में नाकाम रही हैं।

चंदलाई बांध के कैचमेंट एरिया में पांच बीघा भूमि पर 27 फर्जी आवासीय पट्टे जारी करने का मामला करीब सवा साल पहले सामने आया। जेडीए की भूमि पर पंचायत द्वारा जारी किए गए इन पट्टों की जांच में न केवल फर्जीवाड़ा साबित हुआ, बल्कि जांच समिति ने तत्कालीन सरपंच और विकास अधिकारी को दोषी भी माना। जेडीए की रिपोर्ट में भूमि को उसकी खातेदारी बताया गया। जांच में फर्जी तरीके से पट्टे जारी करने की पुष्टि हुई। इसमें तत्कालीन सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी दोषी करार दिए गए। वर्तमान सरपंच और अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध रही। इसके बावजूद न तो कब्जे हटे और ना ही किसी के खिलाफ प्रभावी कानूनी कार्रवाई की गई।

एनजीटी की सख्ती भी बेअसर !

चंदलाई बांध में हो रहे अतिक्रमण और प्रदूषण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी गंभीर चिंता जताई है। एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया कि झील के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण हुए हैं। औद्योगिक अपशिष्ट से जलीय जीव-जंतुओं की मौत हो रही है। रासायनिक जल से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, जल संसाधन विभाग, CPCB, SPCB, स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी सभी की मौजूदगी में संयुक्त दौरा हुआ। तथ्यों की पुष्टि हुई। इसके बावजूद नतीजा वही रहा और कार्रवाई कागजों तक सीमित रही।

चंदलाई बांध का बचना जरूरी

करीब 20,000 बीघा से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई चंदलाई बांध के पानी से होती है। दर्जनों गांव गेहूं, सरसों और सब्जियों की खेती पर निर्भर हैं। हजारों प्रवासी पक्षियों का ठिकाना यह झील है। शहर के बाहर पक्षी प्रेमियों और पर्यावरण प्रेमियों का पसंदीदा स्थल है। क्या विकास के नाम पर इस पारिस्थितिक संतुलन को ऐसे ही उजाड़ा जाएगा?

कब जागेंगी जिम्मेदार एजेंसियां ?

जेडीए, जल संसाधन विभाग, पंचायत समिति, जिला प्रशासन, सभी को जांच रिपोर्ट मिल चुकी है। फर्जी पट्टे साबित हो चुके हैं। एनजीटी की रिपोटों में अतिक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इसके बावजूद न अतिक्रमण हटाए गए, ना दोषियों पर सख्त कार्रवाई हुई, ना ही चंदलाई झील को प्रदूषण से बचाने की ठोस योजना बनी।

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