Friday, September, 26,2025

जनता तय करेगी PM, CM या मंत्री जेल से सरकार चलाएंगे या नहीं: शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि अब देश की जनता को यह तय करना होगा कि क्या जेल में रहकर किसी मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री का सरकार चलाना उचित है। शाह ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में यह बात कही। उन्होंने कहा कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने आप को कानून के दायरे में लाने का संविधान संशोधन पेश किया है, दूसरी ओर 'कानून के दायरे से बाहर रहने, जेल से सरकारें चलाने एवं कुर्सी का मोह न छोड़ने के लिए' कांग्रेस के नेतृत्व में पूरे विपक्ष ने इसका विरोध किया है।

शाह ने कहा कि देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी सरकार की प्रतिबद्धता और जनता के आक्रोश को देखकर उन्होंने संसद में लोकसभा अध्यक्ष की सहमति से संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया, ताकि महत्वपूर्ण संवैधानिक पद, जैसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री जेल में रहते हुए सरकार न चला पाएं। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, इस विधेयक का उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में गिरते जा रहे नैतिकता के स्तर को ऊपर उठाना और राजनीति में शुचिता लाना है। ज्ञात रहे कि शाह ने इससे पहले गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए गए और लगातार 30 दिन हिरासत में रखे जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए थे, जिन्हें सदन ने अध्ययन के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया।

संविधान निर्माताओं ने नहीं की थी ऐसी कल्पना

शाह ने कहा कि संविधान जब बना, तब हमारे संविधान निर्माताओं ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि भविष्य में ऐसे राजनीतिक व्यक्ति भी आएंगे, जओ गिरफ्तार होने से पहले नैतिक मूल्यों पर इस्तीफा नहीं देंगे। विगत कुछ वर्षों में, देश में ऐसी आश्चर्यजनक स्थिति उत्पन्न हुई कि मुख्यमंत्री या मंत्री बिना इस्तीफा दिए जेल से अनैतिक रूप से सरकार चलाते रहे।

शाह ने कांग्रेस पर किया तीखा प्रहार

शाह ने कहा कि देश को वह समय भी याद है, जब इसी सदन में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान संशोधन संख्या-39 से प्रधानमंत्री को ऐसा विशेषाधिकार दिया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती थी। एक तरफ यह कांग्रेस की कार्य संस्कृति और उनकी नीति है कि वे प्रधानमंत्री को संविधान संशोधन करके कानून से ऊपर करते हैं। जबकि, दूसरी तरफ भाजपा की नीति है कि हम हमारी सरकार के प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्रियों को ही कानून के दायरे में ला रहे हैं।

दमनकारी कदमः प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, यह पूरी तरह से दमनकारी कदम है। यह हर चीज के खिलाफ है और इसे भ्रष्टाचार विरोधी कदम के रूप में पेश करना लोगों की आंखों में धूल झोंकने जैसा है।

सुपर आपातकाल से भी बड़ा कदम

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक भारत में लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा। बनर्जी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में यह भी दावा किया कि संशोधन विधेयक एक 'सुपर-आपातकाल' से भी बड़ा कदम है और यह देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त कर देगा।

गैर-भाजपा सरकारों पर निशानाः विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने आरोप लगाया कि संविधान संशोधन विधेयक देश में गैर-भाजपा सरकारों को निशाना बनाने की सत्तारूढ़ पार्टी की नई रणनीति है। यह बदले की राजनीति है और केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर राजनीतिक विरोधियों को फंसाने की कोशिश है।

'काला विधेयक': स्टालिन

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधेयक को राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ मामले थोपने और उन्हें पदों से हटाने वाला काला विधेयक बताया। उन्होंने कहा कि 30 दिन की गिरफ्तारी का मतलब है बिना किसी मुकदमे या अदालती सजा के निर्वाचित मुख्यमंत्री को हटाना।

 

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