Saturday, September, 27,2025

3 साल में लड़कियों के विवाह में 66% व लड़कों में 67% की कमी

जयपुर: राजस्थान में बाल विवाह की कुप्रथा पर अब तेजी से लगाम लग रही है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में पिछले तीन वर्षों में नाबालिग लड़कियों के विवाह में 66 प्रतिशत और लड़कों के विवाह में 67 प्रतिशत की कमी आई है। यह सफलता राज्य सरकार की ठोस पहल, कानूनी सख्ती और नागरिक समाज संगठनों के निरंतर प्रयासों का परिणाम है।

सरकार की कड़ी कार्रवाई का रहा असर

राज्यभर में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाया गया, जिससे 99 प्रतिशत लोग इसके बारे में जागरूक हुए और 100 प्रतिशत ने बाल विवाह न करने की शपथ ली। वहीं, कानूनी सख्ती का असर भी नजर आया। एफआईआर और गिरफ्तारियों के जरिए बाल विवाह से जुड़े अपराधियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की गई। 82 प्रतिशत लोग मानते हैं कि बाल विवाह रोकने में यह कार्रवाई सबसे प्रभावी रही है। वहीं, विवाह पंजीकरण अनिवार्य होने से भी बाल विवाह के मामलों पर निगरानी रखी गई। गांव-गांव में बाल विवाह रोकने के लिए समितियां गठित की गई हैं, जो स्थानीय स्तर पर काम कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 87 प्रतिशत लोगों ने बताया कि उनके गांवों में अब बाल विवाह या तो पूरी तरह बंद हो चुके हैं या फिर बहुत कम हो गए है। इसके अलावा, 75 प्रतिशत लोग मानते हैं कि नागरिक समाज संगठनों ने बाल विवाह रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह रिपोर्ट न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर एक अलग कार्यक्रम में जारी की गई, जिसे जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के शोध प्रभाग सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंड बिहेवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार किया है। 'टिपिंग प्वॉइंट टू जीरो - एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया' नाम की यह रिपोर्ट जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) ने जारी की है।

गरीबी और सांस्कृतिक परंपराएं बाल विवाह के मुख्य कारण

रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 से 2025 तक लड़कियों के बाल विवाह में 66 प्रतिशत कमी और लड़कों के में 67 प्रतिशत कमी आई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार 2005-06 में राजस्थान में 65 प्रतिशत लड़कियां 18 साल से पहले विवाहिता होती थीं, जो अब घटकर 25 प्रतिशत रह गई हैं। वहीं गरीबी (91 प्रतिशत) और सांस्कृतिक परंपराएं (45 प्रतिशत) बाल विवाह के मुख्य कारण बताए गए हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गरीबी, सांस्कृतिक मान्यताएं और पवित्रता की धारणा जैसे कारण बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, जागरूकता के जरिए इन कारणों में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है।

प्रदेश 2030 तक बन सकता है बाल विवाह मुक्त राज्य

रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में नाबालिग लड़कियों के विवाह में 69 प्रतिशत की कमी और नाबालिग लड़कों (21 वर्ष से कम) के विवाह में 72 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। सर्वाधिक गिरावट असम (84 प्रतिशत) में देखी गई, जहां सख्त कानूनी कार्रवाई और 5 हजार से अधिक एफआईआर ने बड़ा असर दिखाया। इसके बाद महाराष्ट्र व बिहार (70%-70%), राजस्थान (66%) और कर्नाटक (55%) का स्थान रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह रफ्तार जारी रही तो राजस्थान 2030 तक बाल विवाह मुक्त राज्य बन सकता है।

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