Saturday, April, 26,2025

हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में एक रैली के दौरान विनायक दामोदर सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी को शुक्रवार को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए इस पर अप्रसन्नता जाहिर की। हालांकि न्यायालय ने गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी। न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायाधीश मनमोहन की पीठ ने कहा, हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। पीठ ने गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से पूछा कि क्या वह (राहुल गांधी) जानते हैं कि महात्मा गांधी भी अंग्रेजों के साथ अपने संवाद में 'आपका वफादार सेवक' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। सिंघवी ने जब दलील दी कि गांधी के खिलाफ शत्रुता को बढ़ावा देने और सार्वजनिक माहौल बिगाड़ने के आरोप नहीं बनते, तो पीठ ने टिप्पणी की, आप बहुत आज्ञाकारी हैं। क्या आपके मुवक्किल को पता है कि महात्मा गांधी ने भी वायसराय को संबोधित करते समय 'आपका वफादार सेवक' कहा था? क्या सिर्फ इस आधार पर महात्मा गांधी को 'अंग्रेजों का सेवक' कहा जा सकता है? न्यायाधीश दत्ता ने कहा, 'क्या आपके मुवक्किल को पता है कि उनकी दादी (इंदिरा गांधी) ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए उन्हीं सज्जन (सावरकर) की प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था? उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए।

जब इतिहास के बारे में कुछ पता नहीं, तो ऐसी टिप्पणी क्यों!

पीठ ने इस पर कहा, स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। जब आपको भारत के इतिहास के बारे में कुछ भी पता नहीं है, तो आपको ऐसी कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। न्यायाधीश दत्ता ने कहा, वह एक राजनीतिक दल के नेता हैं और आप इस तरह की टिप्पणी क्यों करेंगे। आप महाराष्ट्र जाइए, वहां उनकी (सावरकर की) पूजा की जाती है। ऐसा मत कीजिए। सिंघवी ने कहा कि संदेश बेहद स्पष्ट था। शीर्ष अदालत ने हालांकि, राहुल गांधी की इस टिप्पणी को लेकर उत्तर प्रदेश में उनके खिलाफ दर्ज मामले में आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी। राहुल गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

फिर ऐसा बयान, दिया तो लेंगे स्वतः संज्ञान

पीठ ने आगाह करते हुए कहा कि अगर वह (गांधी) फिर से ऐसा बयान देते हैं तो स्वतः संज्ञान लिया जाएगा। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों पर अब और कुछ नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होंने हमे आजादी दिलाई और हम उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं? यह सही तरीका नहीं है। शीर्ष अदालत ने इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार एवं शिकायतकर्ता वकील नृपेंद्र पांडे को नोटिस जारी किया तथा गांधी के खिलाफ अधीनस्थ अदालत के समन को रद्द करने से इनकार करने संबंधी हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। सिंघवी ने अदालत से कोई टिप्पणी नहीं करने का अनुरोध किया और कहा कि गांधी का इरादा समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने का नहीं था।

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