Tuesday, August, 26,2025

नैतिकता और जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए है बिल

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान के 130वें संशोधन पर जारी विपक्ष के विरोध को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि यह विधेयक जरूर पास होगा, भले ही विपक्ष इसका तीखा विरोध कर रहा हो। उन्होंने कहा कि यह विधेयक "संवैधानिक नैतिकता" और जनता के भरोसे को बनाए रखने के लिए है। ये सत्ताधारी पार्टी सहित सभी नेताओं पर समान रूप से लागू होगा। यह किसी खास पार्टी या नेता को निशाना बनाने के लिए नहीं है। इस संविधान संशोधन में प्रस्ताव है कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर अपराध के आरोपों पर 30 दिन से ज्यादा समय जेल में रहता है तो उसे अपने पद से हटना होगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में विश्वास जताया कि कांग्रेस और विपक्ष के कई लोग "नैतिकता का समर्थन" करेंगे और इस विधेयक को पास करवाने में साथ देंगे। बिल को विस्तृत जांच के लिए 31 सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है, जो इस पर सुझाव देगी। उन्होंने विपक्ष के विरोध को गलत बताया। उन्होंने कहा, 'क्या कोई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है। वे चाहते हैं कि उन्हें जेल से सरकार चलाने का विकल्प मिले।

सोहराबुद्दीन मामले में समन मिलते ही दे दिया था इस्तीफा

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में उनकी नैतिकता पर सवाल उठाए जाने पर शाह ने कहा, जैसे ही मुझे सीबीआई से समन मिला, मैंने अगले ही दिन इस्तीफा दिया और मुझे बाद में गिरफ्तार किया गया। यह मामला चलता रहा और फैसले में भी कहा गया कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला था। उन्होंने कहा, फैसला बाद में आया, लेकिन मुझे जमानत पहले मिल गई। जब तक मुझे पूरी तरह से बरी नहीं कर दिया गया, मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं स्वीकारा। विपक्ष मुझे कौन सा नैतिकता का पाठ पढ़ाना चाहता है?'

11 दिन में फैसला हो जाता है, मेरी याचिका 2 साल अटकी रही

यह पूछे जाने पर कि क्या जस्टिस आफताब आलम उनके घर आए थे हस्ताक्षर लेने? अमित शाह ने इन आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि नहीं ऐसा नहीं हुआ था। जस्टिस आफताब आलम कभी मेरे घर नहीं आए। उन्होंने मेरी जमानत याचिका पर रविवार के दिन विशेष सुनवाई की और कहा कि गृह मंत्री होने के नाते में गवाहों को प्रभावित कर सकता हूँ, तब मेरे वकील ने कहा कि जब तक जमानत याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक मेरे मुवक्किल गुजरात से बाहर रहेगे। मैं दो साल राज्य से बाहर रहा। जस्टिस आफताब आलम की कृपा से मेरी जमानत याचिका पर दो साल सुनवाई चली। जबकि आमतौर पर जमानत याचिका पर 11 दिन में फैसला हो जाता है।

किसी को निशाना नहीं बनाया

विपक्ष के तीखे हमलों पर शाह ने साफ किया कि यह विधेयक किसी खास पार्टी या नेता के खिलाफ नहीं है। कोई भी अदालत में जाकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश मांग सकता है। यूपीए सरकार के दौरान कई जांचे अदालत के आदेश पर शुरू हुई थीं। मैं कम से कम 12 ऐसे मामले बता सकता हूं, जहां अदालत ने सीबीआई को जांच का निर्देश दिया था।

हम तो विपक्ष को मौका दे रहे हैं

टीएमसी के जेपीसी का बहिष्कार करने पर शाह ने कहा कि सरकार ने उन्हें शामिल होने का पूरा मौका दिया है। संसद के नियमों को ठुकराकर यह उम्मीद करना ठीक नहीं कि सब कुछ उनकी शर्तों पर होगा। सरकार उन्हें मौका दे रही है, लेकिन अगर वे इसे स्वीकार नहीं करते, तो हम और क्या कर सकते हैं? शाह ने जोर देकर कहा कि जेपीसी अहम है और इसमें सभी दलों की राय शामिल होनी चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण विधेयक है और जेपीसी में हर दल की राय सुनी जानी चाहिए। अगर विपक्ष अगले चार साल तक इस विधेयक का समर्थन नहीं करता, तो क्या देश का काम रुक जाएगा? ऐसा नहीं होगा।

राहुल के विधेयक फाड़ने का क्या औचित्य था

विपक्ष पर निशाना साथते हुए शाह ने कहा, लालू यादव को बचाने के लिए मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ने का राहुल गांधी का क्या औचित्य था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो क्या आज नहीं है क्योंकि आप लगातार तीन चुनाव हार चुके है? मुझे पूरा विश्वास है कि यह पारित हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी और विपक्ष में ऐसे कई लोग होंगे जो नैतिकता का समर्थन करेंगे और नैतिकता के आधार को बनाए रखेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सराहा

शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा, प्रधानमंत्री ने खुद इस विधेयक में पीएम के पद को शामिल किया है। पहले इंदिरा गांधी ने 39वां संशोधन लाकर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर को अदालती जांच से बचाया था। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी यह संवैधानिक संशोधन लाए हैं कि अगर प्रधानमंत्री जेल जाता है, तो उसे इस्तीफा देना होगा। अमित शाह ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज किया कि सरकार इस विधेयक के जरिए गैर-भाजपा सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है।

संविधान निर्माताओं ने नहीं की थी ऐसी कल्पना

शाह ने कहा, मेरी पार्टी और देश के प्रधानमंत्री का मानना है कि कोई मुख्यमंत्री, मंत्री या प्रधानमंत्री जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता... जब संविधान बनाया गया था, तब संविधान निर्माताओं ने ऐसी बेशर्मी की कल्पना नहीं की होगी कि कोई मुख्यमंत्री जेल में रहे और जेल से ही मुख्यमंत्री बने रहें। शाह ने यह भी साफ किया कि बिल निष्पक्ष है। अगर कोई नेता 30 दिन बाद भी जमानत हासिल कर लेता है, तो वह शपथ लेकर अपने पद पर वापस आ सकता है।

अदालतें रोकेंगी विधेयक का दुरुपयोग

शाह ने कहा कि अदालते इस विधेयक के दुरुपयोग को रोकेंगी। हमारी अदालतें कानून की गंभीरता को समझती हैं। जब 30 दिन बाद इस्तीफा देना हो, तो उससे पहले अदालत यह तय करेगी कि व्यक्ति को जमानत मिलनी चाहिए या नहीं। जब अरविंद केजरीवाल का मामला हाई कोर्ट में गया, तो कहा गया कि नैतिक आधार पर उन्हें इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन मौजूदा कानून में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।

नया कानून होता तो केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ता

शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता जिस कानून का विरोध कर रहे है। अगर वह पहले से बना होता तो जब अरविंद केजरीवाल को जेल हुई थी, तब उन्हें इस्तीफा देना पड़ता। अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कहने पर उन्होंने इस्तीफा दिया था।

धनखड़ के इस्तीफे को न खींचे विपक्ष

शाह ने कहा, पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ एक संवैधानिक पद पर आसीन थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान के अनुरूप अच्छा काम किया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया है। किसी को भी इसे ज्यादा खींचकर कुछ खोजने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

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