Sunday, August, 24,2025

शांति समझौता नहीं तो रूस पर लगाएंगे अतिरिक्त प्रतिबंध

न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति बोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच होने वाली बैठक से पहले यूएस के विदेश मंत्री माकों रूबियो का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने दो टूक कहा कि शांति समझौते पर पहुंचने के लिए यूक्रेन और रूस दोनों को एक-दूसरे को रियायतें देनी होंगी। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अतिरिक्त प्रतिबंध की चेतावनी दी।

माकों रुबियो का बयान ऐसे समय में आया है, जब कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध को समाप्त करने के लिए डोनबास का पूर्वी क्षेत्र मॉस्को को सौंपने की शर्त रखी है। वहीं यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की शांति के लिए कोई भी क्षेत्र छोड़ने से साफ तौर मना कर दिया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द कोई समाधान नहीं निकला, तो यह संघर्ष और गहरा सकता है तथा वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक संकट और बढ़ सकता है।

नहीं हुई शांति तो मरते रहेंगे लोगः मार्को रुबियो

अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियों ने कहा कि अमेरिका यूक्रेन और रूस को समझौते तक पहुंचने में मदद करने के लिए हर संभव प्रवास करता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि वाशिंगटन के लिए तीन साल से अधिक समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए कोई स्पेशल प्लान बनाना संभव नहीं हो सकता है। मार्को रुबियों ने फेस द नेशन शो को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर रूस-यूक्रेन के बीच शांति नहीं हो पाई और यह युद्ध की तरह ही चलता रहा तो हजारों लोग मरते रहेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह भी चेतावनी दी कि यदि शांति समझौता नहीं हुआ तो रूस को अतिरिक्त प्रतिबंध जैसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

ट्रंप और पुतिन के बीच हो चुकी है बातचीत

ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में 15 अगस्त को बैठक हुई, लेकिन सीजफायर को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ। हालांकि दोनों नेताओं ने ये जरूर कहा कि बातचीत अच्छी रही, जो शांति समझौते के लिहाज से काफी सकारात्मक थी। अलास्का शिखर वार्ता के बाद ट्रंप ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें समाधान खोजने के और करीब लाने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

वर्ष 2022 से चल रहा है युद्ध

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत 24 फरवरी 2022 को हुई, जब रूस ने यूक्रेन पर "विशेष सैन्य अभियान" के नाम से हमला किया। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और हालात अब भी नियंत्रण से बाहर हैं। 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ यह संघर्ष यूक्रेन की राजधानी कीव से लेकर पूर्वी और दक्षिणी मोर्चों तक फैल चुका है। रूसी सेना फिलहाल डोनेट्रक, लुहांस्क और दक्षिणी इलाकों पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है। वहीं यूक्रेनी सेना को अमेरिका और यूरोपीय देशों से लगातार हथियार और आर्थिक मदद मिल रही है। हाल के दिनों में रूस ने ड्रोन और मिसाइल हमलों की रफ्तार तेज कर दी है, जबकि यूक्रेन जवाबी हमलों में जुटा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कूटनीतिक हलचल जारी है।

अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात में यूक्रेन को "नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी" देने का मुद्दा उठा, लेकिन किसी ठोस समझौते तक बात नहीं पहुंची। युद्ध का असर सिर्फ इन दोनों देशों तक सीमित नहीं है। यूरोप ऊर्जा संकट से जूझ रहा है, जबकि एशिया और अफ्रीका में खाद्यान्न आपूर्ति प्रभावित हुई है। लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों सैनिक व नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत ने इस पूरे संकट में तटस्थ रुख अपनाया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने शांति और संवाद पर जोर दिया, वहीं अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति भी बढ़ाई।

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