Wednesday, August, 13,2025

बहुध्रुवीय विश्व में भारत की अहम भूमिका होगी: सिंगापुर

सिंगापुर: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि वह सिंगापुर के साथ विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में लगातार प्रगति देखकर प्रसन्न हैं। उन्होंने रविवार को सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री गैन किम योंग और विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन से मुलाकात की और विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। जयशंकर सिंगापुर और चीन की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं। सिंगापुर यात्रा के बाद जयशंकर चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे। सम्मेलन 15 जुलाई को है। 2020 में हुई गलवान झड़प के बाद जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी। जयशंकर से मुलाकात के बाद सिंगापुर के विदेश मंत्री बालाकृष्णन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, जैसे-जैसे विश्व बहुध्रुवीयता की ओर अग्रसर हो रहा है, भारत इन प्रमुख ध्रुवों में से एक के रूप में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 जयशंकर ने सिंगापुर के नेताओं से मुलाकातों के बाद सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, उप प्रधानमंत्री गैन किम योंग से मिलकर अच्छा लगा। विभिन्न द्विपक्षीय पहलों में लगातार प्रगति देखकर खुशी हुई। जयशंकर ने यह भी कहा कि वह तीसरे भारत-सिंगापुर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन (आईएसएमआर) का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले जयशंकर ने अपने समकक्ष विवियन बालाकृष्णन से मुलाकात के बाद कहा कि सिंगापुर हमारी 'एक्ट ईस्ट' नीति के केंद्र में है। वहां विचारों का आदान-प्रदान करना हमेशा उपयोगी होता है। आईएसएमआर की उद्घाटन बैठक सितंबर 2022 में नई दिल्ली में हुई थी, जबकि आईएसएमआर का दूसरा दौर पिछले साल अगस्त में सिंगापुर में आयोजित किया गया था। जयशंकर ने टेमासेक होल्डिंग्स के मनोनीत अध्यक्ष टेओ ची हेन से भी मुलाकात की, जिस दौरान उन्होंने भारत में निवेश के अवसरों पर चर्चा की।

चीन का माइंडगेम शुरू... कहा- भारत के साथ रिश्तों में तिब्बत 'कांटा'

दूसरी ओर, जयशंकर के चीन पहुंचने से पहले ही बीजिंग की तरफ से माइंडगेम खेलना शुरू कर दिया गया है। रविवार को चीन की तरफ से कहा गया कि भारत और चीन के संबंधों में तिब्बत से संबंधित मुद्दे किसी कांटे की तरह हैं। यह भारत के ऊपर एक बोझ बन गए हैं। चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया पर भारत और चीन संबंधों पर अपनी राय रखी। उन्होंने लिखा, भारत में पूर्व अधिकारियों और रणनीतिक और शैक्षणिक समुदायों के सदस्यों ने दलाई लामा और उनके पुनर्जन्म के बारे में अनुचित टिप्पणियां की है। भारतीय पेशेवरों को शीजांग (तिब्बत का चीनी नाम) से जुड़े मुद्दों की संवेदनशीलता को समझना चाहिए और उन पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। यू ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकार से जुड़ा मामला स्वाभाविक तौर पर चीन का आंतरिक मामला है। ऐसे में किसी भी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप इसमें बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। तिब्बत कार्ड खेलकर भारत अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारेगा। ज्ञात रहे कि भारत के संसदीय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू दलाई लामा के जन्मोत्सव में शामिल हुए थे। उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म पर फैसला करने का अधिकार सिर्फ उन्हें (दलाई लामा) और उनके कार्यालय को है। इससे पहले, चीनी राजदूत शू फेड़होंग ने भी दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा था कि चीनी सरकार राष्ट्रीय हित से जुड़े धार्मिक मामले को बेहतर तरीके से संभालती है। इतना ही नहीं शू ने दलाई लामा पर चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप लगाया।

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