Tuesday, November, 25,2025

दो साल में मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट्स और योजनाओं को पहनाया अमली जामा

राजस्थान के मुख्य सचिव का पद संभालने के बाद सुधांश पंत ने सबसे पहले तो राज्यकर्मियों को समय की पाबंदी का पाठ पढ़ाया। उन्होंने स्वयं फील्ड में उतरकर यह प्रयास किए कि अधिकारी व कर्मचारी समय पर ऑफिस आएं। इस खातिर उन्होंने सरकारी दफ्तरों के कई बार औचक निरीक्षण किए। अनुशासन और नियम-कायदों के पक्के पक्षधर पंत ने ब्यूरोक्रेसी की लगाम कसने में जरा भी हिचक नहीं की।

राज-काज यथोचित गति के साथ आगे बढ़े, इसके लिए बाबुओं ओर अधिकारियों की टेबलों पर 'फाइलों के मूवमेंट' की उन्होंने सख्ती से मॉनिटरिंग की। नतीजा यह हुआ कि जनता के काम जल्दी होने लगे। पंत की कार्यशैली में आला अफसरों की नियमित मीटिंग भी एक महत्वपूर्ण पार्ट रहा। कमेटी ऑफ सेक्रेट्रीज (सीओएस) की रेगुलर मीटिंग का एक नया अध्याय उन्होंने राज्य प्रशासन में जोड़ा। इन मीटिंगों में अफसरों को शाबासी देने के साथ-साथ उन्हें खरी-खोटी सुनाने में भी वे पीछे नहीं रहे।

पंत की कोशिश रही कि अधिकारी अपने आचरण व्यवहार के प्रति पूरी तरह सजग व गंभीर रहें, क्योंकि उनकी हर गतिविधि के साथ सरकार की प्रतिष्ठा जुड़ी होती है। पंत ने प्रशासन में गरिमा व 'प्रोटोकॉल' को तरजीह देने का नौकरशाही को महत्व समझाया।

महत्वपूर्ण बात तो यह है कि दो साल में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के ड्रीम प्रोजेक्ट्स और महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमली जामा पहनाने में पंत सदैव तत्पर रहे। मुख्यमंत्री के साथ इस खातिर उन्होंने अनगिनत बार लंबी मंत्रणाएं की। दो साल में पंत ने 'मुख्य सचिव' ऑफिस की प्रतिष्ठा और इकबाल को भी पुनस्र्थापित कर दिखाया है। सचिवालय के मुख्य दरवाजे से आने-जाने की उनकी नई परंपरा से भी प्रशासन में सजगता आई है। माना जा रहा है कि केंद्र में अपनी नई जिम्मेदारी को भी पंत बखूबी और सफलता के साथ निभाएंगे। राजस्थान के हितों का पूरा ध्यान रखेंगे।

कार्यकाल के बीच पहले भी कई अधिकारियों ने छोड़ी सीएस की कुर्सी

मुख्य सचिव के कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ने के उदाहरण देखें तो पहला मामला आईएएस सुंदर लाल खुराना का रहा, जो अगस्त, 1971 में मुख्य सचिव बने और आपातकाल लगने के बाद 26 जून 1975 को दिल्ली चले गए। वहां उन्हें केंद्रीय गृह सचिव बनाया गया। बाद में वे तमिलनाडु के राज्यपाल भी बने। उनके बाद मार्च 1986 में मुख्य सचिव की कुर्सी छोडकर नरेश चंद्रा दिल्ली गए। राजस्थान कॉडर के 1956 बैच के आईएएस नरेश चंद्रा केंद्र में जल संसाधन सचिव, रक्षा सचिव और केंद्रीय गृह सचिव रहने के बाद 1990 में कैबिनेट सचिव बने और 1992 तक इस पद रहे। बाद में वे प्रधानमंत्री के वरिष्ठ सलाहकार और संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय राजदूत भी रहे। उन्हें 2007 पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। राजस्थान में ही रहते हुए मुख्य सचिव की कुर्सी से हटने वाले अन्य अधिकारियों की बात करें तो आनंद मोहन लाल को उनकी शादी की सालगिरह के आयोजन को लेकर विवाद खड़ा होने के बाद जुलाई, 1985 में पद छोड़ना पड़ा। उनसे पहले गोपाल कृष्ण भनोत को दिसम्बर, 1980 में मुख्य सचिव का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही राजस्व मंडल का चेयरमैन बना कर भेज दिया गया। इसी तरह गहलोत सरकार के दौरान अक्टूबर, 2013 तक मुख्य सचिव रहे सीके मैथ्यू को नई सरकार ने राजस्थान राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठा दिया।

  Share on

Related News

Connect With Us

visit e-papers
Epaper

आज का राशिफल

image

मेष

रुके काम बनेंगे, नौकरीपेशा और व्यापारियों के लिए शुभ।

image

वृष

आर्थिक स्थितियां बेहतर होने के साथ धनलाभ होगा।

image

मिथुन

गुरु शुभ फल देंगे, शत्रु पराजित होंगे

image

कर्क

मिलाजुला असर रहेगा, अतिरिक्त परिश्रम के साथ नौकरी पेशा को दिक्कतें आ सकती है।

image

सिंह

कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान के साथ मकान,वाहन सुख मिलेगा।

image

कन्या

कामकाज के अवसरों में वृद्धि, भाग्य का साथ मिलेगा।

image

तुला

धन की रुकावटें दूर होंगी, लाभ के अवसर बढ़ेंगे, धर्म में रुचि बढ़ेगी।

image

वृश्चिक

आर्थिक स्थिति सुधरेगी, व्यापार में निवेश संबंधी फैसले की आजादी मिलेगी।

image

धनु

लाभ में वृद्धि होगी, कोई बड़ी डील हाथ लग सकती है।

image

मकर

सुखद पलों की प्राप्ति होगी। फिजूल के खर्चे बढ़ेंगे, सुख सुविधाओं में इजाफा होगा।

image

कुंभ

धनलाभ के अवसरों में वृद्धि के साथ अपनी योजनाओं पर काम करते रहे।

image

मीन

संभलकर रहे, जल्दबाजी नहीं दिखाए। कानूनी वाद-विवादों से बचे।

Gallery