Saturday, October, 11,2025

घूसखोर स्पेशलिस्ट डॉक्टर पर ACB का शिकंजा

जयपुर: प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष और एडिशनल प्रिंसिपल डॉ. मनीष अग्रवाल को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। एसीबी ने देर रात डॉ. मनीष के सहयोगी जगत को भी गिरफ्तार कर लिया।

डॉ. अग्रवाल कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन थे और एसीबी की टीम ने पूर्व नियोजित ट्रैप के जरिए कार्रवाई की। परिवादी ठेकेदार ने एसीबी को बताया कि डॉ. मनीष अग्रवाल ने उनसे रिश्वत की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि शाम 7 बजे के बाद आ जाना, तब तक मरीज रहते हैं, इसलिए कोई शक नहीं होगा। ठेकेदार तय समय पर उनके घर पहुंचा। पीछे से एसीबी की टीम पहले से तैयार बैठी थी। जैसे ही डॉ. अग्रवाल ने रिश्वत की राशि ली, उन्हें दबोच लिया गया। घबराए डॉ. मनीष ने रकम पास के एक प्लॉट में फेंक दी, लेकिन एसीबी ने तुरंत उसे बरामद कर लिया।

एसीबी की एडीजी स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि शिकायत एक दिन पहले ही मिली थी। इसके आधार पर गुरुवार शाम को ट्रैप कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई के बाद डॉ. मनीष के अन्य नजदीकी चिकित्सकों की भूमिका पर भी संदेह के घेरे में है। देर रात तक एसीबी की टीमें आरोपी के घर और अन्य ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन में जुटी रहीं।

अतीत में भी रिश्वत के आरोप

यह पहला मामला नहीं है, जब डॉ. मनीष अग्रवाल पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। इससे पहले भी लाखों रुपए के लेन-देन और निजी फर्मों को 'उपकार' के मामले में उन पर आरोप लग चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, डॉ. मनीष सिर्फ उन्हीं मरीजों का इलाज करते थे, जिन्होंने पहले उनके घर जाकर मोटी फीस चुकाई हो। इससे उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और निजी प्रैक्टिस के आरोप पहले भी लग चुके थे।

डॉ. मनीष अग्रवालः एसएमएस के 'सर्वशक्तिमान' डॉक्टर

जानकारी के अनुसार, डॉ. मनीष अग्रवाल एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सबसे प्रभावशाली डॉक्टरों में शुमार थे। वे न केवल न्यूरो सर्जरी विभाग के हेड थे, बल्कि एडिशनल प्रिसिपल, एमओआईसी सेंट्रल मेडिकल स्टोर, ट्रॉमा सेंटर न्यूरो आईसीयू, न्यू ओटी प्रभारी जैसे कई महत्वपूर्ण पद संभालते थे। एसएमएस अस्पताल में होने वाली करोड़ों रुपए की खरीद और आपूर्ति से जुड़े दस्तावेजों पर अंतिम साइन का अधिकार उनके पास था। अस्पताल से जुड़े 11 उप-अस्पतालों की दवाओं, इंप्लांट्स और सर्जिकल आइटम्स की 80 प्रतिशत खरीद प्रक्रिया पर उनका पूर्ण नियंत्रण था। मई 2025 में ही उन्हें एडिशनल प्रिंसिपल बनाया गया था।

ट्रोमा सेंटर हादसे में भी थे जिम्मेदार

डॉ. मनीष अग्रवाल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी के करीबी माने जाते थे। हर कमेटी में उनकी मौजूदगी अनिवार्य थी। हाल ही में 5 अक्टूबर को ट्रोमा सेंटर में लगी आग में 8 मरीजों की मौत हुई थी और उस न्यूरो आईसीयू का प्रशासनिक प्रभारी भी वे ही थे। यह हादसा स्वास्थ्य सेवाओं पर पहले ही सवाल खड़े कर चुका था और अब भ्रष्टाचार के आरोप इसे और गंभीर बना रहे हैं।

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