Friday, September, 26,2025

नवरात्र में महालक्ष्मी राजयोग... भक्तों पर बरसेगी मां की कृपा

जयपुर: चंद्रमा तुला राशि में 24 सितंबर को मंगल के साथ संयोग करेगा, जिससे महालक्ष्मी राजयोग का निर्माण होगा। यह दुर्लभ ज्योतिषीय योग शारदीय नवरात्र पर बन रहा है, जो इस पर्व में की गई पूजा और साधना को विशेष फलदायी बनाएगा। शारदीय नवरात्र इस वर्ष 22 सितंबर से प्रारंभ होकर 1 अक्टूबर को संपन्न होंगे। 2 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होने वाला यह पर्व इस बार 10 दिनों तक मनाया जाएगा। यानी मां की आराधना दस दिन होगी। कारण यह है कि तृतीया तिथि 24 और 25 सितंबर को दो दिनों तक रहेगी, जिससे नवरात्र एक दिन बढ़ गए हैं। 25 सितंबर को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं में नवरात्र की तिथि बढ़ना शुभ संकेत माना जाता है और इससे पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है।

सुख-समृद्धि के साथ धन-धान्य की होगी वृद्धि

इस बार नवरात्र सोमवार से शुरू हो रहे हैं, जो एक विशेष ज्योतिषीय संकेत देता है। ऐसी स्थिति में देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। हाथी की सवारी को समृद्धि, सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जब माता गज पर सवार होकर आती हैं तो वर्षा अच्छी होती है। धन-धान्य की वृद्धि होती है और जनजीवन में सुख-समृद्धि का संचार होता है। वहीं देवी का प्रस्थान इस बार गुरुवार को होगा, जिसका अर्थ है कि माता मनुष्य की सवारी पर प्रस्थान करेंगी। यह भी अत्यंत शुभ संकेत है, जो वर्ष भर सौभाग्य, सुख और शांति की प्राप्ति का सूचक है।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्र पर 22 सितंबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 से 8:06 बजे तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है, जो सुबह 11:49 से दोपहर 12:38 बजे तक है। इस दिन हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग का संयोग भी रहेगा, जिससे यह दिन पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ हो जाएगा।

आर्थिक समृद्धि, सुख-शांति देने वाले हैं नवरात्र

नवरात्र में 24 सितंबर को तुला राशि में चंद्रमा और मंगल का मिलन होगा। इस युति से जो महालक्ष्मी राजयोग बनेगा, वह साधकों के लिए विशेष फलदायी रहेगा। यह योग आर्थिक समृद्धि, सुख-शांति और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला माना गया है। नवरात्र में यदि पूजा और उपासना इस योग के दौरान की जाए तो देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त हो सकती है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास का कहना है कि नवरात्र आत्मशुद्धि और साधना का श्रेष्ठ समय है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों-शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री-की आराधना की जाएगी। व्रत और उपवास रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मकता का प्रवेश होता है।
 

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