Friday, September, 26,2025

बांध से 3 किलोमीटर दूर खेत में गिरा ड्रोन, देखने उमड़े ग्रामीण

जयपुर: रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश के लिए ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग का एक और प्रयास विफल हो गया। रविवार को हुए इस प्रयोग के दौरान ड्रोन तकनीकी खराबी के कारण बांध के कैचमेंट एरिया से 3 किलोमीटर दूर गोपालगढ़ गांव के एक खेत में गिर गया। जानकारी के अनुसार, ड्रोन को जेनएक्सएआई कंपनी के टीम लीडर शशांक शर्मा के नेतृत्व में उड़ाया गया था। ड्रोन के माध्यम से कृत्रिम बारिश का उद्देश्य दो दशकों से सूखे पड़े रामगढ़ बांध को पुनः पानी से भरना है। हालांकि, जीपीएस सिग्नल में समस्या के कारण ड्रोन नियंत्रण खो बैठा और खेतों में जा गिरा। खेत में ड्रोन गिरने की बात आग की तरह फैल गई और मौके पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। स्थानीय लोगों ने इस घटना पर मजाक करते हुए कहा कि आसमान से बारिश की उम्मीद थी, लेकिन ड्रोन ही जमीन पर आ गिरा। यह तीसरी बार है जब कृत्रिम बारिश का प्रयास असफल रहा। इससे पहले 12 अगस्त को भारी भीड़ और नेटवर्क जाम के कारण ड्रोन उड़ान भरने में विफल रहा था। ड्रोन ने दो बार उड़ान भरने की कोशिश की, लेकिन जीपीएस सिग्नल की कमी के कारण वह जमीन पर गिर गया था।

अधिक ऊंचाई की अनुमति मिले तो प्रयोग हो सफल

कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के निर्देशन में शुरू हुए इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए क्लाउड सीडिंग कर बांध में पानी की कमी को दूर करना है। जेनएक्सएआई कंपनी के एक कर्मचारी ने बताया कि पहले प्रयास में भीड़ के कारण मोबाइल नेटवर्क में व्यवधान और जीपीएस सिग्नल की समस्या इस असफलता का प्रमुख कारण रही। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि ड्रोन को बादलों तक पहुंचाने के लिए कम से कम 400 मीटर की ऊंचाई की जरूरत होती है, लेकिन वर्तमान में डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन) से केवल सीमित ऊंचाई की अनुमति मिली है। कंपनी ने दावा किया कि अगले प्रयास में भीड़ नियंत्रण और बेहतर तकनीकी उपकरणों के साथ प्रयोग को सफल बनाने की कोशिश की जाएगी। कंपनी को उम्मीद है कि जल्द ही अधिक ऊंचाई की अनुमति मिलने पर यह प्रयोग सफल हो सकता है।

महत्वाकांक्षी योजना बनी मजाक का विषय

रामगढ़ बांध, जो कभी जयपुर का प्रमुख जल स्रोत था, पिछले कई सालों से सूखा पड़ा है। इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत 60 दिनों तक क्लाउड सीडिंग के जरिए बारिश कराने की योजना है, जिससे बांध का जलस्तर बढ़ाया जा सके और क्षेत्र में जल संकट को कम किया जा सके। हालांकि, बार-बार असफलता के बाद स्थानीय लोगों में निराशा देखी जा रही है। कई लोगों का कहना है कि तकनीकी खामियों और भीड़ प्रबंधन की कमी के कारण यह महत्वाकांक्षी योजना मजाक का विषय बन रही है। अब सभी की निगाहें अगले प्रयास पर टिकी हैं, जिसमें सरकार और कंपनी को तकनीकी और प्रबंधन स्तर पर बेहतर तैयारी करनी होगी। कृत्रिम बारिश कराने वाली कंपनी का मानना है कि उनका ड्रोन 10,000 फीट तक उड़ सकता है, लेकिन वर्तमान में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन से केवल 400 फीट तक की अनुमति प्राप्त है। कंपनी ने अधिक ऊंचाई के लिए डीजीसीए से अनुमति के लिए आवेदन किया है।

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