Tuesday, November, 25,2025

सड़क दुर्घटनाएं... हर पांचवें केस में एफआर, दोषी सिर्फ एक प्रतिशत

जयपुर: राजस्थान में सड़क दुर्घटनाएं केवल संख्या नहीं, बल्कि सड़क सुरक्षा व्यवस्था की विफलता को बयां करती हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि बड़ी संख्या में दुर्घटनाओं से जुड़े ऐसे मामले भी हैं, जिन्हें पुलिस ने बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे ही बंद कर दिया। यह पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। साथ ही न्याय और राहत की आस लगाए पीड़ित पक्ष को भी झटका है। जनवरी 2023 से दिसंबर 2024 तक करीब 10,066 मामले ऐसे थे, जिन्हें पुलिस ने एफआर लगाकर बंद कर दिया। इस अवधि में हुए हादसों पर नजर डालें तो 1 जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2024 के बीच राज्य में 49,838 सड़क हादसे दर्ज हुए, जिनमें 23,685 लोगों की मौत और 46,155 लोग घायल हुए। दुखद पहलू यह है कि 10,066 मामलों में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाकर जांच बंद कर दी, यानी हर पांचवां मामला बिना न्यायिक निष्कर्ष के समाप्त हो गया। कुल 36,846 मामलों में चालान पेश किए गए, परंतु दोष सिद्ध होने के बाद सजा पाने वाले अभियुक्तों की संख्या मात्र 459 रही। यानी सजा का औसत एक प्रतिशत से भी कम है।

आंकड़े बताते हैं कि हजारों लोगों की जिंदगियां छिन जाने और परिवारों के उजड़ने के बावजूद न्याय की प्रक्रिया बेहद धीमी है। राजस्थान हर दिन औसतन 65 सड़क हादसों और 32 मौतों का गवाह बन रहा है। सबसे ज्यादा मौतें दोपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की हैं। इन हादसों में राज्य में 595 लोग स्थायी रूप से विकलांग भी हुए।

80% हादसों की वजह ओवरस्पीड

आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 80% हादसे ओवरस्पीडिंग की वजह से हो रहे हैं, जबकि बिना लाइसेंस ड्राइविंग से हर साल 340 से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। हेलमेट और सीट बेल्ट की अनदेखी 3,000 से अधिक मौतों का कारण बनी। वहीं, नशे में वाहन चलाने से 6% और ओवरलोडिंग व तकनीकी खामी से 4% हादसे हुए।

सड़क हादसों और मौतों में राजस्थान छठे स्थान पर

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़े बताते है कि देश में 2024 में 4.61 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 1.68 लाख लोगों की मौत हुई। राजस्थान दुर्घटनाओं और मौतों की दृष्टि से देश में छठे स्थान पर है। मंत्रालय के मुताबिक, 35,000 से अधिक हादसे बिना ड्राइविंग लाइसेंस वालो द्वारा किए गए, जो सड़क सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामी को उजागर करता है।

व्यवस्था पर सवाल

प्रदेश में सड़क हादसों का बढ़ता ग्राफ परिवहन महकमे की ओर से आए दिन चलाए जाने वाले जांच अभियानों पर भी संदेह पैदा करता है। आखिर नियमों की अनदेखी कर प्रदेश में यमदूतों की तरह दौड़ते वाहनों पर कार्रवाई को लेकर विभाग कब तक आंखें मूंदे बैठेगा। प्रदेश में बीते एक माह में हुए चार बड़े सड़क हादसों ने फिर पुलिस और परिवहन विभाग के सड़क सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी है। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में हर हादसे की जांच में देरी, एफआर का उच्च प्रतिशत और न्यूनतम सजा दर न्याय व्यवस्था की साख पर सवाल खड़े कर रहा है। यदि ट्रैफिक प्रवर्तन और जांच तंत्र को मजबूत नहीं किया गया, तो सड़कें मौत का जाल बनी रहेंगी।

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