Saturday, September, 27,2025

अतिक्रमण को संरक्षण देने वाले अफसरों पर भी हो कार्रवाई

जयपुर:  राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रदेश स्तर पर सड़कों और फुटपाथों से अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने अतिक्रमणों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों और पुलिस कर्मियों पर भी कार्रवाई करने की बात कही है। जस्टिस एसपी शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने विनोद कुमार की जनहित याचिका पर यह आदेश देते हुए कहा कि अतिक्रमण के मामले में किसी भी प्रकार की सहानुभूति नहीं बरती जाएगी। अदालत ने यूडीएच के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) को निर्देश दिए हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप नगर निगमों और नगर परिषदों को अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी करें। कोर्ट ने जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) और अन्य संबंधित प्राधिकरणों को भी निर्देशित किया है कि वे शहर को जोड़ने वाली सड़कों और फुटपाथों को अतिक्रमण मुक्त बनाएं।

सात दिन का मौका दें फिर अतिक्रमियों से खर्चा वसूलें

कोर्ट ने कहा कि अतिक्रमण हटाने से पहले अतिक्रमियों को सात दिन का मौका दिया जाएगा, जिसके बाद भी अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरती गई तो प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करेगा। साथ ही, अतिक्रमण हटाने में खर्च होने वाली राशि अतिक्रमियों से वसूली जाएगी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मास्टर प्लान और जोनल डेवलपमेंट प्लान के मानकों का पालन करते हुए ही अतिक्रमण चिह्नित कर हटाए जाएंगे। प्राधिकरण की ओर से जारी पट्टा या कोर्ट के आदेश अतिक्रमण हटाने में बाधक नहीं होंगे। सुनवाई के दौरान जनहित याचिका से संबंधित एक अधिकारी को पक्षकार बनाने की याचिका खारिज कर दी गई। अदालत ने कहा कि अवमानना के मामले में बाद में किसी व्यक्ति को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने जेडीए समेत अन्य प्राधिकरणों के प्रवर्तन विंग के मुखियाओं को 7 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश भी दिया है। यह कदम प्रदेश की सड़कों और फुटपाथों पर बढ़ते अतिक्रमण को रोकने और साफ-सफाई एवं सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।

जर्जर भवन में कक्षाएं संचालित नहीं की जाएं

हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि प्रदेश के किसी भी जर्जर स्कूल भवन में कक्षाएं संचालित नहीं की जाएं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे भवनों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो। जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल और अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने यह आदेश स्वप्रेरित याचिका समेत अन्य याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया है। कोर्ट ने प्रमुख शिक्षा सचिव को आगामी सुनवाई तक शपथ पत्र पेश करने को कहा है, जिसमें यह स्पष्ट हो कि जर्जर स्कूल भवनों में कक्षाएं नहीं चल रही हैं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने बताया कि जर्जर भवनों की पहचान के लिए सर्वेक्षण चल रहा है और मरम्मत के लिए बजट भी जारी किया गया है। अदालत ने इस मामले में दो सप्ताह में शपथ पत्र प्रस्तुत करने को कहा है। साथ ही मानसून के दौरान स्कूलों को विशेष सुरक्षा उपाय करने के निर्देश भी दिए गए हैं। राज्य सरकार से पूछा गया कि अभी तक पालना रिपोर्ट क्यों नहीं दी गई। कोर्ट ने साफ किया कि जर्जर भवनों में कक्षाएं संचालित न हों। अगर कोई गलती पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगली सुनवाई 4 सितंबर को होगी।

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