Tuesday, August, 12,2025

वक्फ कानून की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी राजस्थान सरकार

जयपुर: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख करते हुए वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह में स्वयं को पक्षकार बनाने की अनुमति मांगी है। राज्य सरकार की ओर से एएजी शिवमंगल शर्मा ने प्रार्थना पत्र पेश किया है। राजस्थान सरकार की अर्जी पर सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित की गई है। हालांकि वक्फ संशोधन बिल-2025 अब कानून बन चुका है, लेकिन इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। कांग्रेस, आप, एआईएमआईएम जैसी राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ कई मुस्लिम संगठनों ने भी सर्वोच्च अदालत में वक्फ कानून को चुनौती दी है। हालांकि राजस्थान सरकार वक्फ कानून के खिलाफ नहीं, बल्कि इसके पक्षकार के रूप में सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

यह पारदर्शी और संविधान सम्मत सुधार है

राजस्थान सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि उसे इस मुद्दे में सीधा, महत्वपूर्ण और विधिक रूप से संरक्षित हित प्राप्त है, क्योंकि राज्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और विनियमन हेतु प्रमुख कार्यकारी प्राधिकरण है। यह हस्तक्षेप आवेदन अधिनियम 2025 के पीछे की विधायी मंशा, संवैधानिक औचित्य और प्रशासनिक वास्तविकताओं को माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के उद्देश्य से दायर किया गया है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक परामर्श के बाद पारित किया गया था। राज्य सरकार ने अधिनियम का यह कहकर बचाव किया है कि यह पारदर्शी और संविधानसम्मत सुधार है, जिसका उद्देश्य सरकारी और निजी भूमि को मनमाने ढंग से वक्फ संपत्ति घोषित करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाना है। राजस्थान सरकार का कहना है कि यह एक ऐसी प्रवृत्ति है, जिसने कई बार सार्वजनिक विकास और आधारभूत ढांचे की परियोजनाओं को पंगु बना दिया है। अधिनियम में एक प्रमुख सुधार यह है कि अब किसी भूमि को वक्फ के रूप में सूचीबद्ध करने से पहले 90 दिन का सार्वजनिक नोटिस और आपत्ति दर्ज कराने की व्यवस्था अनिवार्य की गई है, जिससे प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे और प्रभावित पक्षों के अधिकार सुरक्षित रहें।

वक्फ कानून 2025 संविधान के खिलाफ नहीं

राजस्थान सरकार का दावा है कि यह कानून संविधान के खिलाफ नहीं है। सरकार ने यह भी बताया है कि इस अधिनियम को संयुक्त संसदीय समिति ने 284 से अधिक हितधारकों (जिसमें 25 राज्य वक्फ बोर्ड, 15 राज्य सरकारें, सामाजिक संगठन व विधि विशेषज्ञ शामिल हैं) के विचारों को शामिल करते हुए सर्वसम्मति से समर्थन प्रदान किया। सरकार ने यह तर्क भी दिया है कि यह अधिनियम अनुच्छेद 25 व 26 के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता है और न ही अनुच्छेद 14 व 15 के अंतर्गत समानता के अधिकार का हनन करता है, जैसा कि याचिकाओं में दावा किया गया है। राजस्थान सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि उसे मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी जाए और वह न्यायालय की सहायता तुलनात्मक कानूनी दृष्टिकोण और आंकड़ों के आधार पर अनुभवों के माध्यम से कर सके, ताकि न्यायालय एक संतुलित और सूचित निर्णय पर पहुंच सके।

 

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