Tuesday, November, 25,2025

गाय को नहीं मिलेगा राज्य माता का दर्जा... सरकार बोली-यह धार्मिक आस्था का विषय, न कि संवैधानिक व्यवस्था

जयपुर: विधानसभा में राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि गाय को गोमाता का दर्जा देना धार्मिक और वैदिक परंपरा का प्रतीक है, किंतु इसे कानूनी या संवैधानिक रूप से राष्ट्रीय माता घोषित करने का कोई प्रस्ताव फिलहाल विचाराधीन नहीं है।

हवामहल विधानसभा क्षेत्र के विधायक बालमुकुंदाचार्य के प्रश्न के लिखित उत्तर में सरकार ने कहा कि गाय को मातृस्वरूप माना गया है और वैदिक काल से गोमाता के रूप में पूजने की परंपरा रही है, लेकिन यह विषय धार्मिक आस्था से जुड़ा है, शासन की वैधानिक प्रक्रिया से नहीं। सरकार ने कहा कि गाय भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है, किंतु इसे औपचारिक रूप से कोई विशेष दर्जा देना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है।

राज्य सरकार के इस जवाब से यह स्पष्ट होता है कि गोमाता के प्रति श्रद्धा और वैदिक परंपरा को सरकार स्वीकार करती है, मगर इसे कानूनी या संवैधानिक दर्जे में परिवर्तित करने का कोई इरादा फिलहाल नहीं है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि राजस्थान सरकार धार्मिक प्रतीकों को राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से संतुलित करने की कोशिश कर रही है। यानी आस्था का सम्मान रहेगा, पर कानून का दर्जा नहीं। सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि सनातन धर्म में वात्सल्य एवं दुलार की प्रतिमूर्ति ममतामयी गोमाता सदैव से ही पूजनीय तथा सम्माननीय रही है। वैदिक काल से ही गाय को गोमाता कहा जाता रहा है। वैदिक वाङ्गय में 'गावो विश्वस्य मातरः' (गाय विश्व की माता है) कहकर संबोधित किया गया है।

गो-अभयारण्य पर फिलहाल विचार नहीं

सरकार ने कहा कि मध्यप्रदेश और ओडिशा की तर्ज पर राजस्थान में गो-अभयारण्य स्थापित करने का कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। सरकार ने कहा कि फिलहाल प्रदेश में मौजूदा गोशाला ढांचे को ही मजबूत किया जा रहा है और नए अभयारण्य मॉडल पर विचार बाद में किया जाएगा। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के सागर जिले में सालरिया गो-अभयारण्य देश का सबसे बड़ा गो-अभयारण्य है, जहां लगभग 6 हजार से अधिक गोवंश की देखरेख की जाती है। वहीं ओडिशा में भी गोसेवा मिशन के तहत जिला स्तरीय आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा है।

गोसंवर्धन योजनाओं पर जोर

  • राज्य सरकार गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। इनमें प्रमुख हैं-
  • राजस्थान गो-संवर्धन एवं संवर्धन निधि नियम 2016 (संशोधित 2021)1
  • मुख्यमंत्री गो-सेवा योजना, प्रधान गोपालन पुरस्कार योजना।
  • गोशाला विकास जनसहभागिता योजना।
  • मुख्यमंत्री निराश्रित पशु संवर्धन योजना, सरकार के अनुसार, इन योजनाओं के तहत पंजीकृत गोशालाओं और गो-आश्रयों को भरण-पोषण के लिए आर्थिक सहायता दी जा रही है।
  • प्रदेश में करीब 2500 से अधिक गोशालाएं संचालित हैं, जहां निराश्रित पशुओं की देखरेख की जाती है।
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