Tuesday, November, 25,2025

जांच रिपोर्टों में हुआ खुलासा नियमों की अनदेखी से हादसे

जयपुर: प्रदेश की सड़कों पर ज्वलनशील पदाथों पेट्रोल, डीकल, केमिकल और गैस सिलेंडर के परिवहन को नियंत्रित करने के लिए राजस्थान में विशेष संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू की हुई है। यह एसओपी केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमबीआर) और खतरनाक पदाथों के परिराकान में जुड़े राष्ट्रीय दिय निर्देशों पर आधारित है। लेकिन, ऋत के हादसों और जांच रिपेटों से साफ हो गया है कि इन नियमों का पालन नहीं हो सा है। यहीं कारण है है कि एक के बाद एक हादसे जिंदगियां लोल रहे हैं। बाल ही में ज्वलनशील पदाथों का परिवहन करने वाले वाहनों से हुए हादसों ने यह साबित कर दिया है कि लापरवाही, अपबंप्त निगरानी और जागरुकता को कमी में न केवल इन्हें परिवहन करने बालों को जबान खतरे में है, बल्कि आम कनता, सड़कों और हाईवे पर रोजाना कलने कले अन्य वाहन चालकों की जान को भी हर समय बड़ा खतरा है।

जयपुर-अजमेर एक्सप्रेस-वे पर सावरदा गांव के पास संकागवार को हुए हादसे में भी एबोपी की पालना नहीं हो रही थी। जिस टैंकर ने एलपीजी गैस के सिलेंडरों से भी एक को टक्कर मारी, उम्र टैंकर पर फेमिकल का नाम केंचीन लिखा हुआ था. जबकि उसमें 35 हजार लीटर एलएलपी भरा था। इसने प्रशासनः को काफी देर तक कन्यूज किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में ज्वलनशील पदार्थों एलजी सीएनजी पेट्रोलियम उत्पाद और केमिकल्स के परिकान से जुड़े हादसों में हाल के वर्षों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

2024 से लेकर अब तक, राज्य में कम से कम चया बड़े हादसे दूर हैं। इनमें 20 दिसंबर 2014 को जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुई दुर्घटना सहित अन्य हादसे शामिल हैं। इन हादसों ने न केवल राज्य की मड़क मुरथा पर सवाल उठाए हैं. बरिक एमओपी (स्पेशल ऑपरेटिंग ओमीना) के पालन में भी गंभीर खामियां उजागर की हैं। इन हादसों में मुख्य कारणों के रूप में ओवरलोडिंग चातक की लापरवाही अधूरी बड़क निर्माण और निगरानी को कमी सामने अई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर उत्पल सुधार नहीं हुआ तो आगामी सालों में इन अदमों में मौतों का आंकड़ा 201% तक बढ़ सकता है।

नियम सिर्फ कागजों तक सीमित

विभाग का दावा है कि निर्धारित नियमों के आधार पर ही राज्य में वह हर साल सैकड़ों परिवहन अनुमतियां जारी करता है। विभाग ने राज्य स्तर पर हेल्पलाइन शुरू की है, जहां रीयल टाइम मॉनिटरिंग होगी। इसको लेकर दंड तक के प्रावधान हैं, जिसमें उल्लंघन पर वाहन जब्ती, जुर्माना और लाइसेंस निलंबन का प्रावधान है। हर हादसे के बाद जांच में साबित हुआ है कि एसओपी का सख्ती से पालन नहीं हो रहा था, अगर पालन होता तो हादसे नहीं होते। राजस्थान परिवहन विभाग द्वारा जारी एसओपी के तहत ज्वलनशील पदार्थों के परिवहन को लेकर तय किए गए नियम सिर्फ कागजों तक सीमित हैं, इनकी पालना नहीं होती है। राज्य में पिछले दो वर्षों में 20 से अधिक ऐसे हादसे दर्ज हुए हैं, जिनमें एसओपी उल्लंघन मुख्य कारण रहा।

ट्रांसपोर्टर्स लागत बचाने के लिए नहीं करते एसओपी का पालन

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रांसपोर्टर्स लागत बचाने के लिए पुराने वाहनों और अप्रशिक्षित चालकों का उपयोग करते हैं, जो एसओपी के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं। हालांकि परिवहन विभाग ने पालन सुनिश्चित करने के लिए ई-ट्रैकिंग सिस्टम शुरू करने की योजना बनाई है, लेकिन योजना लागू नहीं हो पाई है। रिफाइनरी और केमिकल उद्योगों के कारण सालाना करोड़ों लीटर माल ढुलाई होती है। लेकिन बिना एसओपी की पालना के अब यह 'मौत का सौदा' बनता जा रहा है। इन हादसों के मानवीय नुकसान के साथ-साथ आर्थिक असर भी भारी हैं। हर हादसे में राहत, इलाज और जांच में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है।

एसओपी के प्रमुख प्रावधान

  • ज्वलनशील पदार्थ ले जाने वाले वाहनों में फायर-प्रूफ टैंक, लीक-प्रूफ कंटेनर और जीपीएस ट्रेकिंग अनिवार्य है।
  • वाहनों की फिटनेस जांच हर छह माह में जरूरी।
  • ड्राइवर ट्रेंड रखने होंगे।
  • ड्राइवरों को खतरनाक सामग्रियों के जोखिम, हैंडलिंग और आपातकालीन उपायों पर कम से कम 40 घंटे की ट्रेनिंग दी जाए।
  • ड्राइवरों को हिंदी या अंग्रेजी पढ़ने-लिखने की क्षमता के साथ विशेष सर्टिफिकेट प्राप्त हो।
  • संवेदनशील क्षेत्रों जैसे स्कूल, अस्पताल और आबादी वाले इलाकों से परिवहन प्रतिबंधित रहे।
  • रात्रिकालीन परिवहन पर सख्त पाबंदी लगाई गई है, सिवाय विशेष अनुमति के।
  • दुर्घटना की स्थिति में ड्राइवर को तत्काल नजदीकी पुलिस स्टेशन को सूचित करना होगा।
  • हर वाहन में स्पिल किट (रिसाव रोकने का किट) और अग्निशमन यंत्र रखना जरूरी है।
  • परिवहन के दौरान अनावश्यक रुकावट या लंबे ठहराव की मनाही है।
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