Tuesday, August, 12,2025

एक दिन की नहीं लापरवाही, वर्षों से अनदेखी

जयपुर: झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव के सरकारी स्कूल में जो हुआ, वह सिर्फ एक हादसा नहीं था, यह व्यवस्था की हत्या थी। स्कूल की जर्जर छत ढही, बच्चों की मासूम जिंदगियां मलबे में दफन हो गई। माता-पिता के सपने टूटे, गांव का भरोसा चकनाचूर हो गया और एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ 'आखिर इन मासूमों की मौत का जिम्मेदार कौन है?' 25 जुलाई को जब स्कूल में पढ़ाई चल रही थी, तभी छत भरभराकर गिर पड़ी। सात मासूम बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, 20 से अधिक घायल हुए। यह वही स्कूल था, जिसकी छत इसे पानी टपकने की शिकायत हफ्तों पहले की जा चुकी थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। किसी ने सुध नहीं ली। और अब, जिनके सिर पर आसमान होना था, उनके सिर पर मौत आ गिरी।

मंत्रियों पर भी सवाल

  • वर्तमान में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर हैं।
  • इससे पहले डॉ. बी. डी. कल्ला दो वर्ष (कार्यकालः 2021-2023) और गोविंद सिंह डोटासरा तीन साल (कार्यकाल: 2018-2021) तक शिक्षा मंत्री रहे हैं।

क्या सिर्फ शिक्षक जिम्मेदार?

सरकार ने पांच शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया, लेकिन क्या इससे सवाल खत्म हो जाएंगे? क्या सिर्फ इसलिए कि वे स्कूल में मौजूद थे, सारा दोष उन्ही का है? क्या इन शिक्षकों को भवन की मरम्मत का बजट मिला था? क्या उन्होंने इंजीनियर नहीं भेजे जाने की शिकायत नहीं की थी? क्या वे भी उसी जर्जर छत के नीचे नहीं पढ़ा रहे थे? सच तो ये है कि उनसे ऊपर की परतें जिम्मेदार हैं, जो कागजों में मरम्मत की फाइलों को दबाए बैठे रहे। जो हर साल बारिश से पहले निरीक्षण का आदेश देकर भूल जाते हैं। जो आंकड़ों में बच्चों की उपस्थिति गिनते हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा नहीं।

प्रशासन की नाकामी

राज्य शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को बारिश से पहले स्कूलों की जांच का आदेश दिया था। झालावाड़ जिला प्रशासन ने कोई निरीक्षण नहीं किया। पंचायत, इंजीनियर, शिक्षा अधिकारी सबने अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर टाल दी। जब जान बचाने के उपाय समय रहते किए जा सकते थे, तब लापरवाही बरती गई और जब जान चली गई, तब जांच बैठा दी गई।

राजनीति के मंच से संवेदना के भाषण

हादसे के बाद मुख्यमंत्री का दौरा टाल दिया गया, क्योंकि लोगों में गुस्सा था। मुआवजे की घोषणाएं, नौकरी देने के वादे, रिपोर्ट सौंपने की बातें.. ये सब हर बार होते हैं, लेकिन क्या कोई इन बच्चों को लौटा सकता है? क्या उन माओं की चीत्कार, जो अपने बच्चों का स्कूल बैग देखकर फूट-फूट कर रो पड़ीं, उसे कोई मुआवजा कम कर सकता है?

हादसे के बाद उच्च शिक्षा विभाग सतर्क

इस घटना के बाद उच्च शिक्षा विभाग सहित कई विभाग हरकत में आ गए हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने तत्काल प्रभाव से सभी कॉलेज प्रिंसिपलों को भवनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त आदेश जारी किए हैं। विभाग के संयुक्त निदेशक शोभाराम शर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सभी महाविद्यालयों का संचालन पूरी तरह सुरक्षित और मजबूत भवनों में किया जाए। आदेश में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भवनों में किसी भी प्रकार की दरार, पानी का रिसाव या छतों पर पानी का जमाव नहीं होना चाहिए। यह कदम बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए उठाया गया है।
 

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