Tuesday, August, 12,2025

दरकते भवनों में कांपते अरमान

जयपुर: झालावाड़ जिले के मनोहरथाना में सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुए हादसे ने प्रदेशभर में खलबली मचा दी है। यह हादसा शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, जबकि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में शैक्षणिक भवनों के लिए 625 करोड़ रुपए आवंटित किए थे। फिर भी, राज्य के स्कूलों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

प्रदेश में इस साल यह तीसरी बार है, जब स्कूल में इस तरह की बड़ी लापरवाही सामने आई है। फरवरी में बीकानेर में पानी की टंकी की छत गिरने से 3 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि बाड़मेर के चौहटन में स्कूल की दीवार गिरने से एक बच्चे की मौत हुई थी। करौली में भी स्कूल की छत से रिसाव की तस्वीरे हाल ही में सामने आई थी, लेकिन इस तरह की घटनाएं सामने आने के बाद भी जिम्मेदार मौतों का ही इंतजार करते रहे। जिम्मेदारों की लापरवाही से ही फिर किसी के सितारे आसमां के तारे बन गए। हालांकि घटना के बाद आनन-फानन में एसी कमरों में बैठकर नीतियां बनाने वालों से फिर से खुद के बचाव के लिए कई आदेश जारी किए, लेकिन प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के यह हाल कई दशकों से बने हुए हैं। जो आदेश घटना के बाद निकाले, ऐसे आदेश पहले भी निकले होंगे, लेकिन इन पर अमल होता तो यह हालात नहीं होते। सच बेधड़क ने जव प्रदेशभर के जिलों में पड़ताल की तो राजधानी जयपुर जहां पर पूरा प्रशासन बैठता है, वहां से भी स्कूल के जर्जर भवनों की तस्वीर सामने आई हैं। यह हादसा राजस्थान के सरकारी स्कूलों के भवनों की बदहाल स्थिति का आईना है।

शिक्षा विभाग की लापरवाहीः राजे

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अस्पताल में घायल बच्चों से मिलकर उनकी कुशलक्षेम पूछी और इस घटना के लिए शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि घटना की सूचना मिलते ही में और झालावाड़-बारां के सांसद दुष्यत सिंह तत्काल दिल्ली से रवाना हो गए। शिक्षा विभाग प्रदेश के सभी स्कूलों का सर्वे करवाए।

पचास साल पुराना था स्कूल भवन ?

प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि स्कूल भवन करीब 50 साल पुराना था और लंबे समय से जर्जर हालत में था। हाल ही में हुई भारी बारिश ने इमारत की दीवारों और छत में सीलन पैदा कर दी थी, जिससे इमारत और कमजोर हो गई।

जर्जर भवनों पर प्रशासन अलर्ट

हादसे के बाद जयपुर, बारां, नागौर और अजमेर जिला प्रशासन ने जर्जर भवनों की जांच शुरू कर दी। जयपुर कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी ने जर्जर भवनों को चिह्नित कर ध्वस्त करने और असुरक्षित भवनों को खाली कराने की अपील की। बारां कलेक्टर रोहिताश्व सिंह तोमर ने बताया कि जून में ही जर्जर भवनों की जांच कर उपयोग न करने के निर्देश दिए गए थे। नागौर में 416 सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर में स्कूलों का गहन सर्वे और मरम्मत के निर्देश दिए। इतना ही नहीं, प्रदेश के अन्य जिलों में भी जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति की जांच का काम शुरू हो गया है।

मनोहरथाना हादसे ने खोली व्यवस्थाओं की पोल

झालावाड़ जिले के मनोहरथाना क्षेत्र में पीपलोदी के सरकारी स्कूल भवन में हुए हादसे ने प्रदेशभर में स्कूलों की जर्जर स्थिति को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। यह घटना न केवल भवनों की अनदेखी को उजागर करती है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। राजस्थान के कई जिलों में सरकारी स्कूल ऐसे भवनों में संचालित हो रहे हैं, जो एकदम खस्ताहाल हो चुके हैं। बारिश के मौसम में यह खतरा और बढ़ जाता है, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों की जान पर बन आती है। विशेषज्ञों और शिक्षा से जुड़े संगठनों का कहना है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में हर वर्ष सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य किया जाए। इसके लिए पीडब्ल्यूडी और स्थानीय निकायों को इंजीनियरों की टीम के साथ नियमित जांच करनी चाहिए।

वहीं, शिक्षा विभाग को भी निर्देश दिए जाएं कि अधिकारी समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करें और प्रधानाध्यापक से वार्षिक भवन रिपोर्ट प्राप्त कर मरम्मत कार्य सुनिश्चित करें। अक्सर स्कूल भवनों की देखरेख बजट की कमी के कारण लंबित रह जाती है। ऐसे में विधायकों को अपने विधायक कोष से सहयोग देना चाहिए। साथ ही, जिला कलेक्टरों को भामाशाहों और सामाजिक संगठनों को प्रेरित करना चाहिए, ताकि वे भी स्कूलों के रखरखाव में भागीदार बनें। सरकारी स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए एक स्थायी समिति का गठन भी जरूरी है, जो समय-समय पर स्कूलों की स्थिति की निगरानी कर रिपोर्ट तैयार करे।

हादसे पर शेखावत ने जताया दुःख

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने झालावाड़ जिले के मनोहरथाना ब्लॉक में एक सरकारी स्कूल की बिल्डिंग गिरने से हुई जनहानि को दुःखद और अत्यंत व्यथित करने वाली बताया। केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय प्रशासन से राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी लेकर त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाई के लिए कहा है। शेखावत ने कहा कि ईंसर से प्रार्थना है कि घायल बच्चों को शीघ्र और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो।

हादसा अत्यंत दुखदः दीया कुमारी

उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि विद्यालय की इमारत गिरने से हुआ हृदय विदारक हादसा अत्यत दुखद और स्तब्ध कर देने वाला है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परवानों के साथ है। दिवंगत आत्माओं को शांति दें और चायल बच्चों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करती हूँ।

सरकार हर संभव मदद करेगी: बैरवा

उपमुख्यमंत्री ही प्रेस बंद बैरवा ने कहा कि विद्यालय की छत गिरने की घटना आयात दुखए और हृदय विदारक है। घटना आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान व परिजनों को यह जराहनीय पीड़ा सहने की ने सबंधित अधिकारियों से भी बात की।

संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न होः राठौड़

स्तूप्त हादसे पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष गदन राठौड़ ने गहरा शोक वा करते हुए घटना की अत्यंत पीडादायक बाषण। उन्होंने कहा कि पूरा भाजपा परिवार शोक संतप्त परिजनों के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस कठिन समय में हर संभव संबल और सहायता प्रदान करेगी।

गहलोत ने व्यक्त की संवेदना

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनहानि एवं घायलों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि यह दुखद घटना है। सरकारी स्कूल की इमारत मिाने में कई बच्चों एवं शिक्षकों के हताहत हीना गंभीर मामला है। जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए और सरकार को सरकारी स्कूलों की सुध लेनी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने जताई संवेदना

घटना पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट चते हुए संवेदना जताई है। उन्होंने लिखा कि पीपालोदी, मनोहरचाনা (গ) में सवारी स्कूल की बिलिग गिरने से बच्ची की मृत्यु एवं 21 से ज्यादा गभीर घायल होने का समाचार अत्यंत दुखद एवं दुर्भाग्वपूर्ण है।

डोटासरा ने सरकार पर साधा निशाना

पीसीसी अध्यक्ष व पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार को निशाने पर लेते हुए झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे को आपराधिक लापरवाही से हुई हत्या करार दिया और सरकार व सिस्टम पर सवाल खड़े किए, लेकिन सिस्टम और सरकार पर सवाल उठाने से पहले यह भी सोचना चाहिए था कि जो स्कूल जर्जर हैं या कई दशकों पुराने है, वे आपके शासनकाल में भी इसी स्थिति में थे। सत्ता से बाहर निकलने के बाद जब नींद खुली, तब जाकर स्कूलों की बदहाल स्थिति दिखाई दी है। डोटासरा ने दावा किया कि कांग्रेस सरकार के दौरान 1000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत पर खर्च की गई, जबकि वर्तमान भाजपा सरकार के बीते दो वर्षों में केवल बयानबाजी ही हुई है। उन्होंने आकड़े भी जारी किए, जिनमें बताया गया है कि अकेले उदयपुर में 20 ऐसे स्कूल है, जो कभी भी गिर सकते हैं। सवाल यह है कि ये स्कूल क्या केवल डेढ़ वर्ष में ही जर्जर हुए हैं? ये तो पिछले चार से पांच वर्षों से खस्ताहाल स्थिति में है।

 

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