Tuesday, November, 04,2025

हर दिन 15 सुसाइड... जयपुर में फिर दो जिंदगियां बुझीं

जयपुर: राजधानी के नीरजा मोदी स्कूल में बच्ची की मौत की गुत्थी सुलझी भी नहीं कि जयपुर में फिर दो सरकारी कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली। राजधानी जयपुर ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश ही आत्महत्या के ऐसे गंभीर सामाजिक संकट से जूझ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि 2020 से 2025 (अगस्त तक) के बीच राज्य में लगभग 31,000 आत्महत्या के मामले दर्ज हुए, जो औसतन प्रतिदिन 15 मौतों के बराबर है। हर साल औसतन 5,500 से अधिक मामले इस समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं।

राजधानी जयपुर में दो सरकारी कर्मचारियों की आत्महत्या के मामलों ने प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। पहला मामला करणी विहार थाना क्षेत्र के रजनी विहार का है, जहां 56 वर्षीय अकाउंटेंट घीसालाल शर्मा ने पारिवारिक विवाद के चलते फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घीसालाल सीएमओ में अकाउंटेंट थे। उन्होंने तीन पेज का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें ससुराल पक्ष से तनाव का जिक्र किया। उन्होंने शनिवार देर रात सुसाइड नोट की तस्वीरें सामाजिक वॉट्सएप ग्रुप में साझा कीं और आत्महत्या का संदेश लिखा। रविवार सुबह परिजनों ने कमरे का दरवाजा तोड़कर उनका शव छत से लटका पाया। पुलिस ने शव को कांवटिया अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा और सुसाइड नोट जब्त कर जांच शुरू की। दूसरा मामला नारायण विहार थाना क्षेत्र की इंजीनियर्स कॉलोनी का है, जहां 31 वर्षीय ग्राम विकास अधिकारी प्रवीण कुमावत ने 27 अक्टूबर को फांसी लगाकर जान दे दी।

प्रवीण के भाई अशोक कुमावत ने ग्राम पंचायत कणोज केकड़ी के सरपंच भागचंद नायक, उनके पुत्र बंटी और खंड विकास अधिकारी दिशी शर्मा पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, प्रवीण पर पंचायत में 10-15 लाख रुपये के फर्जी बिल पास करने का दबाव था, जबकि वास्तविक खर्च मात्र 50 हजार रुपए था। दबाव के चलते प्रवीण ने त्यागपत्र भेजा, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। पुलिस ने एफएसएल टीम के साथ साक्ष्य जुटाए और जांच शुरू की। दोनों मामलों ने प्रशासनिक दबाव और पारिवारिक तनाव के गंभीर परिणामों को उजागर किया है। इससे पहले 10 अक्टूबर को करणी विहार इलाके में जमीनी विवाद के चलते किराए के मकान में रहने वाले बुजुर्ग दंपती और 32 साल के बेटे ने विषाक्त खाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को एक पेज का सुसाइड नोट मिला था। इस पर तीनों के साइन भी हैं, सुसाइड नोट में कुछ लोगों पर जमीन संबंधित आरोप लगाए गए थे।

सुसाइड के कई कारण

किसी एक नहीं बल्कि हर उम्र के लोग कई कारणों से मौत को गले लगा रहे हैं। इसमें आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह, शोषण, दबाव आदि कारण है। आत्महत्या हर आयु वर्ग को प्रभावित कर रही है। एक डाटा के अनुसार-

  • 14 वर्ष से कम (1.2%): पारिवारिक कलह, शोषण।
  • 14-18 वर्ष (9%): परीक्षा दबाव, कोचिंग सिटी (जैसे कोटा) का प्रभाव।
  • 18-30 वर्ष (50% से अधिक): बेरोजगारी, प्रेम संबंध, कर्ज।
  • 30-45 वर्ष (25%): आर्थिक तंगी, पारिवारिक जिम्मेदारियां, गृह क्लेश।
  • 45-60 वर्ष (0.5%): स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक तंगी।
  • 60+ वर्ष (1.5%): एकाकीपन, बीमारी, परिवार की उपेक्षा। वहीं लिंग के आधार पर करीब 73% मामले पुरुषों और 27% महिलाओं से संबंधित हैं। महिलाओं में विवाह-संबंधी मुद्दे प्रमुख हैं।

 

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