Friday, September, 26,2025

हाई कोर्ट ने सांगानेर की 87 कॉलोनियों के नियमन पर लगाई रोक, 8 सप्ताह में अतिक्रमण हटाने के आदेश

जयपुर: राजधानी जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में बी-2 बाईपास के आसपास हाउसिंग बोर्ड की जमीनों पर बनी 87 अवैध कॉलोनियों के मामले में राजस्थान हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जस्टिस एस.पी. शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने इन कॉलोनियों के नियमन पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को 8 सप्ताह के भीतर अवैध कब्जे हटाने और जमीने आवासन मंडल को सौंपने के आदेश दिए हैं। यह आदेश जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया, जिसे पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से दायर किया गया था। याचिका पर बहस करते हुए एडवोकेट पूनमचंद भंडारी, डॉ. टी.एन. शर्मा, एडवोकेट अभिनव भंडारी, राकेश चंदेल, प्रतिभा बारेसा और भूपेंद्र सिंह राव ने अदालत के सामने कई अहम तथ्य रखे।

भू-माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप

याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि हाउसिंग बोर्ड ने इन जमीनों को विधिवत रूप से काश्तकारों से खरीदा था और उन्हें पूरा भुगतान भी कर दिया गया था। इसके बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने इन जमीनों पर अवैध कब्जा कर कॉलोनियां काट दी। अब इन अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया चलाई जा रही है, जो कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के खिलाफ है। याचिका में यह भी कहा गया कि हाउसिंग बोर्ड की अवाप्तशुदा जमीनों पर गृह निर्माण सहकारी समितियों ने योजनाएं विकसित कर दी है और वर्षों से इन पर कब्जा बना हुआ है।

हजारों परिवारों में चिंता का माहौल

इस आदेश के बाद सांगानेर क्षेत्र की 87 कॉलोनियों में रहने वाले हजारों परिवारों में चिंता और अनिश्चितता का माहौल है। वहीं, यह फैसला अधिकारियों की कार्यप्रणाली और भू-माफियाओं की मिलीभगत पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।

NOC नहीं, फिर भी आगे बढ़ रही वैधता प्रक्रिया

गौरतलब है कि इन कॉलोनियों को वैध करने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) पिछले 10 वर्षों से हाउसिंग बोर्ड से एनओसी मांग रहा है, जो अब तक प्राप्त नहीं हुई है। इसके बावजूद इन कॉलोनियों के नियमन की प्रक्रिया जारी थी, जिसे हाई कोर्ट ने अब तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। अदालत ने इसे कानून व्यवस्था और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की खुली अवहेलना करार देते हुए सरकार को दो महीने के भीतर कार्रवाई पूरी करने और उसकी प्रगति रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।

कैसे होगी हाईकोर्ट के आदेशों की पालना ?

सांगानेर क्षेत्र में बी-2 बाईपास के आसपास हाउसिंग बोर्ड की जमीनों पर बसी अवैध कॉलोनियों को लेकर हाईकोर्ट ने 8 सप्ताह में कब्जे हटाने का आदेश तो दे दिया है, लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन आदेशों की पालना आखिर होगी कैसे? जानकारों के अनुसार, एक कॉलोनी में औसतन 500 मकान है। इस हिसाब से 87 कॉलोनियों में 40 हजार से अधिक मकान मौजूद हैं। इन कॉलोनियों में सघन बसावट है और हजारों परिवार वर्षों से यहां रह रहे हैं। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर लोगों को हटाना और कब्जे खाली कराना आसान नहीं होगा। स्थिति को और जटिल बनाने वाला पहलू यह है कि इन कॉलोनियों में समय-समय पर राजनीतिक दबाव और स्थानीय नेताओं के प्रभाव के चलते विकास कार्य कराए गए। जयपुर विकास प्राधिकरण (IDA) और नगर निगम ने यहां सड़क, सीवर लाइन, लाइट और अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं। स्थानीय पार्षदों ने भी अपने स्तर पर इन कॉलोनियों में सुविधाओं का विस्तार किया। इसके अलावा, इन कॉलोनियों में हजारों व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी है, जिनसे बड़ी संख्या में लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। ऐसे में यदि कब्जे हटाने की कार्रवाई होती है तो यह न सिर्फ हजारों परिवारों को बेघर कर देगी, बल्कि आजीविका का संकट भी खड़ा कर देगी। अब देखना होगा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेशों की पालना किस तरह से करती है क्या वास्तविक रूप से कब्जे हटाए जाएंगे या फिर कोई वैकल्पिक रास्ता तलाशा जाएगा।

हाई प्रोफाइल श्रीराम कॉलोनी से भी अतिक्रमण हटने की खुलेगी राह

सांगानेर क्षेत्र में बी-2 बाईपास की 87 अवैध कॉलोनियों पर हाई कोर्ट की डबल बेंच के आदेशों के बाद अब आवासन मंडल की बेशकीमती जमीनों से भी अतिक्रमण हटने की राह साफ होती दिखाई दे रही है। इनमें सबसे चर्चित मामला बी-2 बाईपास पर स्थित हाई प्रोफाइल श्रीराम कॉलोनी का है। सूत्रों के अनुसार, श्रीराम कॉलोनी की करीब 42 बीघा जमीन आवासन मंडल ने वर्षों पहले काश्तकारों से अधिग्रहित की थी। इसमें से केवल 6 बीघा भूमि पर बी-2 बाईपास का निर्माण हुआ है, जबकि शेष जमीन पर नेताओं, अधिकारियों और भू-माफियाओं ने कथित रूप से सोसायटी के पट्टे लेकर कब्जा जमा रखा है। गौरतलब है कि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान जयपुर विकास प्राधिकरण ने इन कॉलोनियों के नियमन के लिए आवासन मंडल से NoC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) मांगा था, लेकिन तत्कालीन आयुक्त ने उस समय बड़ा निर्णय लेते हुए JDA को एनओसी देने से साफ इनकार कर दिया था। साथ ही धोखाधड़ी करने वाली गृह निर्माण सहकारी समिति के खिलाफ सांगानेर थाने में मामला भी दर्ज कराया था, जो अभी भी लंबित है। इसी मामले से संबंधित प्रकरण एसीबी में भी दर्ज है। इसी कारण से श्रीराम कॉलोनी सहित कई अन्य विवादित कॉलोनियों का नियमन अटक गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट के हालिया आदेशों के बाद इस कॉलोनी से भी अवैध कब्जा हटाने की संभावना बढ़ गई है। यहां की जमीन की वर्तमान बाजार कीमत करीब 3 हजार करोड़ रुपए आंकी जा रही है। इस कारण यह मामला और भी संवेदनशील माना जा रहा है, क्योंकि यह जयपुर की गिनी-चुनी सबसे महंगी सरकारी जमीनों में शामिल है। अब सबकी निगाहें राज्य सरकार और आवासन मंडल पर टिकी हैं कि हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत श्रीराम कॉलोनी जैसी प्रीमियम लोकेशन वाली जमीनों को कब्जामुक्त कराने की प्रक्रिया वास्तव में शुरू होगी या फिर राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक ढिलाई एक बार फिर इन आदेशों की राह रोक देगी।

 

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