Tuesday, November, 25,2025

अब एक ही निगम संभालेगा राजधानी जयपुर की बागडोर

जयपुर: जयपुर के नगर निगमों में ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत हो गई है। जयपुर नगर निगम हेरिटेज और ग्रेटर के पार्षदों व मेयरों की शक्तियां समाप्त हो गई हैं। अब संभागीय आयुक्त प्रशासक के रूप में शहरी प्रशासन संभालेंगे। यह कदम 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए निगम विभाजन को उलटने का परिणाम है। भाजपा सरकार ने मार्च 2025 में मर्जर अधिसूचना जारी की। इसके तहत 250 वार्डों की संख्या घटाकर 150 कर दी गई। वार्ड सीमाओं में बदलाव के साथ शहर की सीमाएं भी विस्तारित हुई हैं। इसके बाद अब वार्ड नंबर भी बदल जाएंगे। चुनावों के बाद जनता को अपने पार्षद के साथ सीधे महापौर चुनने का मौका भी मिलेगा, जो 2009 के बाद पहली बार होगा।

ग्रेटर निगम की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन रविवार को कहा कि जयपुर को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाना उनका सपना था। उन्होंने 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत कदंब का पौधा लगाया। वहीं हेरिटेज की मेयर कुसुम यादव ने कहा कि उनके नेतृत्व में पिछले 14 महीनों में तेन प्रगति हुई। स्वच्छता सर्वेक्षण में 20वीं रैंक हासिल की, सभी वार्डों में डोर-टू-डोर कचरा संग्रह, जीपीएस टैकिंग और एमआरएफ प्लांट स्थापित किए गए। हरियालो अभियान में एक दिन में 2.12 लाख पौधे लगाए गए। पिंक टॉयलेट्स की संख्या बढ़ाई गई, 100 वार्डों में सड़क व सीवरेज कार्य पूरे किए गए। चौगान स्टेडियम का नाम बदलकर पंडित भंवरलाल शर्मा स्टेडियम रखा गया।

चुनाव तक कार्यभार संभालेंगे प्रशासक

इस बदलाव से आमजन को रोजमर्रा के कामों में बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। अब शिकायत निवारण, प्रमाण पत्र जारी करना, सफाई, स्ट्रीट लाइट मरम्मत जैसी जिम्मेदारियां सीथे अधिकारियों के हवाले होंगी। पार्षदों के हस्ताक्षर या लेटरहेड की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। सामाजिक पेंशन, आधार कार्ड संशोधन जैसी सेवाओं के लिए निगम कार्यालयों में जाकर कार्य तुरंत निपट सकेंगे। प्रशासन का दावा है कि इससे जवाबदेही बढ़ेगी और भ्रष्टाचार कम होगा। एकीकृत निगम बनने से प्रशासनिक खर्च में भी कमी आएगी, जो अब तक दोहरी व्यवस्था से बढ़ गया था। जयपुर संभागीय आयुक्त को दोनों निगमों का प्रशासक नियुक्त किया गया है, जो अगले चुनाव तक कार्यभार संभालेंगे।

निगमों में रही खींचतान

पिछले पांच वर्षों में दोनों निगमों में लगातार खींचतान बनी रही। 2019 के विभाजन से प्रशासनिक जटिलताएं बढ़ीं। कभी हेरिटेज तो कभी ग्रेटर के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। मर्जर से यह परेशानी समाप्त होगी। राजनीतिक स्तर पर भी विवाद बढे। कांग्रेस ने इसे 'वोट बैंक तोड़ने की साजिश' बताया, जबकि भाजपा ने इसे 'प्रशासनिक सुधार' करार दिया।

स्वच्छता सर्वेक्षण में उतार-चढ़ाव भरा रहा जयपुर का सफर

स्वच्छता सर्वेक्षण में जयपुर का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा। 2016 में 44 वीं रैंक से शुरुआत हुई। 2017 में गिरकर 215वीं, फिर 2018 में 39वीं पर उछाल। 2020 में 28वीं, लेकिन 2023 में भारी गिरावट रही। हेरिटेज 171वीं और ग्रेटर 173 वीं रैंक पर रहे। 2024 में ग्रेटर 16वीं और हेरिटेज 20वीं रैंक पर पहुंचे।

 

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